देवताओं की भव्य जलेब के साथ कुथाह मेले का आगाज

By: May 23rd, 2024 12:56 am

जिलाधीश मंडी अपूर्व देवगन ने की मुख्यातिथि के रूप में शिरकत
निजी संवाददाता-थुनाग
सराज घाटी का प्रसिद्ध जिला स्तरीय कुथाह मेले का शुभारंभ बुधवार को विधिवत रूप से हुआ। मेले में ब्रह्मदेव तुंगासी देवी महामाया, भुमासी और देव श्रृंगऋषि की जलेब के साथ मेले का आगाज हुआ। नौ दिन तक चलने वाले जिला स्तरीय कुथाह मेले में का शुभारंभ में बतौर मुख्यातिथि उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने शिरकत की। इस अवसर पर मेला कमेटी के अध्यक्ष एसडीएम थुनाग ललित कुमार पोसवाल ने मुख्य अतिथि को शॉल व टोपी पहना कर स्वागत किया। इस अवसर पर स्कूल के छात्र-छात्राओं और महिला मंडल महिलाओं के द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। इस अवसर मेला कमेटी के अध्यक्ष एसडीएम थुनाग ललित कुमार पोसवाल ने मेले में आए हुए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मेले हमारी आपसी भाईचारे का प्रतीक है। मेले से जहां आपसी भाईचारा बढ़ता है। वहीं मेले से हमारी संस्कृति को भी बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति को हमेशा संजोए रखना चाहिए।

इस अवसर पर स्थानीय पंचायत के प्रधान हेमराज ठाकुर ने मेले के इतिहास पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर जिला उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने मेले में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति हमारी एक प्यारी संस्कृति है और मेलों के लड़ाई-झगड़े पुलिस थाने में नहीं आने चाहिए। मेले हमारे ईश्वर के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि हमें आपसी भाईचारा हमेशा बनाए रखना चाहिए और हमारा सौहार्द भी तभी रहेगा जब हमारा आपसी भाईचारा सही और ठीक रहेगा। उन्होंने कहा कि हम आपसी भाईचारे को लेकर हमेशा एक रहे और अपनी संस्कृति को हमेशा बरकरार रखें। इस अवसर पर तहसीलदार थुनाग अमित कलथाईक, बीडीओ सराज प्रियंका वर्मा, पंचायत तुंगाधार के प्रधान हेमराज ठाकुर, थाना प्रभारी जंजैहली रूप सिंह ठाकुर व इत्यादि लोग मौजूद रहे।

गुच्छियों के व्यापार के लिए विख्यात है मेला
थुनाग। घाटी में मनाए जाने वाला यह मेला व्यापारिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। जहां एक तरफ इस मेले में अच्छा खासा कारोबार होता है। वहीं दूसरी तरफ यह मेला गुच्छियों और वनखशा के व्यापार के लिएविख्यात है। क्योंकि इस मेले में हर साल कई लाखों रुपए का कारोबार होता है। जहां घाटी के लोग पूरे सीजन में इक_ा की हुई गुच्छियों इस मेले में बेचते हैं। जिसके चलते लोगों को गुच्छी का अच्छा खासा दाम भी मिल जाता है और गुच्छियों के बेचने से जो पैसा बनता है। उससे क्षेत्र के लोग मेले में ही सामान की खरीददारी करते हैं। इसलिए लोग पूरे सीजन में इक_ा की हुई। गुच्छियों को इस मेले में बेचने के लिए बचा कर रखते हैं।


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