शिक्षकों की कमी प्रत्याशियों पर पड़ेगी भारी

By: May 3rd, 2024 12:16 am

सरसूं विद्यायल में हिंदी, हिस्ट्री, कम्प्यूटर के प्रवक्ताओं के पद खाली, जनता में गुस्सा, चुनावों में दिखेगा असर

निजी संवाददाता – नैनाटिक्कर
शिमला संसदीय क्षेत्र से जिस तरह विकास कोसों दूर है उसी तरह विद्यार्थियों से शिक्षा भी कोसों दूर नजर आ रही है। बता दें कि शिमला संसदीय क्षेत्र में अनेकों समस्याएं हैं, परंतु पच्छाद विधानसभा क्षेत्र तो समस्याओं का गढ़ बनकर रह गया है जहां लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। गौर हो कि पच्छाद विधानसभा क्षेत्र हमेशा से ही दिग्गज नेताओं की जन्मभूमि रहा है। चाहे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डा. यशवंत सिंह परमार की बात हो चाहे सात बार के मंत्री रहे कांग्रेस के कद्दावर नेता गंगूराम मुसाफिर की बात हो या वर्तमान सांसद तथा पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप की बात हो सभी दिग्गज नेताओं की जन्मभूमि पच्छाद विधानसभा रही है। परंतु विडंबना देखिए कि यहां पर इतने दिग्गज नेताओं के होते हुए भी विकास तो दूर, अपितु मूलभूत सुविधाओं के लिए भी लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है। जी हां आज हम बात कर रहे हैं नारग उप-तहसील के अंतर्गत आने वाली राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सरसूं की जहां इक्का-दुक्का नहीं, अपितु अध्यापकों तथा प्रवक्ताओं के कुल नौ पद रिक्त पड़े हुए हैं जिसकी और राजनेताओं का कोई ध्यान नहीं है। बता दें कि इस विद्यालय में राजनीतिक शास्त्र के प्रवक्ता का पद जहां लंबे अरसे से रिक्त पड़ा है, वहीं हिंदी और हिस्ट्री के प्रवक्ताओं के पद भी यहां खाली पड़े हुए हैं। यही नहीं कम्प्यूटर के इस युग में आईपी के प्रवक्ता का पद भी रिक्त पड़ा है।

जमा दो तथा जमा एक के छात्रों के पास मात्र एक इंग्लिश के ही प्रवक्ता हैं। जबकि दूसरी ओर दसवीं तक के विद्यार्थियों के पास टीजीटी मेडिकल के साथ-साथ टीजीटी आट्र्स के दो अध्यापक भी नहीं हैं, जबकि ड्राइंग टीचर का पद भी खाली पड़ा हुआ है, जिस कारण विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जबकि क्लर्क का पद भी इस विद्यालय में खाली पड़ा हुआ है ऐसे में विद्यार्थियों को नारग अथवा सोलन भी नहीं भेजा जा सकता, परंतु भविष्य का सवाल है इसलिए विद्यार्थी लगातार स्कूल से पलायन करने के लिए मजबूर हैं क्षेत्र के विद्यार्थियों का भविष्य ताक पर रखकर वोट बैंक की राजनीति नेताओं द्वारा लगातार की जा रही है बहरहाल चुनावों में शिक्षा का यह मुद्दा सर्वोपरि रहने वाला है तथा निश्चित तौर पर नतीजे भी विपरीत असर छोड़ेगा। एचडीएम


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