जमा वाटर सेस रिफंड करने पर रोक, सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत
दिव्य हिमाचल ब्यूरो — शिमला
हिमाचल सरकार के पास जमा हो चुके वाटर सेस को रिफंड करने के हिमाचल हाई कोर्ट के आदेशों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। हालांकि यह रोक 11 जुलाई को तय की गई अगली सुनवाई तक ही है। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगवाई वाली खंडपीठ ने यह राहत दी है। हिमाचल सरकार हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन समेत अन्य बिजली कंपनियों को भी नोटिस जारी किया है। हिमाचल हाई कोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार दिए जा चुके वाटर सेस को बचाने के लिए हिमाचल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने वाटर सेस के माध्यम से 3829 करोड़ कमाने का लक्ष्य रखा था। अभी खाते में 37 करोड़ ही आए थे कि बिजली कंपनियों के हिमाचल हाई कोर्ट जाने के बाद कोर्ट ने इसे संवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया। कुल 39 बिजली कंपनियों ने हिमाचल हाई कोर्ट का रुख किया था। इन 39 बिजली कंपनियों को अब चार याचिकाओं में बांट दिया गया है।
यानी राज्य सरकार की तरफ से चार एसएलपी दायर की गई हैं। हिमाचल सरकार द्वारा लगाया गया वाटर सेस कुल 172 बिजली परियोजनाओं पर लागू होना था। इनमें से 24 बड़ी बिजली कंपनियां हैं। अब तक जलशक्ति विभाग के पास कुल 37 करोड़ वाटर सेस के एकत्र हुए थे और इनमें से भी अधिकांश पैसा सरकारी बिजली प्रोजेक्टों का है, जो बिजली बोर्ड या ऊर्जा निगम इत्यादि के पास हैं। कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के संसाधन बढ़ाने के नाम पर यह फैसला लिया था, लेकिन सरकार को पांच मार्च, 2024 को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा था।
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