जीवन का आनंद
हमें जो प्राप्त है, उसे ही पर्याप्त मानकर संतुष्ट हों, जीवन के प्रति कृतज्ञ हों तो फिर हम पूजा करें या न करें, हम एक परिपूर्ण और सुखी जीवन जी सकते हैं। यह जीवनशैली अपना लें तो मानसिक रोग नहीं होते और मन हमेशा प्रसन्न-प्रफुल्लित रहता है। अध्यात्म कहता है कि हम दुनियादारी के सारे काम करें, ईष्र्या, द्वेष और लालच से मुक्त होकर अपनी जिम्मेदारियां निभाएं, फिर हमारा मन ही मंदिर हो जाता है। जब हम सब इस बात पर एकमत हैं कि हम जीवन में आनंद चाहते हैं और यदि हम ‘जो प्राप्त है, पर्याप्त है’ की धारणा से संतुष्टि भरा जीवन जिएं, अपनी जिम्मेदारियां ईमानदारी से निभाएं, सदा सच ही बोलें और किसी का दिल न दुखाएं तो हम एक स्वस्थ जीवन जीते हुए सदैव आनंदित रह सकते हैं। सवाल यह है कि जब यह इतना आसान है तो लोग इसे अपनाते क्यों नहीं…
कहा जाता है कि चौरासी लाख योनियों का कष्ट भुगतने के बाद हमें मानव रूप में जन्म लेने का सौभाग्य प्राप्त होता है। यही कारण है कि ज्यादातर धर्मों में मानव जीवन की बहुत महत्ता गाई गई है और यह कहा गया है कि मानव रूप में परमात्मा का भजन करके जीवन को सफल बनाना ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए। बहुत से ज्ञानी जन यह मानते हैं कि मनुष्य रूप में भी हमारे कई-कई जन्म होते हैं और जब तक हम शुद्ध होकर परमात्मा में विलीन होने के काबिल नहीं हो जाते, तब तक जन्म-मरण का चक्कर चलता रहता है। ऐसे सभी धर्म और ये ज्ञानी जन इस एक बात पर सहमत हैं कि आत्मा अजर, अमर है और शरीर का नाश होता है, आत्मा न मरती है न उसका नाश संभव है, लेकिन बहुत से अन्य धर्म ऐसे भी हैं जो पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते, वे सिर्फ सात्विक जीवन की बात करते हैं, परमात्मा के भजन की बात करते हैं, समाज सेवा की बात करते हैं, पर पुनर्जन्म को नहीं मानते। शब्द कुछ भी हों, भाव यही होता है। विज्ञान पुनर्जन्म को नहीं मानता। विज्ञान और वैज्ञानिक इस विचार को पूरी तरह से नकारते हैं, और यह सच भी है कि अभी तक पुनर्जन्म के किसी साक्ष्य पर दुनिया भर में वैज्ञानिक ढंग से कोई शोध करके इसकी सच्चाई को सिद्ध नहीं किया जा सका है। यही नहीं, जिन देशों में या जिन धर्मों में पुनर्जन्म की धारणा को नहीं माना जाता, वहां ऐसा कोई ठोस मामला भी कभी सामने नहीं आया जब किसी ने अपने किसी पिछले जन्म का जिक्र किया हो। धार्मिक आस्था वाले लोग और आध्यात्मिक लोग यह कहकर अपना पीछा छुड़ा लेते हैं कि विज्ञान की बहुत सी सीमाएं हैं और विज्ञान कभी भी अध्यात्म की गहराइयों, या यूं कहिए कि अध्यात्म की ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच सकता।
प्रसिद्ध मनोचिकित्सक और आज की दुनिया में सर्वाधिक प्रतिष्ठित हिप्नोथेरेपिस्ट, अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त लेखक डा. ब्रायन वीज ने पश्चिमी जगत में पुनर्जन्म की धारणा को सच मानने का अभियान चलाया है। उल्लेखनीय है कि वे एक ईसाई हैं और ईसाई धर्म में पुनर्जन्म की धारणा नहीं है। उनका दावा है कि एक मनोचिकित्सक और हिप्नोथेरेपिस्ट के रूप में काम करते हुए अपने मरीजों का इलाज करने के दौरान उन्हें कई अलौकिक अनुभव हुए और उनके मरीजों ने अपने पिछले जीवन की घटनाएं देखीं। परंतु विज्ञान जगत उनके इस दावे से सहमत नहीं है। वैज्ञानिक इस दावे को दिमाग की कल्पना मानते हैं कि कोई व्यक्ति ट्रांस की स्थिति में