दाड़ी में सरकारों-एमसी-प्रशासन-विभागों की अनदेखी से करोड़ों का भवन बन गया खंडहर
नरेन कुमार-धर्मशाला
भारतीय परंपरा और अध्यात्म में श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास हर किसी के स्मरण में रहता है, लेकिन देवभूमि हिमाचल प्रदेश की पहली स्मार्ट सिटी धर्मशाला में ग्रामीण हिमाचल भंडार गबली दाड़ी को 18 सालों से भी अधिक समय से वनवास पर भेजा गया है, और बनवास में ही वह उजाड़ भी दिया गया है। हैरत की ही बात है कि करोड़ों रुपए के धर्मशाला शहर के मुख्य स्थल दाड़ी में बनाए गए भवन को खंडहर बना दिया गया है। सरकारों-नगर निगम धर्मशाला एमसी, दाड़ी पंचायत, प्रशासन-विभागों का ऐसा कारनामा सामने आया है जिसमें काफी बड़े सरकारी भूमि में करोड़ों का भवन 18 वर्ष बाद भी अपनी खस्ता हालत पर आंसू बहा रहा है। वहीं धर्मशाला में ज़मीन न होने के नाम पर कई महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट लटका दिए जाते हैं, वापस भेज दिए जाते हैं, लेकिन दूसरी ओर उपलब्ध ज़मीन पर मड हाउस की तर्ज पर बने भवन को पहले पंचायत और अब नगर निगम ने जर्झर बना दिया है, और उसे निगलने का प्रयास कर रहे हैं। जिला मुख्यालय धर्मशाला के साथ लगते क्षेत्र दाड़ी बाइपास में दिव्यांग सदन के ठीक सामने वर्ष 2006 में ग्रामीण विकास अभिकरण कांगड़ा की ओर से ग्रामीण हिमाचल भंडार गबली दाड़ी में बनाया गया था। तत्कालीन उपायुक्त कांगड़ा भरत खेड़ा की ओर से पांच अप्रैल 2006 को भवन का विधिवत रूप से उद्घाटन भी किया गया था।
उक्त भवन को हिमाचल की पुरानी संस्कृति के तहत मड हाउस व आधुनिकता के मिश्रण से तैयार किया गया था, जिसमें स्लेट की छत बनाई गई थी और पत्थर व मिट्टी से भवन तैयार किया गया। इतना ही नहीं इसमें हॉल, कार्यालय, मीटिंग स्थल सहित प्रदर्शनी का भी बंदोबस्त किया गया। वर्ष 2006 में भवन को ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार प्रदान करने के लिए एक व्यापार केंद्र उन्हें प्रदान करने का प्रयास किया गया था, लेकिन भवन को पिछले 18 वर्षों में सरकारों, विभागों-प्रशासन व जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों ने मात्र मज़ाक बनाकर ही रख दिया। इसमें बड़ी बात यह है कि ग्राम पंचायत दाड़ी के पास भवन लगभग दस वर्षों तक रहा। उसके बाद वर्ष 2016 में धर्मशाला नगर निगम बनने से यह भवन भी एमसी का हो गया है, लेकिन न ही पंचायत व न ही नगर निगम धर्मशाला की ओर से भवन का कोई सही प्रयोग किया गया। बल्कि पिछले 18 वर्षों से लगातार अनदेखी का शिकार होते हुए करोड़ों रुपए का भवन आज पूरी तरह से खंडहर बन चुका है।
इतना ही नहीं भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होने के साथ ही झाडिय़ों में दफन होने की कगार पर पहुंच गया है। इस बीच अब एमसी की ओर से मात्र कुछेक दरवाजों में ताले लगा दिए गए हैं, जबकि भवन की हालत अब भी जर्झर ही बनी हुई है। इतना ही नहीं कुछ अज्ञात लोग यहां नशे का सेवन करने सहित मनमर्जी से रहने का मामला भी एमसी के ध्यान में आ चुका है। ऐसे में स्मार्ट सिटी परियोजना व एमसी धर्मशाला की कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल उठते हैं कि इतने बेहतरीन स्तर के भवन का स्थानीय लोगों सहित देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए कोई उचित व्यवस्था ही नहीं की जा सकी। एचडीएम
क्या कहती हैं एमसी की महापौर
नगर निगम धर्मशाला की महापौर नीनू शर्मा ने बताया कि इस भवन को लेकर पहले भी दुरुस्त करने व सही प्रयोग करने को लेकर मांग उठती रही है। उन्होंने बताया कि एमसी की ओर से इस भवन के जीर्णोद्धार सहित उचित प्रयोग किए जाने को लेकर योजना बनाकर कार्य किया जाएगा।
लोकल प्रोडक्ट, हस्तशिल्प के लिए बना था भवन
ग्रामीण हिमाचल भंडार के भवन में महिलाओं-युवाओं के स्वरोजगार व लोकल प्रोडक्ट, हस्तशिल्प कारिगरी को प्रदर्शित किए जाने के सही मायने में प्रयास ही नहीं हो पाए। इतना ही नहीं आज के समय में हस्तशिल्प कारीगरों और लोकल प्रोडक्ट को बेचने के लिए उधार के स्थानों व सडक़ों पर रेहड़ी-फड़ी लगाकर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जबकि लाखों रुपए का भवन बेवजह से खंडहर में तबदील हो रहा है। एक महत्त्वपूर्ण पर्यटक स्थल में बेहतरीन तरीके से बनाए गए भवन का सही प्रयोग न होना कई बड़े सवाल उठाता है।