एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर तक घूमती रही अर्जी, मकान पर गिर जाने तक नहीं कटा आम का पेड़

By: Apr 22nd, 2024 12:55 am

तीन दिन से मकान पर गिरे पेड़ को हटाने में प्रशासन नहीं दिखा रहा दिलचस्पी, पेड़ के भार से मकान जमींदोज हुआ तो हो सकती है बड़ी अनहोनी घटना

अजय ठाकुर- गगरेट
आम आदमी की फरियाद सरकारी चक्की में किस तरह पिस कर रह जाती है, इसकी बानगी देखिए…। उपमंडल गगरेट के कुठेड़ा जसवालां गांव में एक घर पर खतरा बनकर मंडरा रहे आम के पेड़ को काटने की अर्जी एक दफ्तर से लेकर दूसरे दफ्तर तक भटकती रही, लेकिन आम का पेड़ तब तक नहीं कटा। जब तक वह धराशयी होकर एक रिहायशी मकान पर नहीं गिर गया। अफसरशाही की संवेदनाएं भी ऐसे जमीं जैसे माइनस डिग्री तापमान पर पानी जमकर बर्फ हो जाता है। तीन दिन बीत जाने के बाद भी मकान पर गिरे आम के पेड़ को नहीं उठाया जा सका है। शायद इस बात का इंतजार हो रहा हो कि कोई बड़ी अनहोनी हो तब प्रशासन जागे। कुठेड़ा जसवालां गांव के साधारण परिवार की आशा देवी इस आशंका से पिछले कई दिनों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटती रही कि कहीं आम का पेड़ उसके मकान पर न गिरे और कोई अनहोनी हो जाएं। आशा देवी की अर्जी एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर तक घूमती रही और वन विभाग वाले इसे लोक निर्माण विभाग की जिम्मेवारी बताते हुए पल्ला झाड़ते रहे तो लोक निर्माण विभाग यह दलील देता रहा कि पेड़ काटने का काम उनके विभाग का नहीं है। पटवारी से लेकर तहसीलदार तक रिपोर्ट गई तो लोक निर्माण विभाग ने भी अपनी भूमि पर लगे पेड़ का काटने का अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी कर दिया। बात यहां तक भी नहीं बनी तो उपमंडलाधिकारी (नागरिक) ने भी पेड़ को काटने के यह कहते हुए आदेश जारी किए कि इससे जान-माल का नुकसान हो सकता है।

अब पेड़ कौन काटे इसे लेकर ही विभाग आपस में उलझे हुए थे कि शुक्रवार दोपहर बाद आए तेज तूफान के धक्के आम का पेड़ सहन नहीं कर पाया और पेड़ जड़ों सहित उखड़ते हुए आशा देवी के मकान व पशुशाला पर जा गिरा। गनीमत यह रही कि मकान जमींदोज नहीं हुआ। अन्यथा किसी बड़ी अनहोनी की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता। मकान में आ चुकी बड़ी-बड़ी दरारें बता रही हैं कि मकान अब रहने योग्य नहीं लेकिन किसी भी विभाग ने अभी तक भी मकान पर गिरे इस भारी भरकम पेड़ को वहां से हटाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। ऐसे में पेड़ के भार से ये मकान कभी भी जमींदोज हो सकता है। ऐसा उदासीन रवैया सरकारी विभागों में ही देखा जा सकता है। जहां किसी की जान की परवाह भी किसी को नहीं है। हालांकि राजस्व विभाग ने फौरी राहत के तौर पर पीडि़त परिवार को पंद्रह हजार रुपये तो दिए हैं, लेकिन नुकसान का आंकलन व नक्शा तभी बनेगा जब पेड़ मकान पर से हटे। महकमे भी पेड़ हटाने के लिए जरूरी औजार व साज-ओ-सामान न होने का राग अलाप रहे हैं। एसडीएम सौमिल गौतम ने कहा कि पेड़ को तत्काल मकान से हटाने के आदेश दिए गए हैं। पीडि़त परिवार को फौरी राहत के तौर पर पंद्रह हजार रुपए दिए गए हैं जबकि नुकसान का आकलन कर आर्थिक सहायता शीघ्र जारी की जाएगी। -एचडीएम


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