विलुप्त हो रही प्राचीन धरोहर

By: May 24th, 2024 12:54 am

बावडिय़ा, कुओं और तालाबों और की हालत दयनीय, प्राचीन स्त्रोतों की तरफ नहीं दिया जा रहा ध्यान
निजी संवाददाता-मुबारिकपुर
गगरेट विधानसभा क्षेत्र के लगभग सभी गांव पंचायतों में प्राचीन पेयजल के स्रोत बावडिय़ा, कुएं, तालाब और हैंडपंप लगभग सभी की स्थिति दयनीय है। इससे प्रबुद्ध जनता में भारी रोष व्याप्त है। इन प्राचीन तालाबों और कुओं में गंदगी का आलम है। जड़ी बूटियां उगी हुई है। क्षेत्र के हर गांव में कभी इन तालाबों और कुओं की एक पहचान हुआ करती थी। जंगली जीव जंतु व घरेलू पशु, आवारा पशु इनमें पानी पिया करते थे। वहीं, समाजसेवी रजनीकांत शर्मा, विनोद डडवाल, मनजीत केशव, सेवानिवृत शिक्षक रमेश शर्मा, पूर्व बीडीसी सदस्य तरसेम लाल, कमलजीत सिंह, अनिल कुमार भुट्टो, जल शक्ति विभाग से रिटायर सतीश जसवाल, पुलिस से रिटायर थानेदार युद्धवीर सिंह ठाकुर, करनैल सिंह ने बताया कि तीन चार दशक पहले हर गांव में कुएं, तालाब, बावडिय़ां पीने के पानी का एक बढिय़ा स्रोत हुआ करता था। सभी लोग जरुरत के अनुसार पीने का पानी इस्तेमाल करते थे और लोग खुद उनकी साथ सफाई और की व्यवस्था रखते थे।

अब जैसे-जैसे लोगों के घर नल लगे तो इन प्राकृतिक स्रोत की ओर लोगों ने मुख मोड़ लिया। उनकी हालत पर किसी भी सरकार व पंचायतों के नुमायदे ने इन पर ध्यान नहीं दिया। पंचायत चुनाव हो, चाहे विधानसभा चुनाव बनने के बाद कोई भी इन प्राचीन स्रोतों पर ध्यान नहीं देता। आश्वासन मिलते हैं और प्राचीन पेयजल स्रोतों की हालत गंदगी का आलम हो गया। कुए में जड़ी बूटियां हो गई, बावडिय़ां बिल्कुल बंद होगी और कई गांव में तालाबों को बंद करके लोगों ने कब्जा कर लिया। कुछ तालाब डस्टबिन बनके रह गए। ठाकुर करनैल सिंह, धर्मजीत सिंह, लखबीर सिंह, निशांन सिंह ने बताया कि तालाबों में पानी हो तो हजारों जीव जंतु इनमें पानी पीते हैं, लेकिन पूरे गगरेट क्षेत्र के तालाबों की हालत दयनीय है।


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