2 साल चाइल्ड केयर लीव, कब होगा फैसला, जानें

By: May 9th, 2024 4:47 pm

राज्य ब्यूरो प्रमुख-शिमला

हिमाचल सरकार में महिला कर्मचारियों को 2 साल की चाइल्ड केयर लीव देने को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक 15 मई को बुलाई गई है। सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले के बाद वित्त विभाग ने इस प्रक्रिया को शुरू किया था। इस बैठक में तय होगा कि राज्य सरकार इस मामले में आगे क्या रुख अपनाएगी? सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लेने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाने को कहा है, जिसमें तीन और मेंबर जोड़े गए हैं। वर्तमान में हिमाचल सरकार सीसीएस लीव रूल्स में प्रावधान होने के बावजूद हिमाचल में चाइल्ड केयर लीव नहीं देती, क्योंकि इसे यहां अडॉप्ट ही नहीं किया गया है।

यह मामला हिमाचल हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए राज्य की महिला कर्मचारियों को दो साल की चाइल्ड केयर लीव सुविधा उपलब्ध करवाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं, जिसमें स्टेट कमिश्नर डिसेबिलिटी एक्ट, सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग और सचिव सोशल वेलफेयर विभाग को मेंबर लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई, 2024 तक इस कमेटी को रिपोर्ट कोर्ट को भी देने को कहा है। मामले की सुनवाई अब पांच अगस्त, 2024 को होगी। इससे पहले राज्य सरकार को अंतिम निर्णय लेना होगा। यह फैसला शालिनी धर्माणी बनाम स्टेट ऑफ हिमाचल प्रदेश केस में आया है। दरअसल, भारत सरकार सेंट्रल सिविल सर्विस लीव रूल्स 1972 के रूल 43-सी के तहत महिला कर्मचारियों को दो साल की चाइल्ड केयर लीव देती है। 730 दिन की इस छुट्टी के दौरान पूरी सैलरी मिलती रहती है।

इस छुट्टी को एक से ज्यादा समय भी लिया जा सकता है, लेकिन हिमाचल सरकार में वित्त विभाग ने रूल 43 सी को अडॉप्ट नहीं किया था। तब यह तर्क दिया गया था कि यह छुट्टी देने पर दो साल तक न तो वैकेंसी भरी जा सकेगी, न ही दफ्तर का काम चलेगा। नालागढ़ कालेज में ज्योग्राफी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर रही शालिनी धर्माणी ने अपने बीमार बेटे के मामले का हवाला देते हुए हिमाचल हाई कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर की थी। इसमें राज्य सरकार ने कहा था कि चाइल्ड केयर लीव यहां अप्लाई नहीं होती। इसी तरह के आधार पर हाई कोर्ट ने 23 अप्रैल, 2021 को इस याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन केस के दौरान यह भी पता चला कि राइट्स ऑफ पर्सन विद डिसेबिलिटी एक्ट 2016 के प्रावधानों के अनुसार मिलने वाली इसी तरह की छुट्टियों को रोक नहीं जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर, 2022 को आरपीडब्ल्यूडी एक्ट के तहत कमिश्नर को नोटिस जारी कर और जानकारी मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला कर्मचारियों को इस प्रावधान से अलग नहीं किया जा सकता।


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