वोट उसी को, जो दिलाएगा हक
कई समस्याओं से जूझ रहे विस्थापितों ने एकमत होकर लिया निर्णय
निजी संवाददाता-चांदपुर
बिलासपुर जिला के हजारों परिवार भाखड़ा डैम आने से पानी की बलि चढ़े थे। आज तक भाखड़ा विस्थापित परिवार उस उजडऩे का दर्द झेल रहे हैं तथा सही तरीके से विस्थापितों का बसाव तक नहीं हो पाया है। प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के संयोजक रमेश चंद कौंडल के साथ गोरखू राम शास्त्री, दौलत राम, जगदीश संख्यान्न, पूर्व पंचायत प्रधान बाबू राम व पूर्व ग्राम पंचायत उप प्रधान शंकर राम सहित दर्जनों विस्थापित परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि भाखड़ा डैम आने से सलापड़ से लेकर भाखड़ा तक हजारों परिवार अपने आशियाने की बलि दे चुके हैं। जिनके बसाव के लिए आज तक विस्थापित परिवारों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ रहा है। यही नहीं जब यह आपात स्थिति बनी थी तो इन परिवारों को बसाव के लिए जो जगह चयन की गई, उनमें जो मूलभूत सुविधाएं होती है उनसे भी वंचित रहना पड़ रहा है। पीडि़त परिवारों का दुख सासंद नहीं समझ पाए। उस वक्त कुछ लोग बिलासपुर में बसाए गए, जिनको पट्टे पर जमीनें दी गई और बिलासपुर शहर तो 99 साल की लीज पर दिया गया।इसके अलावा परिवारों का बिखराव हुआ एक भाई बिलासपुर, दूसरा भाई हिसार राजस्थान में बसा दिया गया। उन भाईयों का आपस में मिलना भी मुश्किल होता रहा। उस पिछड़ेपन के दर्द को बिलासपुर के भाखड़ा विस्थापित परिवार घुट-घुट कर पीते रहे।
उजडऩे के बाद किसी ने नहीं समझा दर्द
उजडऩे के बाद पीडि़त परिवारों को अति गरीबी से जूझना पड़ा, लेकिन पिछले कई सालों से सांसद बनकर जा रहे अनुराग ठाकुर को भाखड़ा डैम विस्थापित परिवार का दर्द ही समझ नहीं आया। रमेश चंद ने कहा कि लोग नेता चुनकर भेजते हैं विकास करवाने के लिए, लेकिन नेता जी चुनकर जाने के बाद जमीन पर नहीं देखते। इसलिए भाखड़ा डैम विस्थापित परिवार उस नेता को चुनेंगे जो विस्थापित परिवारों के हित की बात करें। इसलिए अब बात वश से बाहर हो चुकी है और विस्थापित खुद को ठगा हुआ और पीडि़त महसूस कर रहे हैं। विस्थापितों ने अब एक मत निर्णय लिया है कि अब केवल वोट उसी को देंगे जो उनके हकों की बात करेगा। जो उनकी पीड़ा को समझेगा अन्यथा वे किसी को वोट भी नहीं देंगे।
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