स्तंभेश्वर महादेव

By: May 25th, 2024 12:23 am

आपने कभी ऐसा मंदिर देखा है, जहां भगवान शिव पूरे दिन में केवल दो बार दर्शन देने के लिए आते हैं और पूरा मंदिर फिर जलमग्न हो जाता है? नहीं देखा? शायद आपको इस मंदिर के बारे में पता भी नहीं होगा, तो चलिए आज हम आपको इस मंदिर से रू-ब-रू कराते हैं…

भारत के मंदिर दुनियाभर में मशहूर हैं। आजतक आप भगवान शिव के ऐसे मंदिर में गए होंगे, जहां उनकी एक मूर्ति स्थापित है और श्रद्धालु उनकी सच्चे दिल से पूजा कर रहे होते हैं। लेकिन आपने कभी ऐसा मंदिर देखा है, जहां भगवान शिव पूरे दिन में केवल दो बार दर्शन देने के लिए आते हैं और पूरा मंदिर फिर जलमग्न हो जाता है? नहीं देखा? शायद आपको इस मंदिर के बारे में पता भी नहीं होगा, तो चलिए आज हम आपको इस मंदिर से रू-ब-रू कराते हैं।

मंदिर कहां स्थित है- स्तंभेश्वर महादेव मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर से लगभग 175 किमी. दूर जंबूसर के कवि कंबोई गांव में मौजूद है। अगर ट्रैफिक जाम न मिले तो आप गांधीनगर से इस जगह तक 4 घंटे में ड्राइव करके पहुंच सकते हैं। मंदिर 150 साल पुराना है, जो अरब सागर और खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है। इस मंदिर की महिमा देखने के लिए आपको यहां सुबह से लेकर रात तक रुकना पड़ेगा।

मंदिर के पीछे की कहानी- शिवपुराण के मुताबिक ताडक़ासुर नामक एक शिव भक्त असुर ने भगवान शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था। बदले में शिव जी ने उसे मनोवांछित वरदान दिया था, जिसके अनुसार उस असुर को शिव पुत्र के अलावा कोई नहीं मार सकता था। हालांकि, उस शिव पुत्र की आयु भी सिर्फ छह दिन ही होनी चाहिए। यह वरदान हासिल करने के बाद ताडक़ासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था। इससे परेशान होकर सभी देवता और ऋषि-मुनियों ने शिव जी से उसका वध करने की प्रार्थना की थी। उनकी प्रार्थना स्वीकृत होने के बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय उत्पन्न हुए थे। कार्तिकेय ने उनका वध तो कर दिया था, लेकिन शिव भक्त की जानकारी मिलने पर उन्हें बेहद दु:ख पहुंचा था।

मंदिर बनवाने की यह थी वजह- कार्तिकेय को जब इस बात का एहसास हुआ, तो भगवान विष्णु ने उन्हें प्रायश्चित करने का मौका दिया। विष्णु भगवान ने उन्हें सुझाव दिया कि जहां उन्होंने असुर का वध किया है, वहां वो शिवलिंग की स्थापना करें। इस तरह इस मंदिर को बाद में स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।

क्यों डूब जाता है मंदिर- भले ही भारत में समुद्र के अंदर कई तीर्थस्थल हैं, लेकिन उनमें से ऐसा कोई मंदिर नहीं है, जो पानी में पूरी तरह से डूब जाता है। लेकिन स्तंभेश्वर महादेव मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जो दिन में दो बार समुद्र में समा जाता है और इसी वजह से ये मंदिर इतना अनोखा है। इसके पीछे का कारण प्राकृतिक है, दरअसल पूरे दिन में समुद्र का स्तर इतना बढ़ जाता है कि मंदिर पूरी तरह से डूब जाता है और फिर पानी का स्तर कम होने के बाद ये मंदिर फिर से दिखाई देने लगता है। ऐसा सुबह-शाम दो बार होता है और लोगों द्वारा इसे शिव का अभिषेक माना जाता है।

कैसे पहुंचें- कवि कंबोई वड़ोदरा से लगभग 78 किमी. दूर है। आप ट्रेन और बस से वड़ोदरा पहुंच सकते हैं। वड़ोदरा रेलवे स्टेशन कवि कंबोई के सबसे नजदीक है। वड़ोदरा से स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के लिए आप टैक्सी भी ले सकते हैं।


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