शिक्षा में बुरी तरह पिछड़ा राजगढ़

By: May 6th, 2024 12:17 am

शिक्षा खंड में वर्षों से भरे नहीं गए अध्यापकों के दर्जनों पद, सिर्फ राजनीति हो रही

नगर संवाददाता-राजगढ़
किसी भी क्षेत्र के विकास का पैमाना वहां दी जा रही शिक्षा संबंधी सुविधाओं से लगाया जा सकता है। यदि शिक्षण संस्थान शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हों तो वहां के विकास का अनुमान सहज ही लग जाता है। पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र के केंद्र बिंदु राजगढ़ में भी दोनों दल विकास करवाने के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन शिक्षकों के खाली पदों से शिक्षा के उनके दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सच्चाई यह है कि कैंपस विद्यालय राजगढ़ सहित शिक्षा खंड के अधिकतर विद्यालय शिक्षकों की कमी का सामना कर रहे हैं और नेता व उनकी फौज एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं। शिक्षकों के पदों को कैसे भरा जाए इसमें शायद किसी की रुचि ही नहीं है। शिक्षकों के खाली पदों को लेकर आरंभ करते हैं वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय राजगढ़ से जिसे पहले आदर्श और अब पीएम श्री उत्कृष्ट विद्यालय का दर्जा तो दे दिया, लेकिन यहां दो वर्षों से रिक्त चल रहे विज्ञान संकाय के फिजिक्स और केमिस्ट्री के पदों को भरने का प्रयास नहीं किया गया। राजगढ़ में फिजिक्स का पद 22 जनवरी, जबकि केमिस्ट्री का पद 22 अप्रैल से रिक्त है। विज्ञान संकाय की पढ़ाई के लिए बच्चे अन्य क्षेत्रों से भी राजगढ़ आते हैं, लेकिन फिजिक्स और केमिस्ट्री दो मुख्य विषयों के नियमित प्रवक्ता न होने से बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे है। जब पीएम श्री विद्यालय में भी दो वर्ष से मुख्य विषयों के प्रवक्ता नहीं होंगे तो अन्य विद्यालयों की हालत बदत्तर होना लाजिमी है। एक अन्य अन्य वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय फागू में तो केमिस्ट्री का पद सात वर्षों से रिक्त हे।

यहां फिजिक्स के प्रवक्ता का पद भी तीन वर्षों से, जबकि राजनीति विज्ञान का पद डेढ़ वर्ष से रिक्त है। दीदग स्कूल में भी केमिस्ट्री के प्रवक्ता का पद मई, 2021 से रिक्त है। छोगटाली विद्यालय को भी वरिष्ठ माध्यमिक का दर्जा तो दे दिया, लेकिन पिछले एक वर्ष से अधिक समय से स्थाई प्रधानाचार्य ही नहीं है। यहां हिंदी के प्रवक्ता का पद भी 22 सितंबर से रिक्त है। वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय शावगा भी दो वर्ष से राजनीति शास्त्र और एक वर्ष से हिंदी के प्रवक्ता के बिना ही चल रहा है। हाब्बन विद्यालय की भी हालत बेहतर नहीं है और दो वर्ष से अंग्रेजी और हिंदी के प्रवक्ता के पद खाली हैं। सनौरा में प्रवक्ता इतिहास और टीजीटी, जबकि चंबीधार में प्रवक्ता राजनीति शास्त्र व हिंदी के पद रिक्त हैं। यही नहीं चम्बिधार में टीजीटी मेडिकल व नॉन मेडिकल के पद भी रिक्त हैं और इनके बिना बच्चों के गणित और विज्ञान की पढ़ाई का आधार कैसा बनेगा सोचा जा सकता है। इनके अतिरिक्त वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धर्मपुर में भी प्रवक्ता गणित, राजनीति शास्त्र, अंग्रेजी व अर्थशास्त्र के पद रिक्त हैं। यही नहीं इस विद्यालय में टीजीटी आट्र्स के दो पदों के साथ-साथ टीजीटी मेडिकल व पीईटी का पद भी खाली है। वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भनोग में भी अंग्रेजी व राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता और टीजीटी नॉन मेडिकल व पीईजी के पद रिक्त हैं। वरिष्ठ व उच्च विद्यालयों में नॉन टीचिंग स्टाफ की हालत तो बहुत ही बुरी है। कई विद्यालयों में तो एक भी पद भरा नहीं गया है, जबकि दर्जनों विद्यालयों में स्टाफ की कमी है। मिडल और प्राथमिक विद्यालयों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। मिडल स्कूल पालू एसएमसी अध्यापक के सहारे चल रहा है। शिक्षा खंड के प्राथमिक विद्यालयों में कुल मिलाकर 46 पद रिक्त हैं। दो विद्यालय गलोग व मानवा खनियुड़ लगभग दो वर्षों से बिना अध्यापक के हैं और प्रतिनियुक्ति पर चल रहे हैं। पांच प्राथमिक विद्यालय ऐसे भी हैं जहां मुख्याध्यापक नहीं हैं। अध्यापकों के पदों की कमी से जूझ रहे स्कूलों की हालत और खराब होने वाली है, क्योंकि अधिकतर स्कूलों से अध्यापक चुनावी ड्यूटी पर लगाए गए हैं। सरकारें चाहे कोई भी हो राजगढ़ के विद्यालयों की स्थिति इसी तरह है। चुनावी बेला में जनता इसका जवाब भी नेताओं से अवश्य मांगेगी। (एचडीएम)


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