कब होगा नगद ईनाम बांट समारोह

By: Jun 14th, 2024 12:05 am

आज का अभिभावक खेलों में भी अपने बच्चों का कैरियर देख रहा है, क्योंकि खेल आज अपने आप में एक प्रोफैशन है। मानव द्वारा विज्ञान में बहुत प्रगति कर प्रौद्योगिकी व चिकित्सा के क्षेत्र में नए-नए सफल शोध कर जीवनशैली को काफी आसान व सुविधाजनक बना लिया है, मगर शिक्षण व प्रशिक्षण में शिक्षक व प्रशिक्षक की भूमिका का महत्व आज भी वही है, जैसा हजारों साल पहले था। महाभारत में कृष्ण सारथी नहीं होते तो क्या अर्जुन भीष्म, कर्ण व अन्य अजेय महारथियों को हरा पाता। विश्व स्तर पर किसी खेल विशेष में सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए क्षमतावान प्रशिक्षक का होना बेहद जरूरी होता है। आशा करते हैं कि सरकार उन्हें भी सम्मानजनक ईनामी राशि देगी। इस संबंध में जल्द ही फैसला हो जाना चाहिए। जहां तक हिमाचल में खेल उत्कृष्टता की बात है, इस क्षेत्र में काम होना बाकी है…

पहले भाजपा की जयराम सरकार ने राज्य के खिलाडिय़ों द्वारा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीते गए पदकों की ईनामी राशि को काफी सम्मानजनक स्तर तक तो जरूर बढ़ाया है, मगर पदक विजेताओं के लिए ईनाम बांट समारोह का आयोजन नहीं हो पाया है। कांग्रेस सरकार को भी चुने हुए दूसरा वर्ष भी आधा खत्म हो रहा है, मगर यह सरकार भी राज्य के वरिष्ठ व कनिष्ठ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं के लिए ईनाम बांट समारोह आयोजित नहीं कर पाई है। हां, यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री ने नयी खेल नीति बनाने की घोषणा को अमलीजामा पहनाते हुए बजट में ओलंपिक खेलों के स्वर्ण पदक विजेता की नगद ईनामी राशि को तीन करोड़ रुपए से पांच करोड़ रुपए, रजत पदक की दो करोड़ रुपए को तीन करोड़ रुपए व कांस्य पदक विजेता के एक करोड़ रुपए को दो करोड़ रुपए तक बढ़ाया है। एशियन व राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेताओं के नगद ईनाम में भारी बढ़ोतरी कर एशियाड के स्वर्ण पदक विजेता के पचास लाख रुपए को चार करोड़ रुपए, रजत के बीस लाख रुपए को अढाई करोड़ रुपए व कांस्य पदक विजेता के बीस लाख रुपए को डेढ़ करोड़ तथा राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता को तीन करोड़, रजत के लिए दो करोड़ रुपए व कांस्य पदक विजेता को एक करोड़ रुपए तक बढ़ा कर हिमाचल प्रदेश के खिलाडिय़ों को बहुत बड़ी सौगात दी है। जब विक्रमादित्य खेल मंत्री थे तो उन्होंने राज्य के लिए नयी खेल नीति लाने की बात की थी जिससे खिलाडिय़ों को अधिक लाभ होगा।

दशक पूर्व जब हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने अंतरराष्ट्रीय खेलों के पदाधिकारियों की ईनामी राशि को लाखों से करोड़ों में किया था तो उसके बाद हरियाणा में खिलाडिय़ों व उनके अभिभावकों ने अपने बच्चों का कैरियर खेलों में तलाशना शुरू कर दिया है। हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में ड्रिल व खेलों के लिए एक पीरियड जो वर्षों पहले पढ़ाई के नाम पर खत्म कर दिया था, अब फिर से शुरू करने का क्रांतिकारी कदम उठा कर सरकार ने स्कूली विद्यार्थियों की फिटनेस को ध्यान में रखने को तो जरूर कहा है, मगर खेलों के प्रशिक्षण व प्रतियोगिताओं के लिए समय सीमित कर दिया है, जो कथनी व करनी में बहुत फर्क दिखा रहा है। प्रतियोगिता व प्रशिक्षण शिविरों के समय खिलाडिय़ों को खाने में बहुत दिक्कत रहती है। सरकार द्वारा खुराक भत्ता बढ़ाना हिमाचल प्रदेश की खेलों व खिलाडिय़ों के लिए अच्छा संकेत है, मगर साथ ही साथ खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण व प्रतियोगिताओं के लिए उचित समय देकर खेलों के साथ न्याय करे। हिमाचल की सुक्खू सरकार ने राज्य में खेलों के लिए ऐतिहासिक फैसले लेकर खिलाडिय़ों व खेल प्रेमियों को खुश कर दिया है। आशा करते हैं कि जुलाई के उपचुनावों के बाद जल्दी ही प्रदेश के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल को गौरव दिलाने वाले पदकधारियों के लिए नगद ईनाम बांट समारोह का आयोजन किया जाएगा। खिलाड़ी तो प्रशिक्षक ही बनाएगा। ओलंपिक 2036 भारत में आयोजित करवाने की बात हो रही है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि इस स्तर पर भारत का प्रदर्शन भी उत्कृष्ट हो। इसलिए भारत में अच्छे प्रशिक्षकों को सही सुविधा व प्रबंधन देना बहुत ही जरूरी हो जाता है, क्योंकि खिलाड़ी से उच्च परिणाम केवल प्रशिक्षक ही दिलाता है, मगर कांग्रेस सरकार की इस ईनाम बढ़ोत्तरी में प्रशिक्षक को मिलने वाले नगद ईनाम पर चुप्पी क्यों है।

आज का अभिभावक खेलों में भी अपने बच्चों का कैरियर देख रहा है, क्योंकि खेल आज अपने आप में एक प्रोफैशन है। मानव द्वारा विज्ञान में बहुत प्रगति कर प्रौद्योगिकी व चिकित्सा के क्षेत्र में नए-नए सफल शोध कर जीवनशैली को काफी आसान व सुविधाजनक बना लिया है, मगर शिक्षण व प्रशिक्षण में शिक्षक व प्रशिक्षक की भूमिका का महत्व आज भी वही है, जैसा हजारों साल पहले था। महाभारत में कृष्ण सारथी नहीं होते तो क्या अर्जुन भीष्म, कर्ण व अन्य अजेय महारथियों को हरा पाता। विश्व स्तर पर किसी खेल विशेष में सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए क्षमतावान प्रशिक्षक का होना बेहद जरूरी होता है। आशा करते हैं कि सरकार उन्हें भी सम्मानजनक ईनामी राशि देगी। इस संबंध में जल्द ही फैसला हो जाना चाहिए। जहां तक हिमाचल में खेल उत्कृष्टता की बात है, इस क्षेत्र में अभी बहुत काम होना बाकी है। सरकार को भी काम करना है और निजी प्रयासों की भी और आवश्यकता है। अब तक देखा जाए, तो सरकारों के काम में अन्य राज्यों की तुलना में और प्रयासों की जरूरत है। निजी प्रयासों का ब्योरा इस कॉलम में कई बार दिया जा चुका है। निजी प्रयास काफी हुए हैं, फिर भी और प्रयास किए जाएं तो अच्छा प्रतिफल मिलेगा। लेकिन इसके लिए निजी प्रयास कर रहे खेल प्रशिक्षकों को सरकार को प्रोत्साहित करना चाहिए। तभी खेलों में उत्कृष्टता आएगी।

भूपिंद्र सिंह

अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

ईमेल: bhupindersinghhmr@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App or iOS App