मौसम बना मुसीबत…खेती खतरे में

By: Apr 30th, 2024 12:17 am

खेतों में भीगी गेहूं की फसल, किसानों को भारी नुकसान, फिर बहाना पड़ेगा पसीना

स्टाफ रिपोर्टर-ऊना
अगर फसलों में पडऩे वाली बीमारियों को छोड़ दिया जाएं तो हर बार किसानों को मौसम की मार के कारण लाखों रुपयों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। कभी सूखे के कारण तो कभी भयंकर तूफान से तो कभी अंधड़ भरी बारिश से। जिला ऊना में अगर गेहंू की फसल की बात करें तो रविवार व सोमवार को हुई बारिश से जमींदारों को भारी नुकसान हुआ है। सैकड़ों किसानों की खेतों में खुली व लट्ठों में बांधी हुई गेहूं की फसल खराब हो गई तो बहुत सारे जमींदारों के खेतों में पड़ा पशुचारा बारिश की भेंट चढ़ गया। जिससे सैकड़ों क्विंटल पशुचारा भीगने से खराब हो गया। इससे पहले जिला ऊना में सूखे के कारण करीब पांच हजार हेक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी। उसके बाद पीला रतुआ पडऩे से भी सैकड़ों किनाल भूमि पर फसल को नुकसान हुआ था। इसके बाद भयंकर अंधड़ भरी बारिश से 40 फीसदी किसानों की गेहूं की फसल खेतों में ही गिर गई। अब जब किसानों ने गेहूं की फसल की कटाई शुरू की तो बारिश होने से किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। इसके बाद जिन किसानों कंबाइन से गेहूं की फसल की कटाई करवाई थी, उन किसानों ने अभी दूसरी मशीन से पशुचारा खेतों से लेना था। परंतु बारिश होने से खेतों में गेहूं की ऊपर-ऊपर से कटाई के बाद शेष खड़ा पशुचारा खराब हो गया था। जिसे अब तूड़ी बनाने वाली मशीन से काटना मुश्किल है। बता दें कि जब कंबाइन से गेहूं की फसल की कटाई की जाती है तो खेतों में पशुचारा नीचे ही रह जाता है और उसे दूसरी मशीन से काटा जाता है, लेकिन अब बारिश होने से खेतों में खड़े पशुचारे की नलियों में पानी भरने से वह डीला पड़ जाता है और खेतों में गिर जाता है। जिससे तूड़ी बनाने वाली मशीन से उसे काटना मुश्किल हो जाता है।

तब उसे किसानों को मजबूरी में जलाना पड़ता है कि फिर बहाई कर खेतों में ही खाद-मिट्टी के रूप में मिला दिया जाता है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिला ऊना में 35,514 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल की पैदावार होती है। जहां से प्रति वर्ष किसानों को 80 हजार मीट्रिक टन के करीब गेहूं की पैदावार होती है और करीब 8 लाख क्विंटल पशुचारा(तूड़ी) निकलती है। 35,514 हेक्टेयर भूमि में 20941 हेक्टेयर गैर सिंचित क्षेत्र व 14573 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र शामिल है। इनमें से गैर सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की फसल बारिश के भरोसे होती है।कंबाइन से पहले ही फसल की कटाई करने से जिला में पशुचारे का संकट गहरा रहा है तो अब बारिश ने पशुचारा संकट पर मोहर लगा दी है। गेहूं की कटाई से पहले पंजाब से हिमाचल का रही तूड़ी का सबसे अधिकतम मूल्य 1150 रुपये प्रति क्विंटल रहा। जिसे खरीदना जिला के पशुपालकों के लिए किसी भी तरह से आसान नहीं रहा, लेकिन मजबूरी के चलते पशु पालकों को 1150 रुपये प्रति क्विंटल में खरीदना पड़ा, जो पशु पालकों के लिए घाटे का सौदा रहा। इस वर्ष भी लोकल तूड़ी के कम निकलने से पशु पालकों को पंजाब से आने वाले वाहनों से तूड़ी खरीदनी पड़ेगी। प्रदेश किसान सभा के जिलाध्यक्ष रणजीत सिंह ने कहा कि जिला ऊना में लोकल तूड़ी का मूल्य 400 से 450 रुपये निकला है। इसके साथ एक एकडसे 12 से 13 हजार की 20 से 25 क्विंटल तूड़ी होती है। पंजाब से आयात होने वाली तूड़ी(पशुचारा)600 रुपये क्विंटल है, जिसे भी गाड़ी चालक खुले में फैंक रहे हैं। इसके अलावा 550 रुपये प्रति क्विंटल तूड़ी डाल बेचने के फेंक रहे हैं।

आज से खुल जाएगा मौसम, बारिश की बहुत कम उम्मीद

मौसम विशेषज्ञ विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि जिला ऊना में मंगलवार से मौसम खुल जाएगा। हालांकि जिला में हल्के बादल मंडराते रहेंगे, लेकिन बारिश होने की बहुत कम उम्मीद है। मौसम खुलने से बारिश के कारण जिन लोगों के कार्य प्रभावित हुए हैं, वे उन्हें मौसम खुलने के बाद कर सकेंगे।


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