शोध और नवाचार में भारत की ऊंचाई
हमें अपने औद्योगिक ढांचे में बदलाव लाना होगा, अपनी कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए बदलाव को आकार देना होगा, अपनी कंपनियों पर प्रतिस्पर्धी होने का दबाव बनाने के लिए व्यापार नीति का इस्तेमाल करना होगा तथा सार्वजनिक शोध प्रणाली में परिवर्तन करना होगा…
हाल ही में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा प्रकाशित ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2024 की रैंकिंग में 133 अर्थव्यवस्थाओं में भारत ने 39वां स्थान हासिल किया है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि जो भारत जीआईआई रैंकिंग में 2015 में 81वें स्थान पर था, अब वह 39वें स्थान पर पहुंच गया है। जीआईआई रैंकिंग में भारत की प्रगति दुनियाभर में रेखांकित हो रही है। इस ऊंची रैंकिंग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के वाइब्रेंट इनोवेटिव इकोसिस्टम की उपलब्धि बताया है। गौरतलब है कि जीआईआई 2024 के तहत भारत निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर है। भारत मध्य और दक्षिणी एशिया क्षेत्र की 10 अर्थव्यवस्थाओं में भी पहले स्थान पर है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) क्लस्टर रैंकिंग में चौथे स्थान पर है। भारत के प्रमुख शहर मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और चेन्नई दुनिया के शीर्ष 100 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्लस्टरों में सूचीबद्ध हैं और भारत अमूर्त संपत्ति तीव्रता में वैश्विक स्तर पर सातवें स्थान पर है। जीआईआई 2024 के अनुसार, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, अमेरिका, सिंगापुर और यूके दुनिया की सबसे अधिक नवोन्मेषी अर्थव्यवस्थाएं हैं, जबकि चीन, तुर्की, भारत, वियतनाम और फिलीपींस पिछले एक दशक में सबसे तेजी से ऊपर आने वाले देश हैं। यदि हम बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार से जुड़े अन्य वैश्विक संगठनों की रिपोर्टों को भी देखें तो पाते हैं कि भारत इस क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। अमेरिकी उद्योग मंडल ‘यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स’ के ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर के द्वारा जारी वैश्विक बौद्धिक संपदा (आईपी) सूचकांक 2024 में भारत दुनिया की 55 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में 42वें स्थान पर है।
नि:संदेह शोध एवं नवाचार तथा बौद्धिक सम्पदा की दुनिया में भारत की रैंकिंग यह दर्शा रही है कि भारत इनोवेशन का हब बनता जा रहा है। भारत में शोध एवं नवाचार को बढ़ाने में डिजिटल ढांचे और डिजिटल सुविधाओं की भी अहम भूमिका है। भारत आइटी सेवा निर्यात और वेंचर कैपिटल हासिल करने के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है। विज्ञान और इंजीनियरिंग ग्रेजुएट तैयार करने में भी भारत दुनिया में सबसे आगे है। भारत के उद्योग-कारोबार तेजी से समय के साथ आधुनिक हो रहे हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक कृषि से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए भारत ने जिस तरह विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया, उससे भारत कृषि विकास की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा है। विगत अगस्त माह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के खेतों में जाकर जारी की गई 61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्मों से कृषि नवाचार का नया अध्याय लिखा गया है। निश्चित रूप से शोध एवं नवाचार के मद्देनजर भारत ने कारोबारी विशेषज्ञता, रचनात्मकता, राजनीतिक और संचालन से जुड़ी स्थिरता, सरकार की प्रभावशीलता जैसे विविध क्षेत्रों में अच्छे सुधार किए हैं। साथ ही भारत में घरेलू कारोबार में सरलता, विदेशी निवेश जैसे मानकों में भी बड़ा सुधार दिखाई दिया है। भारत की शोध एवं नवाचार ऊंचाई में अपार ज्ञान पूंजी, स्टार्टअप और यूनिकॉर्न, पेटेंट वृद्धि, घरेलू उद्योग विविधीकरण, हाइटेक विनिर्माण और सार्वजनिक और निजी अनुसंधान संगठनों द्वारा किए गए प्रभावी कार्यों के साथ-साथ अटल इनोवेशन मिशन ने भी अहम भूमिका निभाई है। भारत बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) के