आस्था पर राजनीति…त्रिदेवों के द्वार सैलानी पहुंचाने में सियासतदान फेल

By: Apr 23rd, 2024 12:57 am

बिजली महादेव, आदि ब्रह्मा-त्रियुगी नारायण को धार्मिक पर्यटन से जोडऩे के नाम पर दशकों से पक रहा सियासी पुलाव, धार्मिक पर्यटन को नहीं लग पाए पंख

स्टाफ रिपोर्टर-भुंतर
देवभूमि कुल्लूू में मौजूद त्रिदेव सृष्टि के रचयिता आदि ब्रह्मा, पालनहारी विष्णु और सहांरकर्ता भगवान शिव के द्वार तक पर्यटन के दरबाजे नहीं खुल पा रहे हैं। देवभूमि कुल्लू के खोखण-दियार-बिजली महादेव में मौजूद इन ऐतिहासिक देवालयों तक पहुंचने की तमन्ना पाले कई धार्मिक सैलानी हर साल आते हैं लेकिन निम्न स्तर की सुविधाओं के कारण यहां पहुंच नहीं पा रहे हैं। तीनों ही मंदिरों को एक दूसरे से जोडऩे की लिए दशकों से योजनाएं तो सियासतदान बना रहे हैं और इसके नाम पर वोट भी बटोर रहे हैं लेकिन अभी तक एक भी ऐसी योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही है। बताते चलें कि भुंतर से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर खोखण में देवता आदिब्रह्मा प्राचीन मंदिर है। बताया जाता है कि 16वीं सदी में बने इस मंदिर को कारीगरों ने मकड़ी के जालों के बने एक आकार के आधार पर बनाया था। चार मंजिला मंदिर पहाड़ी और पैगोड़ा शैली का मिश्रित रूप है। दूसरी ओर दियार में भगवान विष्णु के स्वरूप देवता त्रियुगी नारायण का पांच सौ साल से भी पुराना ऐतिहासिक मंदिर है। भुंतर से ही महज 20 किलोमीटर की दूर पहाड़ी पर बिजली महादेव का मंदिर है जो आसमानी बिजली गिरने के कारण दुनिया में प्रसिद्ध है।

तीनों ही ऐतिहासिक मंदिर
तीनों ही मंदिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है और यहां दर्शन के लिए सैलानी भी हजारों की तादाद में हर साल आते हैं। सालों पहले सरकार ने तीनों मंदिरों को एक साथ जोडऩे की योजना बनाने का भरोसा दिलाया था लेकिन आज तक भी कोई योजना ऐसी नहीं बन पाई है जो सैलानियों को एक साथ तीनों ही देवताओं के द्वार पर पहुंचा सके। बेहद निम्न स्तर की सडक़ और अन्य सुविधाओं के कारण इन मंदिरों में प्रतिष्ठा के अनुरूप सैलानी पहुंच नहीं पा रहे हैं।

रोजगार के बढ़ेंगे साधन
देव समाज के प्रतिनिधि राजन शर्मा, देव राज शर्मा, घनश्याम, विजय कुमार आदि का कहना है कि चुनावों में सियासतदान उनकी चौखट पर आ रहे हैं और इनसे इसका हिसाब भी लिया जाएगा। इनके अनुसार अगर सरकार किसी योजना के तहत तीनों ही मंदिरों तक सैलानियों को पहुंचाने की व्यवस्था करती है तो इससे स्वरोजगार के साधन लोगों को मिलेंगे लेकिन राजनैतिक आकाओं और सरकार की इच्छाशक्ति के बिना यह संभव नहीं है।

सैलानियों की सुविधा के नाम पर सालों से दुविधा
बिजली महादेव के लिए दो दशक से सरकारें रोप-वे के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट के नाम पर सियासी पुलाव बना रही हैं। वहीं दियार में रहने के लिए सैलानियों को ठिकाना नहीं मिल रहा है। खोखण के मंदिर के लिए तो सैलानियों को रास्ते का पता तक नहीं है। इन देवालयों तक सैलानी पहुंच नहीं पाते हैं। इसके कारण यह स्थल अभी तक पर्यटन की दृष्टि से विकसित नहीं हुए हैं।


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