कौनसे ‘वाले’ मुख्यमंत्री

By: May 23rd, 2024 12:05 am

हिमाचल में चुनाव की मासूमियत में मुद्दों के जख्म धोए जा रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के खाते में केंद्र सरकार का कत्र्तव्य और इधर हिमाचल की बेडिय़ों में आर्थिक संसाधनों की किफायत में गारंटियों का मसौदा। नेता पूछ रहे हैं, क्या जनता भी पूछेगी। जो वंदेभारत से अंब-अंदौरा पहुंच रहे, उन्हें चुनाव बता रहा है कि हमीरपुर रेल के राग में विरह कितनी और विराग कितना। सवाल मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने उछाला है, तो विकास के धरती पुत्र अनुराग ठाकुर को स्पष्टीकरण देना पड़ेगा। क्या यही प्रश्र केंद्र में कांग्रेस के शिलालेख लिखते रहे आनंद शर्मा से पूछा जाएगा कि रेल की इबारतों में उनका योगदान कितना है। कहना न होगा कि रेल विस्तार की शून्यता में दक्षता ढूंढते-ढूंढते हमने ऊना रेल का सिंहासन बना लिया, लेकिन कांगड़ा घाटी रेल पर किससे पूछें। क्या शांता कुमार के बयानों की खाल हटा कर देखें कि ‘टॉय ट्रेन’ की पटरियां चौड़ी करने के लिए उनके प्रयत्नों का पतन क्यों हुआ। क्या किशन कपूर या इंदु गोस्वामी से पूछें कि जम्मू को निकली वंदेभारत कब हिमाचल के नाम पर पठानकोट में स्टॉप लगाएगी। एक नई रेल लाइन की पड़ताल में सारी राजनीति का केंद्र हमीरपुर या ऊना ही क्यों। कभी पवन बंसल ने कांग्रेस की सत्ता में रेल पर अपनी सरकार का मार्ग प्रशस्त करते हुए बजट भाषण के सुर हिमाचल से मिलाए थे। आश्चर्य यह कि तब पालमपुर और धर्मशाला के बीच रेल मार्ग का अकल्पनीय सपना उंडेल दिया गया, जबकि कांगड़ा में रेल सेवा के व्यावहारिक पक्ष को आज तक अनदेखा किया जा रहा है। हमने इन्हीं कालमों में हिमाचल की कनेक्टिविटी को लेकर रेल, वायु और सडक़ मार्गों के स्वाभाविक गलियारों के बारे में बार-बार स्पष्ट किया है। इसमें दो राय नहीं कि हिमाचल में रेल विस्तार पठानकोट से नहीं ऊना तक पहुंची ट्रेन के मार्फत होगा।

हवाई सेवाओं का विस्तार कांगड़ा एयरपोर्ट के माध्यम से होगा, जबकि सडक़ मार्गों का केंद्र बिंदु हमीरपुर में स्थापित होगा। हमारा यह कथन साबित होगा बशर्ते ऊना से अंब-अंदौरा पहुंची ट्रेन आगे चलकर ज्वालाजी पहुंचे तथा प्रस्तावित कांगड़ा एयरपोर्ट विस्तार संभव हो। जाहिर तौर पर ऊना रेल परियोजना के लिए प्रेम कुमार धूमल के बाद अनुराग ठाकुर के प्रयास काफी हद तक प्रशंसनीय माने जाएंगे, लेकिन अंब-अंदौरा से आगे कांगड़ा के सांसदों को भी प्रयास करना चाहिए था, लेकिन यहां दिशाविहीन माहौल में न शांता सफल हुए और न ही किशन कपूर, बल्कि वर्तमान संसदीय चुनाव में न आनंद शर्मा के पास रेल के लिए कोई वक्तव्य है और न ही भाजपा के उम्मीदवार राजीव भारद्वाज के लिए कांगड़ा घाटी रेल का सपना कोई मायने रखता है। इस दिशा में मुख्यमंत्री सुक्खू ने कांगड़ा एयरपोर्ट विस्तार की रूपरेखा में पर्यटन को नई आशा और कनेक्टिविटी को भरोसा दिलाया है। हिमाचल में चुनाव भले ही विकास पर नहीं लड़े जाते, लेकिन जनता जल व विद्युत आपूर्ति के साथ-साथ सडक़ निर्माण को लेकर संवेदनशील रही है। यही वजह है कि हिमाचल में अगर शांता पानी वाले मुख्यमंत्री बने, तो प्रेम कुमार धूमल सडक़ वाले मुख्यमंत्री साबित हुए। जयराम ठाकुर ने निवेश वाले मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की है और ड्रग बल्क पार्क तथा मेडिकल डिवाइस पार्क हासिल करके वह खुद को प्रमाणित कर पाए हैं। ऐसे में अब अनुराग ठाकुर और सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने-अपने प्रदर्शन की लिखावट से ही साबित कर पाएंगे कि वे कौनसे ‘वाले’ मुख्यमंत्री या केंद्रीय मंत्री हैं। अगर कांगड़ा एयरपोर्ट का विस्तार संभव होता है, तो निश्चित रूप से सुक्खू हवाई यात्राओं वाले मुख्यमंत्री साबित होंगे। दूसरी ओर अनुराग ठाकुर अगर अंब-अंदौरा तक पहुंची रेल का मुख वाया कहीं से भी ज्वालाजी से जोड़ पाते हैं, तो वह रेल वाले पहले हिमाचली केंद्रीय मंत्री होंगे। यह इसलिए कि ज्वालामुखी से आगे यह ट्रेन कांगड़ा, बिलासपुर और मंडी तक पहुंच सकती है।


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