बरसात में सैंज को मिले जख्म, नहीं लगा मरहम

By: May 24th, 2024 12:55 am

प्रभावित ग्रामीणों ने एसडीएम को सुनाया दुखड़ा, शासन-प्रशासन पर सुनवाई न करने का लगाया आरोप

निजी संवाददाता-सैंज
पार्वती नदी में गत वर्ष जुलाई माह में आई भीषण प्राकृतिक त्रासदी से सैंज घाटी के बाढ़ प्रभावित ग्रामीण सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। जबकि स्थानीय प्रशासन ने अभी तक सबक नहीं लिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि उनके दुखड़े को सुनने वाला कोई नहीं है। लिहाजा प्राकृतिक आपदा की समस्याएं पिछले एक वर्ष से जस की तस हैं। हालांकि आपदा के नाम पर सिर्फ पार्वती नदी में ड्रेजिंग का कार्य चला हुआ है किंतु वह भी चिन्हित स्थानों पर ही हो रहा है। स्थानीय ग्रामीणों ने एनएचपीसीए प्रशासन व सरकार को घेरते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदा का एक वर्ष बीत रहा है और सैंज नदी इस बार फिर बाढ़ को बुलावा दे रही है लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि समस्याएं बरकरार है। ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी ने दस्तक दे दी है और सैंज नदी में रोजाना जलस्तर बढ़ रहा है। आगामी माह नदी के जलस्तर में और इजाफा होने की संभावना है। लेकिन रोट क्षेत्र के गांव में नदी के दोनों ओर सुरक्षा की दृष्टि से की जाने वाली तटीकरण की योजना अभी भी सीरे नहीं चढ़ पाई हैं। ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के मौसम में एक बार फिर खतरे के साए में रहने को मजबूर होना पड़ेगा। बेशक सैंज से लेकर बिहाली तक नदी के दोनों छोर में प्रदेश सरकार नदी की ड्रेजिंग करवा रही है लेकिन सपांगनी गांव में सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं है। एनएचपीसी अपने एरिया में सुरक्षा दीवार का निर्माण करवा रही है लेकिन पारली सपांगनी गांव को खतरा पैदा हो गया है। उधर बंजार के एसडीएम पंकज कुमार शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग की टीम साइट पर जाएगी तथा प्रभावितों की समस्या का समाधान किया जाएगा।

लोग बोले, इस साल भी तबाही का खौफ बरकरार
ग्रामीण कारदार मोहर सिंह, प्रकाश चंद्र और तीर्थ राम आदि ने बताया कि गत वर्ष जुलाई माह में आई बाढ़ ने सपांगनी गांव की लगभग 50 बीघा उपजाऊ भूमि को आगोश में ले लिया था, किंतु एक वर्ष से त्रासदी के जख्म हरे हैं। पंचायत प्रधान मोहर सिंह ने बताया कि सरकार की लापरवाही के चलते इस वर्ष भी तबाही का खौफ बरकरार है। जिम्मेदार तंत्र ने अभी तक प्राकृतिक आपदा से सबक नहीं लिया है। पंचायत को जोडऩे वाला पुल भी हवा में झूल रहा है जबकि स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंच रहे हैं। पंचायत प्रधान बताया कि नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है लेकिन संबंधित विभाग सरकार व प्रशासन अभी तक सोया हुआ है। अगर समय रहते सुरक्षा के उपाय नहीं किए गए तो इस वर्ष भी ऐसी तबाही होगी कि घाटी की सैकड़ो बीघा उपजाऊ भूमि के अलावा कई गांव बाढ़ की भेंट चढ़ेंगे। ग्राम पंचायत व ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार व प्रशासन से मांग की है कि तटीकरण योजना का निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाए अन्यथा गांव वालों को यहां से पलायन करना पड़ सकता है।


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