अंतर्गत स्वदेश में विकसित लगभग 130 करोड़ रुपए की लागत के तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटर राष्ट्र को समर्पित किए। मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार एक उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का भी उद्घाटन किया गया है। सुपरकंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की प्रतिबद्धता के अनुरूप तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटर तैयार किए गए हैं। इन सुपरकंप्यूटरों को अग्रणी वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए पुणे, दिल्ली और कोलकाता में लगाया गया है।
यह बात महत्वपूर्ण है कि बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार के बहुआयामी लाभ होते हैं। इनके आधार पर किसी देश में विभिन्न देशों के उद्यमी और कारोबारी अपने उद्योग-कारोबार शुरू करने संबंधी निर्णय लेते हैं। पूरी दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारें भी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स को ध्यान में रखकर अपने वैश्विक उद्योग-कारोबार के रिश्तों के लिए नीति बनाने की डगर पर बढ़ती हैं। भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध एवं विकास और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से शुरू करते हुए दिखाई दे रही हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि सरकार बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार की अहमियत को समझते हुए इस क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए दिखाई दे रही है। वर्ष 2024-25 के बजट में वित्तमंत्री सीतारमण ने उभरते क्षेत्रों में नवाचार और शोध को प्रोत्साहन देने के लिए एक लाख करोड़ रुपए के कोष की स्थापना की है। यद्यपि भारत के विकास में बौद्धिक संपदा, शोध एवं नवाचार से जुड़े तीन आधारों की बढ़ती भूमिका दिखाई दे रही है, लेकिन इन आधारों से विकास को ऊंचाई देने के लिए इस क्षेत्र में सरकार व निजी क्षेत्र का परिव्यय बढ़ाना होगा। इस समय भारत में आरएंडडी पर जीडीपी का करीब 0.67 प्रतिशत ही व्यय हो रहा है। दुनिया के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब दो फीसदी शोध एवं विकास में व्यय किया जाता है। ऐसे में हमें ध्यान देना होगा कि कोई 6-7 दशक पहले अमेरिका ने आरएंडडी पर तेजी से अधिक खर्च करके सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, दवाओं, अंतरिक्ष अन्वेषण, ऊर्जा और अन्य तमाम क्षेत्रों में तेजी से आगे बढक़र दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनने का अध्याय लिखा है। हमें अपने औद्योगिक ढांचे में बदलाव लाना होगा, अपनी कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए बदलाव को आकार देना होगा, अपनी कंपनियों पर प्रतिस्पर्धी होने का दबाव बनाने के लिए व्यापार नीति का इस्तेमाल करना होगा तथा सार्वजनिक शोध प्रणाली में परिवर्तन करना होगा।
हम उम्मीद करें कि सरकार डब्ल्यूआईपीओ के द्वारा प्रकाशित जीआईआई 2024 के तहत प्राप्त 39वीं रैंकिंग को और ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ेगी। साथ ही देश के उद्योग-कारोबार जगत के द्वारा देश के तेज विकास और आम आदमी के आर्थिक-सामाजिक कल्याण के मद्देनजर दुनिया के विभिन्न विकसित देशों की तरह भारत में भी बौद्धिक समझ, शोध एवं नवाचार पर अधिक धनराशि व्यय करने की डगर पर आगे बढ़ा जाएगा। इससे जहां ब्रांड इंडिया और मेड इन इंडिया की वैश्विक स्वीकार्यता सुनिश्चित की जा सकेगी, वहीं स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, कारोबार, ऊर्जा, शिक्षा, रक्षा, संचार, अंतरिक्ष सहित विभिन्न क्षेत्रों में देश तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगा। हम उम्मीद करें कि देश को वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था और वर्ष 2047 तक विकसित देश बनाने के बड़े लक्ष्य को हासिल करने के मद्देनजर सरकार और उद्योग-कारोबार जगत के द्वारा बौद्धिक संपदा, शोध और नवाचार की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा तथा आर्थिक-सामाजिक विकास के नए अध्याय लिखने की डगर पर आगे बढ़ा जाएगा।
डा. जयंती लाल भंडारी
विख्यात अर्थशास्त्री
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