नए डीजीपी करेंगे कुंडू मामले की जांच

By: May 23rd, 2024 12:06 am

हाई कोर्ट ने पालमपुर के कारोबारी पर हुए हमले की एसआईटी जांच सौंपने के दिए आदेश

विधि संवाददाता-शिमला

प्रदेश हाई कोर्ट ने नए डीजीपी को पूर्व डीजीपी संजय कुंडू की मानहानि से जुड़ी शिकायत पर हुई एसआईटी जांच की समीक्षा करने के आदेश जारी किए। कोर्ट ने इसी मामले में पालमपुर के कारोबारी निशांत कुमार शर्मा पर जानलेवा हमले से जुड़ी एफआईआर पर एसआईटी जांच की समीक्षा का जिम्मा भी नए डीजीपी को सौंपने के आदेश जारी किए। कोर्ट ने डीजीपी को समीक्षा के बाद अपने निष्कर्ष को स्टेट्स रिपोर्ट के माध्यम से कोर्ट के समक्ष पेश करने के आदेश भी दिए। मामले पर अगली सुनवाई 21 जून को निर्धारित की गई है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस मामले में गठित एसआईटी की रिपोर्ट को देखने के बाद यह आदेश जारी किए। कोर्ट ने मामले से जुड़ा पूरा रिकार्ड नए डीजीपी के समक्ष रखने के आदेश दिए।

कोर्ट अगले आदेशों तक अभियोजन पक्ष को कहा कि वह इन दोनों मामलों में अंतिम रिपोर्ट दायर न करे। उल्लेखनीय है कि इस मामले में हाई कोर्ट ने स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच का हवाला देते हुए डीजीपी संजय कुंडू और एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री का तबादला करने के दिए थे। इसके बाद दोनों अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कर हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट से राहत पाने के बाद दोनों अधिकारी अपने पदों पर बने रहे। 30 अप्रैल को संजय कुंडू बतौर डीजीपी सेवानिवृत्त हुए और अब नए डीजीपी ने कार्यभार संभाला है।

सीपीएस की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 27 को

शिमला। प्रदेश हाई कोर्ट में सीपीएस की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आगामी सुनवाई 27 मई को भी जारी रहेगी। कोर्ट ने अपने आदेशो में पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि 20 और 21 मई को सरकार का पक्ष सुना जायेगा जिसके बाद यदि जरूरत पड़ी तो 22 मई को भी सरकार की बहस को सुना जायेगा। प्रतिवादियों की ओर से बहस पूरी होने के कारण आगामी सुनवाई सोमवार को होगी। कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया है कि सरकार की ओर से बहस पूरी होने के बाद 27 मई से रोजाना आधार पर याचिकार्ताओं को अंतिम रूप से सुना जायेगा। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ के समक्ष इन याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। सरकार की ओर से दलील दी गई है कि याचिकाकर्ताओं की पार्टी की सरकार के समय भी सीपीएस नियुक्त हुए थे और अब जब जनता ने इनको सरकार बनाने से वंचित किया तो इस सरकार की नियुक्तियों को चुनौती देने लगे।

तीन साल बाद मिली पुलिस की नौकरी

हाई कोर्ट ने नजरअंदाज प्रार्थी को मैरिट के आधार पर नियुक्ति के दिए आदेश

विधि संवाददाता-शिमला

हाई कोर्ट ने वर्ष 2021 में कांस्टेबल की भर्ती के दौरान मैरिट के आधार पर नजर अंदाज की गई प्रार्थी को नियुक्ति देने के आदेश जारी किए है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि पुलिस विभाग ने प्रार्थी शिल्पा को खेल प्रमाण पत्र व भारत स्काउट एंड गाइड्स प्रमाण पत्र के लिए अंक न देकर उसके साथ अन्याय किया है। इन प्रमाण पत्रों के आधार पर उसे अतिरिक्त चार अंक दिए जाने चाहिए थे। प्रार्थी को इन प्रमाण पत्रों के अतिरिक्त चार अंक दिए जाते तो प्रार्थी के अंक 52.51 हो जाते हैं, जबकि मैरिट में अंतिम स्थान पर रहे चयनित प्रतिवादी को 49.78 अंक दिए गए थे।

हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि क्योंकि चयन प्रक्रिया के दौरान निजी तौर पर बनाए गए प्रतिवादी का चयन विभाग द्वारा किए गए गैरकानूनी कृत्य का नतीजा नहीं है, इस वजह से उसे नौकरी से निकाला जाना कानूनी तौर पर जायज नहीं होगा, विशेषता जब कि उसने अपना सिपाही का प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात तीन वर्ष की नौकरी भी पूर्ण कर ली है। प्रार्थी की नियुक्ति अन्य कांस्टेबल की तरह वर्ष 2021 से ही मानी जाएगी , लेकिन उसे उस तारीख से वित्तीय लाभ नहीं दिए जाएंगे उसकी सेवा पिछली तारीख से वरिष्ठता व नियमितीकरण के लिए गिनी जाएगी।


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