पौंग विस्थापित लेंगे प्रत्याशियों का इम्तिहान

By: Apr 19th, 2024 12:16 am

कांगड़ा में ही चार लाख से ज्यादा है विस्थापितों की संख्या, बेशकीमती जमीनें देने के बाद भी अपना हक पाने को दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर

निजी संवाददाता-जवाली
पौंग बांध निर्माण में अपनी बेशकीमती जमीनों की बलि देने उपरांत विस्थापित हुए परिवार इस बार कांगड़ा-चंबा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों के इम्तिहान लेंगे। विस्थापितों का वोट हासिल करना भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए चुनौती साबित होगा। वर्ष 1971 में पौंग बांध निर्माण के समय 16352 परिवार विस्थापित हुए थे तथा 75 हजार एकड़ जमीन पौंग बांध निर्माण के समय बलि चढ़ गई थी। हिमाचल प्रदेश की सरकार ने राजस्थान सरकार से समझौता करके जिला गंगानगर में उपजाऊ व मूलभूत सुविधाओं से लैस जमीन दिलाने का वादा किया था परंतु आजतक वादे अनुसार विस्थापितों को राजस्थान में जमीन नहीं मिल पाई है। जिला श्रीगंगानगर में बाहुबलियों ने विस्थापितों की जमीनों पर कब्जा कर रखा है जिनको राजस्थान सरकार का संरक्षण प्राप्त है। विस्थापितों को राजस्थान में जाने पर बाहुबली डराते हैं। हिमाचल प्रदेश में भले ही किसी भी दल की सरकार रही हो लेकिन विस्थापितों को उनको हक दिलाने की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब विस्थापितों को रामगढ़, मोहनगढ़, नाचना इत्यादि वार्डर एरिया में जमीनें दी जा रही हैं। इन जगहों तक पहुंचने के लिए न तो कोई बस सेवा है और न ही कालेज, स्कूल व पानी की कोई व्यवस्था है।

मौजूदा समय में विधानसभा क्षेत्र फतेहपुर, जवाली, कांगड़ा, ज्वालामुखी, शाहपुर, नगरोटा बगवां, इंदौरा, धर्मशाला, देहरा, डाडासीबा, नूरपुर में विस्थापित बसे हुए हैं तथा इन विस क्षेत्रों में विस्थापितों की संख्या चार लाख से भी पार हो चुकी है जिनमें साढ़े तीन लाख वोटर हैं। कांगड़ा-चंबा लोस क्षेत्र में किसी भी पार्टी प्रत्याशी की जीत का रास्ता कांगड़ा से होकर निकलता है जिसमें विस्थापितों का वोट अहम रोल अदा करता है लेकिन इस बार विस्थापितों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। हिमाचल प्रदेश की सरकारें चुनावों के समय ही विस्थापितों को याद करती हैं और चुनाव जीत जाने के बाद विस्थापितों को उनका हक नहीं दिलाया जाता है। इस बारे कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि जब मैं सांसद था तो विस्थापितों की आवाज को बुलंद किया था लेकिन भाजपा सांसद विस्थापितों की आवाज को उठा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार भी विस्थापितों को उनका हक दिलवाने में नाकाम रही है।

प्रदेशाध्यक्ष हंस राज क्या बोले
पौंग बांध विस्थापित समिति के प्रदेशाध्यक्ष हंस राज ने कहा कि विस्थापितों को आजतक कोई भी सरकार हक नहीं दिलवा पाई है। उन्होंने कहा कि विस्थापित आज भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। अब पाकिस्तान बॉर्डर के समीप विस्थापितों को मरब्बे दिए जा रहे हैं जोकि विस्थापितों को मंजूर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस बार विस्थापित चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

पौंग बांध विस्थापित समिति के उपाध्यक्ष के बोल
पौंग बांध विस्थापित समिति के उपाध्यक्ष प्यारे लाल ने कहा कि विस्थापितों को आज भी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। अपनी बेशकीमती जमीनें देने के बाद अब अपना हक पाने के लिए सरकारों के समक्ष गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बॉर्डर के समीप दिए जा रहे मरब्बे विस्थापितों को मंजूर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस बार सभी विस्थापितों ने मिलकर चुनाव का सामूहिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।


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