टुटू-ढांडा में चार दिन से नहीं मिला पीने का पानी
कम प्रेशर के कारण कई भवनों को नहीं मिल रही पर्याप्त सप्लाई
सिटी रिपोर्टर—शिमला
शिमला शहर में पानी को लेकर इन दिनों घमासन चल रहा है। शहर के टुटू, मज्याठ और ढांडा क्षेत्र और इसके साथ पंचायती क्षेत्रों में पिछले चार दिन से पानी की सप्लाई नहीं मिल पाई है, जिसके कारण लोग काफी परेशान हो गए हैं। लोग संबंधित कर्मचारियों से बात कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि पेयजल परियोजनाओं का जल स्तर घटने के कारण पानी की कमी आ रही है। हालांकि नगर निगम के एरिया में भी तीसरे दिन पानी की सप्लाई मिल रही है। जो काफी कम समय के लिए मिल रही है। आलम यह है कि लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। वहीं, लोगों ने टैंकरों से भी पानी मंगवाना शुरू कर दिया है, जो लोगों को काफी महंगा पड़ रहा है। पिछले साल गर्मियों में टैंकर का रेट जहां 7 से 10 हजार था, वहीं इस साल 15 हजार रुपए लिए जा रहे हैं।
इससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है। पंचायती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के हाल तो काफी खराब हो गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पांच से सात दिन बाद पानी की सप्लाई मिल रही है, वह भी भरपूर नहीं आ रही है। इसके कारण ग्रामिणों को कई किलोमीटर दूर से बाउड़ी और अन्य पेयजल स्रोतों से पानी लाना पड़ रहा है। शिमला जल प्रबंधन निगम का दावा है कि वह जो पचंायती क्षेत्रों को पानी दे रहे हैं, वह पूरा दे रहे हैं, वही शहरवासियों को तो हफ्ते के छह दिन पानी दिया जा रहा है,लेकिन यह दावे कंपनी के फेल हो गए हैं, क्योंकि इन दिनों सभी पेयजल परियोजनाओं का जल स्तर घट रहा है। कंपनी के कर्मचारियों का तो यहां तक कहना है कि यदि ऐसी ही गर्मी रही तो बड़े पेयजल स्रोतों का जल स्तर भी घट सकता है। इससे पानी की काफी कमी होगी।
इन पेयजल परियोजना से मिला पानी
गुम्मा 21.62
गिरि 17.68
चुरोट 1.86
सेओग 0.00
चेयर 0.37
कोटि ब्रांडी 1.15
कुल 42.68 एमएलडी पानी
मिला है।
आपातकाल में भी नहीं होगी पानी की किल्लत
अभी तक सभी पेयजल परियोजना से शिमला शहर को 40 एमएलडी पानी मिल रहा है, लेकिन यदि जल स्तर घटता है तो शहरवासियों को घबराने की जरूरत नहीं है। कंपनी के पास आपातकाल के लिए चाबा परियोजना राम वाण है। चाबा और सियोग से करीब 19 एमएलडी पानी शहर को मिलेगा। जो ढली टैंक में स्टोर किया जाएगा। इसके लिए कंपनी की व्यवस्था तैयार है, लेकिन अभी पानी सही है तो अभी इस परियोजना से पानी नहीं उठाया जा रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जल शक्ति विभाग पानी देता है। ऐसे में इसकी जिम्मेदारी भी जल शक्ति विभाग की ही है।
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