एक ही नारा, एक ही नाम

By: Apr 2nd, 2024 12:05 am

मेरे प्रिय परिवारजनो! मैं लगातार 11वीं बार चाल कि़ले की प्राचीर से झुन्नू लाल बोल रहा हूँ। अब तक आप बीजे पार्टी के चाल, चरित्र और चेहरे का अभ्यास बेहद असरदार तरीके से कर चुके होंगे। हमारी नजऱ साल 2047 पर है। हमने विश्व गुरू को विकसित भारत बनाने का नया झुनझुना आपके हाथों में पकड़ा दिया है। जब आपका दिल चाहे आप पहले के झुनझुनों के साथ इसे बजा सकते हैं या चाहें तो अलग से बजा कर परपीड़ा की तान पर इसका आनंद ले सकते हैं। चुनाव आचार संहिता के दौरान देश की संसद के चुनाव जीतने के लिए अपनाए जा रहे हथकंडों से आप आने वाले समय का अंदाज़ा लगा सकते हैं। आपको जून तक पूरी छूट है कि आप जो चाहे लिखें। इसके बाद सरकार या विश्व गुरू की आलोचना, उसकी नीतियों, योजनाओं और कार्यों की समीक्षा और टिप्पणियाँ पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगी। किसी भी व्यक्तिगत या सांस्थानिक कुचेष्टा को सरकार गंभीरता से लेगी। ऐसा करने वाले उद्दंडियों के दिलो-दिमाग़ को दुरुस्त करने के लिए एकाग्रता शिविरों (कंसंट्रेशन कैंप) में भेज दिया जाएगा। ख़ासकर व्यंग्य लिखने वालों को अभी से भजन-चालीसा लिखने का अभ्यास आरम्भ कर देना चाहिए। लेखन की खाज मिटाने के लिए आप चाहें तो पुराणों-कथाओं का अंग्रेज़ी अनुवाद कर सकते हैं, मुझ पर या मेरी सरकार पर लेख और किताबें छाप सकते हैं। लेकिन व्यंग्य लिखने वाले एकाग्रता शिविरों में जाने के लिए तैयार रहें। हिटलर ने नाजिय़ों को ठिकाने लगाने के लिए ज़हरीली गैसों का इस्तेमाल किया था। पर हम इसके लिए नाले की उस गैस का प्रयोग करेंगे, जिससे मैंने आपको चाय बनाना और पकौड़े तलना सिखाया है।

हो सकता है आप में से कुछ कथित बुद्धिजीवियों ने जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास ‘एनिमल फॉर्म’ और ‘1984’ पढ़े हों। ‘एनिमल फॉर्म’ की तजऱ् पर हम डिमोक्रेसी (लोकतंत्र) को बीस्टोक्रेसी (पशुतंत्र) में बदलने जा रहे हैं। जॉर्ज ऑरवेल चूँकि भारत के पश्चिम बंगाल के मोतीहारी में पैदा हुए थे, उन्होंने आर्यावर्त के भविष्य को काफी पहले भाँप लिया था। लेकिन वह समय का सही अंदाज़ा नहीं लगा पाए थे। नहीं तो अपने जगत् विख्यात उपन्यास का नाम 1984 की बजाय 2024 रखते। जल्द ही उत्तरी कोरिया और रशिया को हम पशुतंत्र होने में मीलों पीछे छोड़ देंगे और विश्व के सबसे बड़े पशुतंत्र होंगे। लेकिन आप चिंता न करें, आपको ताउम्र पाँच किलो फ्री राशन मिलता रहेगा। जिस तरह कुत्ता सूखी हड्डी चबाते हुए अपने ही ख़ून का मज़ा लेता है, उसी तरह आप फ्री राशन का आनंद उठा सकते हैं। अन्यथा जीने के लिए सरकार आपको फ्री हवा मुहैया करवा रही है। आपको सरकार का शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि अभी तक उसने इस पर जीएसटी या वैट नहीं लगाया है। पर मेरे व्यापारिक मित्रों के बैंक ऋणों के हितों की रखवाली के लिए आपको आने वाले सालों में इसके लिए तैयार रहना चाहिए। यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया पर वर्तमान में सरकार के विरुद्ध बनाए जा रहे वीडियोज़ पर जून में पूरी पाबंदी लागू कर दी जाएगी। इन सभी यूट्यूबर्स को अपनी रोज़ी-रोटी के लिए अभी से दूसरे प्रबंध कर लेने चाहिए।

अन्यथा एकाग्रता शिविरों में मिलने वाले घटिया आधे पेट भोजन की तैयारी कर लेनी चाहिए। अभी तो फैक्ट चैक यूनिट पर सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से स्टे है। लेकिन चुनाव आयुक्तों की तरह जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति भी सरकार के हाथ में होगी। मैं गारंटी की गारंटी देता हूँ कि जिस तरह रशिया में सुप्रीम कोर्ट कोमा में गए विपक्षी नेता को जेल में डाल देते हैं, उसी तरह की कडक़ व्यवस्था भारत में सुनिश्चित करवाई जाएगी। मैं सौभाग्यशाली हूँ कि इन नेक कामों के लिए भगवान ने मुझे चुना है। मुझे पूरी उम्मीद है कि पिछले सौ सालों में हमारे षड्यंत्रकारी संगठन ने जिस तरह का गोबर और ज़हर देश में घोला है, उसका असर जून तक इसी तरह क़ायम रहेगा। उसके बाद देश में एक ही पार्टी चुनाव लड़ेगी और जीतेगी। संविधान गधे के सींगों की तरह कहीं नजऱ नहीं आएगा।

पीए सिद्धार्थ

स्वतंत्र लेखक


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