पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने भांग के पौधों पर मांगा जवाब

By: May 24th, 2024 12:06 am

दिव्य हिमाचल ब्यूरो— चंडीगढ़

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने भांग के पौधों को नष्ट करने को लेकर सौंपे हलफनामे पर नाराजगी जताते हुए यूटी प्रशासन को जमकर फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने कहा कि पौधों को काटने के बाद विभिन्न सेक्टरों की फोटो सौंप दी गई, भविष्य में पौधे दोबारा न उगे, इसके लिए क्या इंतजाम किया है, इस पर हलफनामा मौन क्यों है। हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई पर इस पहलू को ध्यान में रखते हुए जवाब दाखिल करने का प्रशासन को आदेश दिया है। साथ ही हरियाणा व पंजाब के एडवोकेट जनरल को इस विषय में सहायता के लिए हाजिर रहने का निर्देश दिया है। बता दें संगरूर में 800 ग्राम सुल्फे की बरामदगी के एक मामले में सह आरोपी की जमानत याचिका हाई कोर्ट पहुंची थी। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के संज्ञान में लाया गया कि यहां चंडीगढ़ में भी सचिवालय के निकट व राजेंद्र पार्क में भांग के पौधे बड़ी मात्रा में लगे हुए हैं। इन्हीं भांग के पौधों से सुल्फा व अन्य नशीली सामग्री तैयार होती है। अकसर शहर के लोग आसानी से मिलने वाली नशे की इस सामग्री का इस्तेमाल करते हुए दिखाई दे जाते हैं। हाई कोर्ट ने कहा था कि यह बेहद गंभीर विषय है क्योंकि नशा न केवल आम लोगों को, खास तौर पर युवाओं को दीमक की तरह खा रहा है। ऐसे में आसानी से उपलब्ध नशे को समाप्त करना बहुत जरूरी है।

हाई कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए अब चंडीगढ़ प्रशासन को भांग के इन पौधों को नष्ट करने को लेकर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। इस आदेश के साथ ही हाई कोर्ट ने पंचकूला व मोहाली में भी इन पौधों को लेकर हरियाणा व पंजाब सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान प्रशासन की ओर से कुछ फोटो पेश करके बताया गया कि विभिन्न सेक्टरों से इन पौधों को नष्ट किया गया है। हाई कोर्ट ने कहा कि जिस प्रकार से पौधों को काटा गया है, उनकी जड़ों को वहीं छोड़ दिया गया है। यह कुछ ही समय में फिर उग जाएंगे। इन्हें जड़ से नष्ट नहीं किया गया और न ही इन्हें जलाया गया है। बरसात से पहले इनका उपाय करना बेहद जरूरी है। ऐसे में हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेकर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान हरियाणा व पंजाब दोनों राज्यों ने जवाब के लिए समय मांगा और बताया कि मुख्य सचिव ने संबंधित विभाग से इस बारे में बात की है। हाई कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की टाल मटोल इतने गंभीर विषय पर स्वीकार नहीं की जा सकती। ऐसे में अगली सुनवाई पर हरियाणा व पंजाब के एडवोकेट जनरल इस विषय पर कोर्ट की सहायता के लिए मौजूद रहें।


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