नगर निगम में शामिल होना है या नहीं, पहले लोगों से पूछेंगे

By: Apr 2nd, 2024 12:17 am

लॉ की आपत्ति के बाद अब ऑब्जेक्शन के लिए 30 दिन मिलेंग

दिव्य हिमाचल ब्यूरो—शिमला
मशोबरा और ब्यूलिया के लोगों को नगर निगम शिमला में शामिल होना है या नहीं? इसके बारे में अब पहले लोगों से ही पूछा जाएगा। दरअसल, राज्य मंत्रिमंडल ने दो मार्च, 2024 को हुई कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया था कि ग्राम पंचायत मशोबरा और ब्यूलिया के कुछ और क्षेत्र को नगर निगम में शामिल कर लिया जाए। इसकी मंजूरी लोगों को बिना पूछे ही दे दी थी। मंत्रिमंडल ने तब तर्क दिया था कि क्षेत्र के निवासियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए ऐसा करना जरूरी है, लेकिन विधि विभाग ने इस फैसले पर दो मुख्य आपत्तियां लगा दी थी। विधि विभाग का कहना था कि पंचायती राज एक्ट के तहत यदि किसी क्षेत्र को पंचायती राज क्षेत्र से हटाकर अर्बन लोकल बॉडी यानी शहरी विकास के तहत लाना है, तो पहले लोगों से आपत्तियां एवं सुझाव मांगे जाना जरूरी हैं। इसके लिए 30 दिन का वक्त दिया जाना कानूनन आवश्यक है। पंचायती राज कहता है कि इसके लिए ग्राम सभा से पारित प्रस्ताव की भी जरूरत होती है।

दूसरी आपत्ति यह थी कि यदि नगर निगम के चुनाव होने के बाद इन क्षेत्रों को नगर निगम में डाला जा रहा है तो इनका प्रतिनिधित्व कौन करेगा? कानून के मुताबिक छह महीने से ज्यादा कोई भी क्षेत्र बिना प्रतिनिधित्व के नहीं हो सकता, इसलिए नगर निगम चुनाव से पहले होने वाले परिसीमन में इस मर्जर को क्यों नहीं लिया गया? विधि विभाग की ओर से यह पति लगने के बाद अब शहरी विकास विभाग लोगों से आपत्तियों का प्रक्रिया शुरू कर रहा है। यानी अब लोगों से ही पूछा जाएगा कि वह नगर निगम के दायरे में आना चाहते हैं या नहीं? हालांकि यह सारी प्रक्रिया कैबिनेट में मामला ले जाने के बाद अपनी जानी चाहिए। शहरी विकास विभाग के सूत्रों का कहना है कि इस फैसले को लेने में सचिवालय के स्तर पर ही जल्दबाजी हुई है, इसलिए प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी।

ये रेललाइन बन रही है या नगर निगम में मर्जर?
कैबिनेट में हुए फैसले के बाद पंथाघाटी के पास ब्यूलिया में जिस क्षेत्र को अब नगर निगम में लिया जा रहा है, वह चुनिंदा खसरा नंबर पर आधारित है। इसके मैप से ऐसा लगता है कि जैसे रेल लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण हो रहा हो या फिर पूर्व निर्धारित किसी भवन या क्षेत्र को नगर निगम में लिया जा रहा है, जबकि इसके आसपास का क्षेत्र छोड़ दिया गया है। सूत्र कहते हैं कि पंचायती राज क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने से इसमें अपार्टमेंट एक्ट लागू हो जाएगा, जिससे टेनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म एक्ट की धारा 118 से एक तरह से छूट मिल जाएगी।


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