स्कूल शिक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

वास्तव में यह एक क्रांति की तरह है, जिससे हर दिन लाखों छात्र लाभान्वित हो रहे हैं। एआई को अगर आने वाले समय की मुख्य जरूरत कहा जाए तो गलत नहीं होगा। पढ़ाई से लेकर बिजनेस तक कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां इसका इस्तेमाल नहीं होता है। समय के साथ लोगों की निर्भरता एआई पर बढ़ी है और आगे यह और बढ़ेगी। राज्य सरकारें स्कूल शिक्षा की विषय वस्तु में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की गहनता बढ़ाने के लिए उपयुक्त कदम उठाएं और शिक्षकों की इसमें ट्रेनिंग के लिए व्यवस्था करें, तो राज्यों के निरंतर विकास को गति दी जा सकेगी। कोई छात्र कैसे सीख पा रहा है, इस पर गहन अध्ययन के आधार पर उनके लिए मॉडल बनाकर सिखाने का नया पैटर्न विकसित किया गया है…

स्कूल शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग चर्चा का विषय है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता, और इसके जरिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है। तकनीक ने हमेशा शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्कूल शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का छात्रों को सीखने में मदद करने के लिए कई अलग-अलग तरीकों से उपयोग किया जा रहा है। स्कूल शिक्षा में एआई का उपयोग न केवल सीखने की प्रभावशीलता को बढ़ावा दे सकता है और सीखने की प्रक्रिया के दौरान मानव बुद्धि को बढ़ा सकता है, स्कूल शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से हर बच्चे के लिए इंटेलिजेंट बनने की क्षमता में वृद्धि हो सकती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तेजी से विकसित होती हुई तकनीक है, जो शिक्षा समेत कई क्षेत्रों में क्रांति ला रही है। इस समय देश में एआई को स्कूली शिक्षा में लागू करने की दिशा में पहल की जा रही है। स्कूल शिक्षा में एआई का उपयोग छात्रों के सीखने को बेहतर बनाने, शिक्षकों को उनके काम में ज्यादा सहयोग देने और शिक्षा प्रणाली को अधिक कुशल बनाने के लिए किया जा सकता है।

इसके अनेक फायदे हैं। इसका इस्तेमाल पाठ्यक्रम सामग्री को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है। देश के अनेक राज्यों मे छात्रों की रुचियों और सीखने की शैली के आधार पर पाठ्यक्रम सामग्री को उनके अनुकूल बनाने के लिए एआई को इस्तेमाल करने के प्रयास हो रहे हैं। इसकी मदद से छात्रों के प्रश्नों का उत्तर देने, उन्हें व्यक्तिगत अभ्यास करवाने और सीखने की प्रगति पर मार्गदर्शन करने के लिए किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्कूली शिक्षा के लिए एक शक्तिशाली जरिया हो सकता है, लेकिन इस क्षेत्र में कुछ चुनौतियां हैं। एआई तकनीक लागू करना फिलहाल महंगा है, इसलिए सभी स्कूलों के लिए इसे अपनाना भी एक चुनौती है। एआई का उपयोग करने वाले शिक्षकों को एआई तकनीकों को सीखने और उपयोग करने के लिए समय और प्रयास लगाने की भी आवश्यकता है। साथ ही छात्रों की सुरक्षा और गोपनीयता को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। कोई भी तकनीक आप तुरंत किसी के जीवन में ले आते हैं, तो उसके दुष्परिणाम समझ नहीं पाते। पहले तकनीक के उपयोग के पहलू पढ़ाने चाहिएं। बच्चों को और शिक्षकों को समझाया जाना चाहिए कि इस तकनीक को सेहतमंद तरीके से कैसे इस्तेमाल करना चाहिए। इसलिए जरूरी है कि एआई को स्कूली पाठ्यक्रमों में लाने की हड़बड़ी नहीं दिखानी चाहिए। शिक्षा में प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे किया जाए, यह सीखने की चुनौती छात्रों और शिक्षकों के लिए है। ज्यादातर मामलों में, समस्या यह है कि शिक्षकों को अपनी कक्षाओं में नई तकनीक का उपयोग करने के बारे में प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा है। इसके लिए कौन पहल करेगा? क्यों न स्कूलों में दिए जाने वाले यूनिफॉर्म और मिड-डे-मील की तर्ज पर छात्रों को और शिक्षकों को भी, शैक्षणिक उपयोग के लिए, टैबलेट या कंप्यूटर दिए जाएं। इससे गरीब आर्थिक पृष्ठभूमि वाले स्कूल छात्र भी रिकॉर्डेड वीडियोज से पढ़ाई कर पाएंगे और उनके बस्ते का वजन भी घटेगा।

