कोड ऑफ कंडक्ट के नाम पर ज्वाइनिंग-प्रोमोशन क्यों रोकी

By: Apr 30th, 2024 12:08 am

प्रदेश हाई कोर्ट ने पदोन्नति से जुड़े मामले का निपटारा कर सुनाया फैसला

कर्मचारियों की नियुक्ति-प्रोमोशन को स्पष्ट निर्देश जारी करें मुख्य सचिव

विधि संवाददाता — शिमला

प्रदेश हाई कोर्ट ने आदर्श आचार संहिता के कारण कर्मचारियों की नियुक्तियां और पदोन्नतियां रोके जाने को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव को इस बाबत स्पष्ट निर्देश जारी करने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा कि मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट को अघोषित पेन डाउन स्ट्राइक भी कहा जा सकता है, जिसकी आड़ में सरकार के रूटीन सहित सामान्य कार्य भी रोक दिए जाते हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने पदोन्नति से जुड़े मामले का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किए। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट की आड़ में रोकी गई कर्मचारियों की नियुक्तियों और पदोन्नतियों से जुड़े मामलों की बाढ़ आ गई है। कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार इस संबंध में जरूरी निर्णय ले। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश देते हुए कहा कि वह सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश जारी कर साफ करें कि आदर्श आचार संहिता एक ऐसा दस्तावेज है, जिससे सरकार अथवा जनता के नियमित कार्यों में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती। पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रार्थी सतिंद्र कुमार के अनुसार विश्विद्यालय में पहली नवंबर, 2017 को सुपरिंटेंडेंट ग्रेड-2 के खाली हुए पद के लिए उन्हें पात्रता के बावजूद कंसीडर नहीं किया गया। 30 नवंबर, 2017 को वह बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो गए।

30 दिसंबर, 2017 को उन्होंने एक प्रतिवेदन प्रस्तुत कर उसे पहली नवंबर, 2017 से पदोन्नत किए जाने की मांग की, जिसे विश्विद्यालय ने खारिज करते हुए कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद नियमानुसार पदोन्नति नहीं दी सकती। दूसरा कारण बताते हुए विश्विद्यालय का कहना था कि 12 अक्तूबर, 2017 को हिमाचल प्रदेश मुख्य चुनाव अधिकारी ने विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी थी, जिस कारण प्रदेश में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो गया। इस कारण प्रार्थी को पदोन्नत नहीं किया जा सका और वह चुनाव आचार संहिता के लागू रहते अपने पद से सेवानिवृत्त हो गया। कोर्ट ने विश्विद्यालय की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट की आड़ में प्रार्थी को उसके कानूनी लाभों से कैसे रोका जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि यह विश्विद्यालय का कानूनी और संस्थागत कत्र्तव्य था कि वह समय रहते खाली होने वाले पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर देता। कोर्ट ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकारते हुए उसे नियत तिथि से पदोन्नत करने के आदेश जारी किए।

एचआरटीसी के कार्यकारी निदेशक को कोर्ट में पेश होने के आदेश

शिमला — प्रदेश हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्ति के बाद विभागीय जांच शुरू करने के मामले में हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक विवेक चौहान को मंगलवार को अदालत में पेश होने के आदेश जारी किए। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने मदनलाल द्वारा दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई के पश्चात यह आदेश पारित किए। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी एचआरटीसी से बतौर असिस्टेंट मैनेजर स्टोर 30 जून, 2022 को रिटायर हुआ था। रिटायरमेंट के बाद उसे सेवानिवृति लाभ नहीं दिए इसलिए उसे मजबूरन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। हाई कोर्ट ने एचआरटीसी को प्रार्थी के सेवानिवृत्त लाभ अदा करने के आदेश जारी किए थे। हाई कोर्ट के आदेशों पर अमल करने की बजाए पथ परिवहन निगम ने प्रार्थी के सेवानिवृत्ति लाभ अदा करने की बजाय उसके खिलाफ 3,98,000 रुपए की वसूली बाबत जांच शुरू कर दी। कोर्ट ने प्रार्थी के खिलाफ सेवानिवृत्ति के पश्चात शुरू गई जांच को कानून की दृष्टि से गलत पाए हुए एचआरटीसी से स्थिति स्पष्ट करने बारे आदेश जारी किए। इसके बावजूद एचआरटीसी ने प्रार्थी के खिलाफ शुरू की गई विभागीय जांच को सही ठहराते हुए ऐसे नियम का हवाला दिया जिसे रद्द किया जा चुका है। कोर्ट ने एचआरटीसी के स्पष्टीकरण से संतुष्ट न होने पर उपरोक्त आदेश पारित किए।


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