आईजीएमसी में दस दिन से रूटीन टेस्ट मशीन खराब

By: May 23rd, 2024 12:53 am

समय पर मरीजों को नहीं मिल पा रहा उपचार, निजी अस्पतालों और लैब में हजारों रुपए खर्च करने को मजबूर मरीज
सिटी रिपोर्टर—शिमला
राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में पिछले दस दिनों से सरकारी लैब में मरीजों के टेस्ट नहीं हो रहे हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि रूटीन टेस्ट की मशीनें खराब हैं। इसमें तकनीकी खराबी होने के कारण यह समस्या पेश आई हैं। यहां तक कि इंजीनियरों को बुलाया गया है, लेकिन अभी तक इंजीनियर इन्हें ठीक करने नहीं पहुंचे हैं। अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि इंजीनियरों की पुरानी पेमेंट पेंडिंग पड़ी है और इंजीनियर उसकी मांग कर रहे हैं, उसके बाद ही वह इन्हें ठीक करने आएंगे। इस वजह से हजारों मरीज परेशान हैं। मरीजों को निजी क्रस्ना लैब में टेस्ट करवाना पड़ रहे हैं। आईजीएमसी के बायोकेमिस्ट्री विभाग में मशीन एक सप्ताह से खराब है। इस कारण लिवर, किडनी सहित रूटीन के कई टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं।

अस्पताल सूत्रों का कहना है कि मशीन खराब होने की सूचना आईजीएमसी प्रबंधन को भी है, लेकिन उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों ने विभाग से इसके बारे में बैठक तक नहीं की है। यही वजह है कि मशीन में सॉफ्टवेयर संबंधी समस्या जस की तस बनी हुई है। अस्पताल में ऐसी ही स्थिति बनी रही तो आने वाले दिनों में परेशानी और बढ़ सकती है। अस्पताल में रोजाना 3500 से अधिक मरीजों की ओपीडी होती है। इसके अलावा 150 से अधिक मरीज आपातस्थिति में उपचार के लिए आते हैं। आईजीएमसी में जब तक बायोकेमिस्ट्री मशीन ठीक थी तब तक सुबह साढ़े नौ बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक सैंपल न्यू ओपीडी ब्लॉक में लिए जाते थे। दोपहर तीन बजे तक मरीजों को रिपोर्ट मिल जाती थी, लेकिन अब निजी लैब में भीड़ बढ़ गई है। इस वजह से रिपोर्ट देरी से मिल रही है।

निजी अस्पतालों का रूख करने को मजबूर मरीज
आईजीएमसी में रूटीन टेस्ट सहित सीटी स्कैन मशीन में भी मरीजों को समय पर रिपोर्ट ही नहीं मिल रही है। यहां तक कि आधे से ज्यादा टेस्ट नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे में मजबूरन मरीजों को निजी अस्पतालों सहित निजी लैब का रूख कर हजारों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। आईजीएमसी में इन दिनों मरीजों को समय पर उपचार ही नहीं मिल रहा है।


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