चुनावी ड्यूटी में आवश्यक सतर्कता

By: May 1st, 2024 12:05 am

इस प्रक्रिया में हर समय नियमों के दायरे में रहते हुए अपने स्तर पर कत्र्तव्यों को सुनिश्चित करने के लिए कुशलतापूर्वक सफल प्रबंधन करना चाहिए तथा अपनी मनमर्जी से बचना चाहिए…

चुनाव की ही जमीन पर महान भारतीय लोकतंत्र खड़ा है। चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवार, मतदान करने वाले मतदाता तथा चुनाव आयोजित करवाने वाले अधिकारी, कर्मचारी एवं सुरक्षा कर्मी सभी भारतीय हैं। ये सभी लोग भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने का काम करते हैं। जहां मतदान करना संवैधानिक कत्र्तव्य है, वहीं पर मतदान प्रक्रिया को निष्पक्ष तथा पारदर्शी तरीके से सम्पन्न करवाना भी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कत्र्तव्य है। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों के दौरान अनेकों कर्मचारी, सुरक्षा कर्मी तथा अधिकारी इस प्रक्रिया को सम्पन्न करवाने के लिए जी-जान से कार्य करते हैं। यह कार्य असम्भव तो नहीं, लेकिन इस प्रक्रिया की जवाबदेही होना चुनौतीपूर्ण अवश्य है। चुनावों के दौरान सारी प्रशासनिक शक्तियां भारतीय चुनाव आयोग के पास होती हैं। प्रदेश स्तर, जिला स्तर एवं स्थानीय प्रशासन के अतिरिक्त सभी कर्मचारी जिला, प्रदेश तथा भारतीय चुनाव आयोग के अधीन तथा दिशा निर्देशों के अनुरूप कार्य करते हैं, ताकि लोकतन्त्र में लोगों का अटूट विश्वास बना रहे। हालांकि चुनाव के समय सभी अधिकारी एवं कर्मचारी चुनाव आयोग की शक्तियों का प्रयोग करते हैं, लेकिन अपने चुनावी कत्र्तव्यों के निर्वहन में अधिक सचेत रहते हुए तनाव में भी रहते हैं। चुनावी ड्यूटी बहुत ही सख्त एवं जवाबदेह होती है।

रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट 1951 के सेक्शन 26 के अन्तर्गत इस चुनावी प्रक्रिया में मतदान केन्द्र पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की जाती है। इस प्रावधान के सेक्शन 28 के अन्तर्गत पीठासीन अधिकारी का मतदान केन्द्र में स्वतन्त्र, निष्पक्ष तथा पारदर्शी चुनाव करवाने का दायित्व होता है। इसके अतिरिक्त अतिरिक्त पीठासीन अधिकारी तथा मतदान अधिकारियों की भूमिका चुनाव प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संपन्न करवाने में महत्वपूर्ण होती है। चुनावों से पूर्व, चुनावों के दौरान तथा चुनावों के बाद चुनाव प्रक्रिया तथा आयोजन को बेहतर बनाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा समय-समय पर अनेकों परिवर्तन किए जाते हैं। इसके बावजूद अभी भी भारतीय चुनाव व्यवस्था में मूलभूत संसाधनों तथा मानवीय संसाधनों की बहुत कमी है। सभी विभागों के कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति से चुनाव ड्यूटी का काम चलाया जाता है। चुनाव आयोग अपनी आवश्यकता के अनुसार सभी भौतिक संसाधनों तथा मानवीय संसाधनों को अपने नियंत्रण में करता है। इस समय चुनावी ड्यूटी से सभी कर्मचारी बचने का प्रयास कर दबाव तथा तनाव में रहते हैं। आम तौर पर सभी विभागों के आहरण एवं वितरण अधिकारी अपने अधीन कार्यरत कर्मचारियों की दक्षता, योग्यता तथा प्रबंधन कौशल का आकलन अपनी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में करते हैं। लेकिन आश्चर्य है कि कर्मचारी की इस महत्वपूर्ण चुनावी ड्यूटी का उल्लेख किसी भी दस्तावेज में नहीं होता। हालांकि चुनावी प्रक्रिया में कोई भी गलती होने पर कर्मचारी पर सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान रहता है। कर्मचारी पर किसी भी लापरवाही के लिए चुनाव आयोग किसी भी प्रकार की कार्रवाई कर सकता है, जहां उसकी नौकरी तक भी खतरे में हो सकती है। जहां इस कत्र्तव्य निर्वहन में कड़ी सजा का प्रावधान है, वहीं आवश्यक यह भी कि इस महत्वपूर्ण चुनावी ड्यूटी का कर्मचारी की सेवा पंजिका में उल्लेख होना चाहिए ताकि उसका अनुशासन, नेतृत्व क्षमता, कत्र्तव्य निर्वहन स्तर की टिप्पणी उसके पदोन्नति तथा सेवा विस्तार आदि में काम आए।

