सुलगता सवाल…मणिकर्ण बस स्टैंड ‘गायब’

By: May 27th, 2024 12:16 am

चुनावों में बनने लगा मुद्दा, इस बार राजनेताओं की कड़ा इम्तिहान, दो दशक से किसी ने नहीं ली सुध

कार्यालय संवाददाता-कुल्लू
अंतरराष्ट्रीय पर्यटक नगरी कुल्लू के मनाली के बाद दूसरे सबसे बड़े डेस्टिनेशन मणिकर्ण में आधुनिक बस स्टैंड बनाने को दो दशकों से सियासी मुहूर्त नहीं निकल पा रहा है। पार्वती घाटी हजारों युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर पैदा करने वाला क्षेत्र तो बना हैए लेकिन सियासतदानों को इन मूलभूत सुविधाएं तक जुटाने में सुस्ती भारी पड़ रही है। लिहाजा एक ओर घाटी के सडक़ नेटवर्क के जख्म कभी नहीं भर रहे हैं तो मणिकर्ण का बस स्टैंड कागजों में ही जैसे चिपक गया है। साल 2002 में स्पेशल एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी साडा के तहत मणिकर्ण को शामिल करने के बाद यहां आधारभूत सुविधाएं सैलानियों को दिलाने के लिए आधुनिक व बहुमंजिला बस स्टैंड की योजना बनाई गई थी। इस योजना के मुताबिक बस स्टैंड में सैकड़ों वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था होनी प्रस्तावित है तो ऊपरी मंजिलों में दुकानें और विभिन्न कार्यालयों को स्थापित किया जाना था, लेकिन सियासी खिचड़ी में दाल अभी तक गल नहीं रही है। जानकारी के अनुसार हालांकि इसकी भूमि अधिग्रहण व जमीन को बस अड्डा प्राधिकरण के नाम करने की प्रक्रिया करीब पूरी हो चुकी है, लेकिन अभी भी इसके पूरी तरह बनने में सालों के इंतजार की बातें कही जा रही हैं।

साडा के तहत विकास के हवाई दावों से वोटरों को सब्जबाग भाजपा और कांग्रेस की ही सरकारें और नेता दो दशकों से दिखा रहे हैंए लेकिन धरातल पर काम की सुस्ती लोगों को चिढ़ा रही है। लिहाजाए अब विधानसभा चुनावों के लिए नेता वोटरों की चौखट पर जा रहे हैं तो मणिकर्ण में ये अधूरे वादों की लिस्ट लेकर वोटर भी तैयार हो गए हैं। आंकड़ों के अनुसार पार्वती घाटी में हर साल हर साल 35 से 40 लाख सैलानी घूमने के लिए आते हैं और मणिकर्ण इनका प्रमुख केंद्र रहता है। इसके अलावा बरशैणी, खीरगंगा, मलाणा की ओर सैलानी जाते हैं। मनाली के बाद घाटी में सबसे ज्यादा सैलानी जाते हैं। घाटी के कारोबारी सरकार से कई सालों से आधारभूत सुविधाएं प्रदान करने की मांग उठा रहे हैं। लेकिन सरकारें अपनी राजनीति से आगे कुछ सोचने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं। मणिकर्ण में वर्तमान में करीब तीन सौ वाहनों को पार्क करने की व्यवस्था है और लिहाजा इससे कई गुना वाहन सडक़ों पर ही जहां कहीं खड़े करने पड़ते हैं। यहां पर सैलानियों को शौचालय तक की बेहतर सुविधा नहीं मिल पाती हैए जिसके कारण कई सैलानियों को परेशानी होती है और यह घाटी के पर्यटन कारोबार को प्रभावित कर रहा है। वोटरों का कहना है कि अबकी बार वोट मांगने के लिए आने वालों को मणिकर्ण का हिसाब किताब का ब्यौरा भी साथ लाना होगा। बहरहाल, मणिकर्ण में आधुनिक बस स्टैंड सियासी मुहूर्त का इंतजार कर रहा है।

मणिकर्ण में बस स्टैंड समय की जरूरत
जां पंचायत के उपप्रधान एवं उपप्रधान संघ भुंतर ब्लॉक के अध्यक्ष सेस राम का कहना है कि धार्मिक एवं पर्यटन स्थल मणिकर्ण में बड़े बस स्टैंड की जरूरत है। यहां पर काफी लंबे समय से बस स्टेंड को लेकर दावे तो किए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर अत्याधुनिक बस स्टैंड को लेकर कोई काम नहीं हो रहा है, जिससे लोगों में इस बार निराशा है।

औपचारिकताओं से आगे नहीं सरकी गाड़ी
मणिकर्ण पंचायत के पूर्व प्रधान देवानंद ने कहा कि जब वह पंचायत के प्रधान थे तो इस दौरान भी सरकार और प्रशासन के समक्ष अत्याधुनिक बस स्टैंड को लेकर मुद्दा रखा था। लेकिन इसके बाद औपचारिकताएं भी शुरू हुई थी, लेकिन फिर मुद्दा गायब हो गया है।


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