इसके अलावा छात्रों और शिक्षकों का अनुपात सुधरेगा। साथ ही, छात्रों को एआई जैसी तकनीकों के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकेगा। एआई का एक फायदा यह है कि आप स्टडी मैटीरियल को अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके डिफिकल्टी लेवल को आप अपनी समझ के हिसाब से सेट कर सकते हैं। कई बार नोट्स से लेकर बाकी स्टडी मैटीरियल तक इतना फैला और फंसा और उलझा होता है कि उसे शॉर्ट करके ठीक से अरेंज करने में ही बहुत समय चला जाता है। आप इसे भी यहां ठीक से, क्रम के मुताबिक अरेंज कर सकते हैं। शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस समय एक विवादास्पद विषय भी है। कई विद्वानों का तर्क है कि एआई शिक्षकों की जगह ले लेगा और शिक्षा के मानवीय तत्व को छीन लेगा। यह ठीक नहीं है बावजूद इसके, एआई में स्कूली शिक्षा के वर्तमान और भविष्य को बदलने की बेहतरीन क्षमता है। दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन शिक्षा जैसी गैर-पारंपरिक शिक्षा तक पहुंच को बढ़ावा देने में एआई उपयोगी साबित होगा। इससे ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को भी स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। शिक्षा के तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में, एआई एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में उभर रही है, जो छात्रों के सीखने और शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। बड़ी मात्रा में डेटा को संसाधित करने, व्यक्तिगत सीखने की जरूरतों के अनुकूल होने और शिक्षण पद्धतियों को बढ़ाने की अपनी क्षमता के साथ, एआई अभूतपूर्व तरीकों से शिक्षा को नया आकार दे रही है। वैयक्तिकृत शिक्षण अनुभवों से लेकर बुद्धिमान शिक्षण प्रणालियों तक, वर्तमान और भविष्य की शिक्षा पर एआई का प्रभाव गहरा और दूरगामी है। एआई शिक्षा को गहन तरीकों से बदल रहा है, व्यक्तिगत शिक्षण अनुभव प्रदान कर रहा है, शिक्षकों को सशक्त बना रहा है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच बढ़ा रहा है।

जैसे-जैसे हम शिक्षा में एआई के उभरते परिदृश्य को देखते हैं, तकनीकी प्रगति और प्रभावी शिक्षण और सीखने के लिए आवश्यक मानवीय स्पर्श को संरक्षित करने के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है। एआई की क्षमता का जिम्मेदारी से उपयोग करके, हम एक ऐसे शैक्षिक परिदृश्य को आकार दे सकते हैं जो वास्तव में सभी शिक्षार्थियों के लिए समावेशी, अनुकूली और सशक्त है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के जरिए छात्रों-विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता को समझते हुए उनके लिए जरूरी और सटीक पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। कोई छात्र कैसे सीख पा रहा है, इस पर गहन अध्ययन के आधार पर उनके लिए मॉडल बना कर सिखाने का नया पैटर्न विकसित किया गया है। वास्तव में यह एक क्रांति की तरह है, जिससे हर दिन लाखों छात्र लाभान्वित हो रहे हैं। एआई को अगर आने वाले समय की मुख्य जरूरत कहा जाए तो गलत नहीं होगा। पढ़ाई से लेकर बिजनेस तक कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां इसका इस्तेमाल नहीं होता है। समय के साथ लोगों की निर्भरता एआई पर बढ़ी है और आगे यह और बढ़ेगी। राज्य सरकारें स्कूल शिक्षा की विषय वस्तु में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की गहनता बढ़ाने के लिए उपयुक्त कदम उठाएं और शिक्षकों की इसमें ट्रेनिंग के लिए व्यवस्था करें, तो राज्यों के निरंतर विकास को गति दी जा सकेगी।

डा. वरिंद्र भाटिया

कालेज प्रिंसीपल

ईमेल : hellobhatiaji@gmail.com


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