Himachal Election: कुल्लू में चुनौती का चुनाव

By: May 27th, 2024 12:16 am

बीस झूला पुल पार कर मतदान के लिए पोलिंग स्टेशन पहुंचेंगी पार्टियां, सैंज में ज्यादा संकट

कार्यालय संवाददाता-कुल्लू
लोकसभा चुनाव ड्यूटी के दौरान इस बार पोलिंग पार्टियों को कड़ी चुनौतियों के दौर से गुजरना होगा। जिला कुल्लू में पोलिंग पार्टियों को उफनते नदी-नाले पार कर पोलिंग बूथ पहुंचना होगा। यही नहीं जोखिम भरे झूला पुलों से होकर चुनाव ड्यूटी देनी होगी। वहीं, झूला पुलों और उफनते नदी-नालों से होकर चुनाव सामग्री को भी ले जाना होगा। हैरानी की बात यह है कि नेता इस बारे तो खामोशी साधे बैठे। लोकसभा चुनाव में अपनी-अपनी सीटें जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रमुख पार्टियों के नेता खब प्रचार करते नजर आ रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोपों की एक-दूसरे पर झडिय़ां लगा रहे हैं। बस नेताओं को वोट चाहिए। लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि वोटिंग करवाने वाली पोलिंग पार्टियों और वोट देने वाली जनता को इस बार कितनी कठिन-भौगोलिक परिस्थितियों से गुजरना होगा। जिला कुल्लू के पोलिंग बूथों तक पहुंंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को कई दिक्कतों के दौर से गुजरना होगा। इतिहास में पहली बार 2023 की आपदा के कहर के दंश से 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान पोलिंग पार्टियों को गुजरना होगा।

पोलिंग पार्टियों में कई कर्मियों को झूला पुल पार करना नहीं आता होगा, तो उसे बड़ी दिक्कतों का सामना करना होगा। इसके लिए प्रशासन को कर्मियों को सुरक्षित पोलिंग स्टेशनों तक पहुंचाने के लिए कुछ इंतजाम करने होंगे। हालांकि नेताओं को वोटिंग तो शत-प्रतिशत चाहिए, लेकिन इस बार पोलिंग पार्टियों को पोलिंग बूथों तक पहुंचने और फिर वोटिंग के बाद वापस आने के लिए कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इससे नेताओं को कोई लेना-देना नहीं है। हैरानी तो इस बात की है कि नेताओं ने चुनाव का बिगुल बजने के बाद ही एक-दूसरे पर जनता को रिझाने के लिए आरोप-प्रत्यारोप शुरू किए हैं। लेकिन जनता और पोलिंग पार्टियों को चुनावों के दौरान किन परिस्थितियों से गुजरना होगा, इस पर भी किसी भी तरह की गंभीरता नहीं दिखाई गई। बता दें कि जिला कुल्लू में जुलाई 2023 में नदी-नालों में आई भयंकर बाढ़ से वैली ब्रिज बह गए हैं। वहीं, इसके बाद आज दिनों तक पुल नहीं लगाए गए हैं। सरकार, प्रशासन की अनेदखी से आज सरकारी कर्मियों और आम जनता को चुनावी बेला के दौरान कड़ी चुनौती से गुजरना होगा। बता दें कि जिला में कहर से 20 से अधिक पुल बह गए हैं। इनकी जगह झूला पुल बनाए गए हैं।

इतने लंबे हैं झूला पुल
तरेड़ा गांव को जोडऩे वाला 90 मीटर लंबा झूला पुल सैंज खड्ड पर लगाया जा चुका है। इसी प्रकार सैंज बाजार को जोडऩे वाला 70 मीटर लंबा झूला पुल भी यहीं बनाया है। रोपा में 90 मीटर लंबा झूला पुल है। न्यूली गांव को जोडऩे के लिए 70 मीटर व सपंगानी सहित अन्य जगह पर लगाए झूला पुल भी लंबे हैं।

यहां इतने झूला पुल
बता दें कि जिला कुल्लू की सैंज घाटी में ही 9 झूला पुल नदी के ऊपर बनाए गए हैं। जनता पिछले दस महीनों से जोखिम भरा सफर करने को मजबूर हैं। वहीं, इसके अलावा मणिकर्ण घाटी कटागला सहित अन्य क्षेत्रों में भी झूल पुल लगाए हैं। यही नहीं ऊझी घाटी में भी कई जगह झूला पुल हैं।

सैंज में यहां-यहां हैं झूला पुल की चुनौती

शाक्टी तक चेनंगा, न्यूली, चतेहड़ा, सतेश, रोपा, बिहाली,सपागणी, त्रेहड़ा में बने लकड़ी के पुल दस महीने पहले प्राकृतिक आपदा में बह चुके हैंं, लेकिन लेकिन दोबारा पुलों का निर्माण नहीं हो पाया है। प्रशासन ने फौरी तौर पर सात स्थानों पर झूला पुल जरूर लगाए हैं, लेकिन स्थायी पुल लगाने की दिशा में प्रयास नहीं हो हुए हैं। ऐसे में सैंज घाटी की 17 ग्राम पंचायतों के हजारों ग्रामीण झूलों के सहारे हैं और पोलिंग पार्टियों को भी इस बार झूलों पर जोखिम भरा सफर करना होगा। कटागला की तरफ भी झूला पुल से पोलिंग पार्टियों को जाना होगा।


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