पोलिंग की पूर्व संध्या पर…

By: May 15th, 2024 12:05 am

हे मेरे कर्मठ कार्यकर्ताओ! आखिर वह चुनाव की आखिरी रात आ ही पहुंची जिसका हमें बड़े दिनों से बड़ी बेकरारी से इंतजार था। हर जुझारू नेता चुनाव की इस रात का बेसब्री से इंतजार करता है। यह रात कयामत की रात से भी अधिक कयामत की रात होती है। कयामत की रात में जैसे मुर्दे जाग उठते हैं उसी तरह चुनाव की इस आखिरी रात में मेहनती नेता के सोए भाग जाग उठते हैं। यह रात धुआंधार प्रचार की रात होती है। यह रात वोटर का दिमाग सन्न करने की रात होती है। इस रात जो अपने विरोधी नेता के प्रचार पर जितना भारी पड़ गया, समझो वह पांच साल के लिए सत्ता की कुर्सी पर नंग धड़ंग चढ़ गया। हे मेरे सिर पांव फोड़ू तोड़ू कार्यकर्ताओ! चुनाव की इस रात मरे वोटर भी जाग उठते हैं। वे भी सौ सौ मुंह खोले खाने को मांगते हैं। वे भी सौ सौ मुंह खोले पीने को मांगते हैं। इस रात उन्हें इतना खिलाओ कि…। इस रात उन्हें इतना पिलाओ कि ईवीएम में हमारे चुनाव निशान के सामने वाले बटन को दबाने तक उनका नशा न उतरे। उनके दिमाग के आगे पीछे, ऊपर नीचे बस, तुम्हारे भैयाजी का ही चुनाव चिन्ह नाचता रहे। उसके बाद उनका नशा उतरे तो उतरता रहे। फिर हर नशे पर पहला हक मेरे वर्करों का है और दूसरा मेरा। हे मेरे लोकप्रिय वर्करो! भले ही चुनाव आयोग के अनुसार चुनाव प्रचार थमा माना जाए तो थमा माना जाए, पर असली चुनाव प्रचार इसी रात होगा। यह रात चुनाव प्रचार में सारी हदें पार करने की रात है।

माना, कागजों में चुनाव प्रचार थम गया है। कागजों का क्या! कागजों में तो बहुत कुछ थम गया है। पर असली चुनाव प्रचार तो इसी रात होगा। अत: चुनाव प्रचार को थमा कतई न माना जाए। बस, एक रात और! हे मेरे चुनाव बांकुरो! इस रात जितनी मेहनत करोगे, पांच साल उतना ही फल मिलेगा। अन्य चुनावों की तरह यह चुनाव भी ईमानदार चुनाव का पर्व नहीं, ईमानदार चुनाव के नाम पर घमासान का पर्व है। याद रहे! चुनाव की यह रात कुरुक्षेत्र की आखिरी रात से भी अधिक संवेदनशील रात है। चुनाव की इस रात में ही किसी भी नेता की हार-जीत का निर्धारण होता है। इस रात जो जनता की जितनी सेवा करता है वह उतने ही मतों से अपने विरोधी से आगे ही नहीं बहुत आगे बढ़ता है। इसलिए मेरा आदेश है कि चुपचाप अपने अपने वोटरों के क्षेत्र में दबे पांव डट जाओ। कोई शोर नहीं, कोई हल्ला नहीं। बस, साइलेंट प्रचार! वोटर के मनमाफिक उसके वोट पर वार। आज की रात वोटर जो भी मांगे उसे दिल खोलकर दो। वह एक मांगे उसे दस दो। हे मेरे अनुपम कार्यकर्ताओ! तुम्हारी हिम्मत किसी के छिपी नहीं है। चुनाव के हर मोर्चे पर तुम सिकंदर हुए हो। तुम मेरे बहुमत के लिए किसी भी नेता को उठा कर ला सकते हो। तुम मुझे वोट दिलाने के लिए किसी को भी बहला फुसला सकते हो। तुमने आज तक मेरी जीत के लिए हर पार्टी के उम्मीदवार को छठी का दूध पिलाया है। तुमने मेरी जीत के लिए मेरे विरोधी को हर तरह से, हर तरह से डराया धमकाया है। याद रहे! सब पर भरोसा करना, पर मतदाता पर कतई न करना। आज का मतदाता बहुत चालाक हो गया है।

इस मुगालते में कतई मत रहना कि जो उसने तुमसे उपहार स्वीकार कर लिए तो वह तुम्हारा हो गया। वह चुनाव के दिनों में सबसे उपहार लेता है। उपहार ले सबको अपना मत देने का वचन देता है। पर सच यह है कि वह किसी का होते हुए भी किसी का नहीं होता। या कि दूसरे शब्दों में वह सबका होता है। इस रात उसके नाक में उपहारों की नकेल डाल उसे हर हाल में अपना करना है। चलो! सांझ ढलते ही अपने हर वोटर के हर दरवाजे पर तैनात हो जाओ। मेरे विरोधी के कार्यकर्ता उनके दरवाजे से घुसना तो दूर, उनके दरवाजे का छू भी न पाएं। यह लोकतंत्र की इज्जत का प्रश्न है। हमें अपने प्राणों का बलिदान देकर भी लोकतंत्र को हर हाल में जिंदा रखना है। लोकतंत्र को जिंदा रखने का अधिकार केवल हमारा है। हम हैं तो सच्चा लोकतंत्र है। हे मेरे कार्यकर्ताओ! यह रात तुम्हारे आमरण जागरण की रात है। इसलिए पांच साल सोने के लिए सारी रात जागते रहो। हर वोटर के घर उसका मनमाफिक माल लेकर भागते रहो। उसे वोट डालने तक अपने कब्जे में रखो। यही सच्चा लोकतंत्र है। कहने वाले जो कहते हों कहते रहें, लोकतंत्र में चुनाव जीतने का यही माइक्रो मंत्र है। जय लोकतंत्र! जय चुनाव! अब मिलते हैं अपनी जीत के जश्न में!

अशोक गौतम

ashokgautam001@Ugmail.com


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