जंगल हुए राख, धुआं-धुआं आसमान

By: May 23rd, 2024 12:55 am

दो दिन से लगातार सुलग रहे नगरोटा बगवां के जंगल, हर साल आने वाली विपदा से निपटने के लिए नहीं है कोई ठोस नीति
कार्यालय संवाददाता-नगरोटा बगवां
पिछले दो दिनों से बुरी तरह से सुलग रहे जंगलों की आग से जहां समूचे वातावरण में धुएं के गुब्बार देखने को मिल रहे हैं वहीं एक साथ भडक़ उठी कई हेक्टेयर वन भूमि से इतना तो साफ है कि इस दिशा में वन विभाग तथा सरकार की ओर से उठाए जाने वाले कदम न केवल नाकाफी बल्कि कागजी भी साबित हो रहे हैं। सोमवार के बाद मंगलवार को भी जहां मस्सल, मलां, रझू, झरेट, घीण, छिद्र के जंगल लगातार भडक़ते रहे वहीं, चंगर क्षेत्र का शायद कोई ही वन ऐसा हो जो आग की लपटों में न झुलसा हो। जानकारी के मुताबिक सरोतरी के मतयाल, भलूणा, परेड़ , सुन्ही का टिकरी, भुंडा, कसेडक़ड़, केरटा, बड़ोह कालेज क्षेत्र, कुट, दुडू, टोरु, सरूट, खर्ट तथा जंद्रह आदि ऐसे वन क्षेत्र हैं जहां वन संपदा को खासा नुकसान हुआ है । गत दिनों बड़ोह कालेज परिसर में पहुंच चुकी जंगल की आग ने सनसनी फैलाई तो इससे पहले चंगर क्षेत्र की सरूट पंचायत में कई रिहायशी मकान आग की भेंट चढ़ गए।

आलम यह है कि मानवीय गलती से भडक़ रहे जंगलों को आग से बचाने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा जबकि बिरोजा युक्त हरे चीड़ के पेड़ों को कई दिनों तक सुलगते देखा जा सकता है। इस दौरान नए पौधे भी आग की भेंट चढ़ रहे हैं तथा हर ओर वातावरण में धुंआ ही धुंआ देखने को मिल रहा है। विभाग का वर्षों से यही कहना है कि आग बुझाने में आम लोग सहयोग नहीं कर रहे इसलिए सीमित स्टाफ के चलते विभाग को सफलता नहीं मिल पा रही। जबकि आम लोगों का कहना है कि सरकार व विभाग हर साल आने वाली विपदा से निपटने के लिए ठोस व स्थायी नीति बनाए क्योंकि बीते अनुभवों से यह साफ हो जाना चाहिए कि फायर सीजन में कर्मियों की छुट्टियां रद्द करने के बयान मात्र से कुछ होने वाला नहीं है।


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