यह इसलिए भी आवश्यक है कि अमुक कर्मचारी ने कब-कब यह महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दायित्व निभाया है क्योंकि बहुत से कर्मचारी अपने संबंधों का प्रभाव प्रयोग कर अपनी चुनावी ड्यूटियां कटवा लेते हैं। कर्मचारी की सेवा पंजिका में चुनावी ड्यूटी का उल्लेख आवश्यक रूप से पंजीकृत होना चाहिए ताकि भविष्य में यह पता चल सके कि कर्मचारी ने कब और कहां इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कत्र्तव्य का निर्वहन किया है। विडम्बना है कि इस ड्यूटी की सफलता लिए शाबाशी नहीं बल्कि किसी भी विफलता तथा असफलता के लिए केवल सजा का ही प्रावधान है। इसलिए यह अनिवार्य है कि चुनावी ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी पूरी तरह से चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों तथा नियमावली का पूर्ण रूप से अध्ययन करें। प्रत्येक अधिकारी तथा कर्मचारी को जिस भी पद या स्थान पर वह कार्यरत है, उस पर चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों का अध्ययन कर क्रियान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए। इसके लिए चुनाव आयोग द्वारा बेबसाइट पर, लिखित रूप से सूचनाओं तथा नियमावली की दिशा निर्देशिका छापी जाती हैं। चुनावी कत्र्तव्य का निर्वहन करने वाले प्रत्येक कर्मचारी को सफलतापूर्वक तथा सुनिश्चित करने के लिए गम्भीरतापूर्वक बार-बार अध्ययन करना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की गलती की संभावना न हो। सामान्य कर्मचारी के जीवन में चुनाव आयोजित करवाना कोई आम प्रक्रिया नहीं है।

पंचायत, विधानसभा तथा लोकसभा चुनावों में चुनाव आयोग द्वारा उन्हें विभिन्न पदों पर चुनावी प्रक्रिया सम्पन्न होने तक नियुक्त किया जाता है। इस ड्यूटी के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने पर कोई शाबाशी या प्रशस्ति पत्र नहीं मिलता, बल्कि आपके द्वारा चूक होने पर आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई आवश्यक रूप से हो सकती है। यद्यपि चुनाव आयोग द्वारा ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों की सुविधा के लिए पुख्ता प्रबंध किए जाते हैं, फिर भी किसी भी समय, स्थान एवं परिस्थिति में चुनावी ड्यूटी पर कार्यरत कर्मचारी को किसी भी कीमत पर अपने कत्र्तव्यों का निर्वहन सफलतापूर्वक सुनिश्चित करना अपेक्षित होता है। आवश्यक यह है कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात प्रिजाइडिंग आफिसर, पोलिंग आफिसर, सेक्टर आफिसर या किसी भी स्तर पर कार्यरत कर्मचारी-अधिकारी को सतर्क, सचेत होकर चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार ही कार्य करना चाहिए। इस प्रक्रिया में हर समय नियमों के दायरे में रहते हुए अपने स्तर पर कत्र्तव्यों को सुनिश्चित करने के लिए कुशलतापूर्वक सफल प्रबंधन करना चाहिए तथा अपनी मनमर्जी से बचना चाहिए। चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी तथा अधिकारी अपने सफल दायित्वों के निर्वहन के लिए जबावदेह होता है। चुनाव प्रक्रिया बिना पक्षपात, बिना भय, बिना भेदभाव तथा पारदर्शी तरीके से सम्पन्न हो, इसी में ही चुनाव अधिकारी तथा चुनाव आयोग की सफलता है।

प्रो. सुरेश शर्मा

शिक्षाविद


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