नेरी में ‘हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर’ पर राष्ट्रीय परिसंवाद शुरू

By: May 5th, 2024 12:58 am

प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा इतिहास संकलन योजना समिति नई दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष रहे मुख्यातिथि, ऐतिहासिक धरोहरों पर डाला प्रकाश

स्टाफ रिपोर्टर-हमीरपुर
ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी द्वारा आयोजित एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ‘हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा कार्यकारी अध्यक्ष, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति नई दिल्ली मुख्यातिथि डा. ओम जी उपाध्याय सदस्य सचिव, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डा. अर्चना संतोष ननोटी, कुलसचिव एनआईटी हमीरपुर एवं डा. देवदत शर्मा विभागाध्यक्ष, भूगोल विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला उपस्थित रहे। इस उपलक्ष्य पर मुख्यातिथि प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने कहा कि पिछली पीढिय़ों द्वारा प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक रूपों में मूर्त या अमूर्त विरासत जिसे वर्तमान में सहेज कर रखने के पश्चात् भावी पीढिय़ों के हितार्थ सौंप दिया जाता है वहीं हमारी अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर है। भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे महान संस्कृति है। इसके संरक्षण एवं संवद्र्धन के लिए हमें एक घटक के रूप में कार्य करना चाहिए। कार्यक्रम अध्यक्ष डा. ओम जी उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिमाचल प्रदेश अपने आप में समृद्ध संस्कृति संजोए हुए है। उन्होंने युवा शोधार्थियों से आह्वान किया कि हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को सहेजने के लिए समर्पण भाव से कार्य करें।

मुख्य वक्ता डा. राजकुमार ने अपने बीज वक्तव्य में सभ्यता और संस्कृति के अंतर को स्पष्ट करते हुए हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहरों का विस्तार से वर्णन करते हुए हिमालय और हिमाचल का संबंध, हिमाचल प्रदेश में स्थापत्य कला, निष्पादन कलाएं, ललित कलाएं एवं हस्तशिल्प, लोकसाहित्य एवं संस्कृति सहित यहां की पुरातात्विक धरोहरों पर विस्तार से चर्चा करें। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. अर्चना संतोष ननोटी ने भारतीय ज्ञान परंपरा व आचार्य देवदत शर्मा ने हिमाचल प्रदेश की देव संस्कृति एवं ऋषि परंपरा पर विस्तार से चर्चा की। इस उपलक्ष्य पर डा. चेतराम गर्ग ने ठाकुर रामसिंह द्वारा दिखाए गए मार्ग पर शोध संस्थान द्वारा आयोजित गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की। डा. कर्म सिंह संयोजक राष्ट्रीय परिसंवाद के उद्देश्य को प्रस्तुत किया। डा. राकेश कुमार शर्मा मंच का परिचय करवाया व जगबीर चंदेल ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। ज्योति प्रकाश द्वारा संकल्प पाठ व डा. कृष्ण मोहन पाण्डेय द्वारा इतिहास पुरुष का पाठन किया गया। इस उपलक्ष्य पर मुख्यातिथि द्वारा परिसंवाद से संबंधित स्मारिका का विमोचन किया।

उद्घाटन सत्र में डा. कर्म सिंह व बारू राम ठाकुर द्वारा सम्पादित ‘हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर’ व डा. कैलाश चंद गुर्जर द्वारा लिखित पुस्तक ‘ग्रामीण संस्कृति: एक समग्र विवेचना’ का विमोचन किया गया। डीएवी स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। राष्ट्रीय परिसंवाद के प्रथम दिन पांच तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया व पच्चास शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। परिसंवाद में शोध संस्थान के निदेशक नरेंद्र कुमार नंदा, कोषाध्यक्ष देसराज शर्मा, संयुक्त सचिव डा. विकास शर्मा, ऋषि भारद्वाज, नरेश कुमार, उत्तराखंड से प्रो. संजय सिंह, राजस्थान से डा. कैलाश चंद गुर्जर, चम्बा से डा. महेंद्र सलारिया, शिमला से डा. अंकुश भारद्वाज, जेएनयू दिल्ली से डा. कृष्ण मोहन पाण्डेय, डा. सूरत, डा. पंकज गुप्ता, डा. मनोज शर्मा, सोलन से अमरदेव आंगिरस, डा. शोभा मिश्रा, मंडी डा. कृष्ण चंद महादेविया सहित लगभग 120 विद्वान, अध्येता, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।


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