70 साल से पुल का इंतजार, जुगाड़ लील रहा जानें

By: Apr 21st, 2024 12:55 am

मंडी और द्रंग विधानसभा के लिए सेतु न होने से ब्यास में डूब रहे लोग, प्रशासन और सरकार कुभकर्णी नींद सोए

स्टाफ रिपोर्टर- मंडी
सदर और द्रंग विधानसभा क्षेत्र के बीच बहती ब्यास नदी पर आजादी के 70 सालों बाद भी नदी पार करने के लिए पुल नहीं बन पाया है। सदर और द्रंग के लोग विकास के इस युग में जान हथेली पर रख कर ब्यास नदी को ढिप्पी या फिर टायर की ट्युब के माध्यम से आर पार कर रहे हैं। ढिप्पी की कील कब टूट जाए या ट्यूब कब पलटकर ब्यास में बह जाए और नदी पार करने वाला व्यक्ति कब नदी में डूब जाए इसकी गारंटी भी सरकार के पास नहीं है। ऐसी ही एक घटना सदर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत तरनोह की घेरु बल्ह गांव में बीते शुक्रवार को पेश आई है जहां 53 वर्षीय रूपलाल की नदी में डूबने से मौत हो गई। उक्त व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ टायर की ट्यूब के माध्यम से ब्यास नदी को पार कर रहा था। मात्र पांच कदम दूरी रहते अचानक ट्यूब हवा के रूख से एक तरफ पलट गई इससे रूपलाल नदी में डूब गया और उसकी मौत हो गई। ऐसी कई घटनाएं यहां पेश आ चुकी है।

परंतु प्रशासन और सरकार बेखबर होकर कुभंकर्ण की नींद सोया है। आज दिन तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया है। हैरानी की बात तो ये है कि मंडी के विक्टोरिया ब्रिज से लेकर कून कातर तक ब्यास नदी के करीब 30 किलोमीटर दायरे में एक भी फु ट ब्रिज नहीं बना है। यहां फुट ब्रिज या फिर पुुल बनाने के लिए स्थानीय लोग कई मर्तबा पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य, पूर्व मंत्री कॉल सिंह ठाकुर, सदर विधायक अनिल शर्मा से मांग कर चुके हैं पंरतु यह मंाग सिर्फ मांग पत्रों तक ही सीमित रह जाती है। कहने के लिए तो ग्राम पंचायत तरनोह के तहत डोलरा, सदोह बल्ह और कोट तुंगल के मटयाहल में ब्यास नदी पर झूले लगे हुए थे। मगर अगस्त 2023 में आई प्रलयकारी बाढ़ में ब्यास नदी में लगे तीन झूले और उसके साथ कून का तर में लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाया गया बस योग्य पुल भी बह गया।

पौने चार करोड़ की डीपीआर के बाद भी हालात जस के तस
सदर विधानसभा क्षेत्र के अंर्तगत आने वाली पंचायत तरनोह की प्रधान अनामिका ने बताया कि बहुत समय पहले सरकार ने ब्यास नदी के बीच पुल बनाने के लिए पौने चार करोड़ की डीपीआर तैयार की थी। पंरतु बाद में किन्ही कारणों से यह पुल नहीं बन पाया। स्थानीय लोग कई मर्तबा नेताओं और प्रशासन को पुल बनाने के लिए मांग पत्र सौंप चुके हैं परंतु आज तक उनकी मांगों क ो पूरा नहीं किया गया है। 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री शांता कुमार ने डोलरा के पास ब्यास नदी पर झूला पुल लगाने की स्वीकृत दी थी। जिसका निर्माण कार्य भी शुरू हुआ था। मगर दिसंबर 1992 में हिमाचल में भाजपा सरकार गिर गई और सरकार के गिरने के तुरंत बाद पुल निर्माण में जो सरिया, सीमेंट व अन्य सामग्री निर्माण स्थल पर रखी गई थी उसे वहां से उठा दिया गया और निर्माण कार्य रोक दिया गया ।


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