जब वीरभद्र सिंह ने कहा, संतरा नहीं सेब बनकर आना

By: Apr 17th, 2024 12:10 am

कांग्रेस खेमे में टिकट के लिए मारामारी, साल 2012 में भी दावेदारी के लिए कुछ ऐसी ही बनी थी तस्वीर

स्टाफ रिपोर्टर-गगरेट
विधानसभा क्षेत्र गगरेट में हो रहे उपचुनाव को लेकर कांग्रेस खेमे में जिस प्रकार टिकट को लेकर मारामारी दिख रही है, ठीक ऐसा ही नजारा वर्ष 2012 में भी देखने को मिला था। पुनर्सीमांकन के चलते आरक्षित श्रेणी से अनारक्षित श्रेणी में आए विधानसभा क्षेत्र गगरेट में भी उस समय टिकट के इतने दावेदार उठे कि कांग्रेस पार्टी के लिए भी यहां से टिकट का चयन सिरदर्द बन गया। उस समय भी धरतीपुत्र को टिकट देने का नारा बुलंद हुआ लेकिन सभी को पछाड़ते हुए उस समय राकेश कालिया न सिर्फ यहां से टिकट हासिल करने में कामयाब हुए थे बल्कि चुनाव जीतकर प्रदेश में कांग्रेस सरकार के गठन में भी विधानसभा क्षेत्र गगरेट भागीदार बना था। पुनर्सीमांकन के बाद विधानसभा क्षेत्र गगरेट कई साल बाद आरक्षित श्रेणी से अनारक्षित श्रेणी में आया था। जैसे ही गगरेट विधानसभा क्षेत्र अनारक्षित श्रेणी में आया तो यहां से अनारक्षित वर्ग से कई हाथ कांग्रेस टिकट पाने के लिए उठ खड़े हुए थे। उस समय स्थानीय सताईस कांग्रेस नेताओं द्वारा एकता मंच का गठन कर कांग्रेस टिकट के लिए धरतीपुत्र का नारा दिया गया था।

हालांकि कांग्रेस टिकट पाने के लिए स्थानीय नेताओं ने एकता दिखाने का भी प्रयास किया। उस समय कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह विधानसभा क्षेत्र हरोली के एक दिवसीय दौरे पर आए थे। इस दौरान एकता मंच के नेता बीटन में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ मिले और उनके समक्ष स्थानीय उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारने के लिए अपना दावा पेश किया था। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समक्ष किसी भी स्थानीय नेता को टिकट देने की पैरवी करने पर वीरभद्र सिंह ने मजाकिया लहजे में कहा था कि मेरे पास संतरा बनकर नहीं बल्कि सेब बनकर आना। उनके कहने का तात्पर्य यह था कि बाहर के दिखावे के लिए ही एका न हो बल्कि अंदर से भी एक होकर आना। इसके बाद जब टिकट वितरण के लिए दिल्ली में बैठकों का दौर शुरू हुआ तो स्थानीय नेताओं ने भी दिल्ली में डेरा जमा लिया। इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आपसी सहमति करके किसी एक उम्मीदवार को निकाल कर उनके पास लाने को कहा। बेशक कुछ स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने एक नाम निकाल कर वीरभद्र सिंह के समक्ष दावा प्रस्तुत कर दिया लेकिन इसका पता चलते ही कुछ स्थानीय नेताओं ने वीरभद्र सिंह ने समक्ष उसे सबसे कमजोर प्रत्याशी करार दे दिया। जिस पर वीरभद्र सिंह उनकी एकता की कहानी समझ गए और यहां से राकेश कालिया को चुनाव मैदान में उतारा गया। राकेश कालिया उससमय वीरभद्र सिंह की आकांक्षाओं पर खरा उतरते हुए यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे। इस बार भी स्थिति कुछ वैसी ही बनी है। इस बार भी करीब दस स्थानीय नेता कांग्रेस टिकट मांग रहे हैं लेकिन किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है


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