अपने पिछले जीवन को देख सकता है। डा. ब्रायन वीज एक शिक्षित एवं अनुभवी मनोचिकित्सक हैं, और वे खुद भी यही कहते हैं कि विज्ञान को इस दिशा में काम करना चाहिए। यानी, अभी तक पुनर्जन्म को वैज्ञानिक ढंग से सिद्ध नहीं किया जा सका है। स्वर्गीय लेखक खुशवंत सिंह ने एक बार दलाई लामा का इंटरव्यू किया था। उस बातचीत के दौरान खुशवंत सिंह ने पूछा कि ऐसा क्यों है कि पश्चिमी देशों में, जहां ईसाई धर्म की मान्यता है, वहां कभी किसी व्यक्ति ने अपने पिछले जीवन की दास्तान नहीं सुनाई है, ऐसा क्यों है कि पिछले जीवन की घटनाओं की खबरें सिर्फ उन्हीं देशों से आती हैं जहां पुनर्जन्म की धारणा पर विश्वास किया जाता है। जवाब में दलाई लामा ने जो कहा, उसका सार यह है कि आपका यह कथन सत्य है कि पुनर्जन्म को लेकर जितनी भी घटनाएं सामने आई हैं, वैज्ञानिक शोध में उनकी सच्चाई सिद्ध नहीं हो सकी है, पर मेरे धर्म में पुनर्जन्म की धारणा है, अत: पुनर्जन्म में मेरी आस्था है और मैं यह मानता हूं कि आप मेरी आस्था पर सवाल नहीं कर रहे हैं। लब्बोलुबाब यह कि पुनर्जन्म आज भी विवाद का विषय है। अगर हम यह मान लें कि पुनर्जन्म नहीं होता, आत्मा नाम की कोई चीज नहीं है, और स्वर्ग-नरक भी कहानियों का विषय है जिसे धर्मावलंबियों ने अपनी दुकान चलाने के लिए गढ़ रखा है, तो भी एक बात से तो कोई इंकार नहीं कर सकता कि हम सब एक सुखी, खुशहाल और खुशियों से भरपूर जीवन जीना चाहते हैं। एक शब्द में कहें तो हम सब ‘आनंद’ चाहते हैं।
अब अगर हम अपने चारों ओर देखें तो हम यह पाते हैं कि कोई भी व्यक्ति सुखी नहीं है, खुश नहीं है, और आज लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी संघर्ष से गुजर रहा है और तनाव भरा जीवन जी रहा है। तनाव की स्थिति इतनी भयानक है कि समाज का हर वर्ग इससे ग्रसित है, परेशान है और दुख भोग रहा है। अमीर हो या गरीब, राजा हो या भिखारी, मालिक हो या कर्मचारी, सभी किसी न किसी तनाव से ग्रसित हैं। गलाकाट प्रतियोगिता, आगे बढऩे की उत्कट चाह, सबसे अलग दिखने की इच्छा, पड़ोसी के सुख में दुखी, क्रोध, ईष्र्या, डर, ग्लानि आदि से पीडि़त मानव समाज एक ऐसे चक्रव्यूह का शिकार है जिससे निकलने की कोई राह उसे नहीं सूझ रही है। मनोविज्ञान यह मानता है कि कृतज्ञता की भावना, प्रेमपूर्ण दृष्टिकोण, सेवा के कार्य और प्रार्थना से युक्त जीवन हर संकट की रामबाण औषधि है। इन मान्यताओं से वैज्ञानिक भी सहमत हैं। यहां मनोविज्ञान, विज्ञान और अध्यात्म में कोई विवाद नहीं है। अध्यात्म भी कहता है कि पूजा सिर्फ तभी पूजा है जब हम प्रेममय हो जाते हैं, देश, धर्म, जाति, लिंग, क्षेत्र की बात छोडक़र हर व्यक्ति से प्रेम करने लगते हैं, बिना कारण प्रेम करने लगते हैं। हम पूजा करें या न करें, पर यदि हम प्रेममय हो जाएं और किसी का दुख बांट लें, किसी की सहायता कर दें, किसी को मार्गदर्शन दें तो हमें अलौकिक खुशी मिलती है। हमें जो प्राप्त है, उसे ही पर्याप्त मानकर संतुष्ट हों, जीवन के प्रति कृतज्ञ हों तो फिर हम पूजा करें या न करें, हम एक परिपूर्ण और सुखी जीवन जी सकते हैं। यह जीवनशैली अपना लें तो मानसिक रोग नहीं होते और मन हमेशा प्रसन्न-प्रफुल्लित रहता है।
अध्यात्म कहता है कि हम दुनियादारी के सारे काम करें, ईष्र्या, द्वेष और लालच से मुक्त होकर अपनी जिम्मेदारियां निभाएं, फिर हमारा मन ही मंदिर हो जाता है। जब हम सब इस बात पर एकमत हैं कि हम जीवन में आनंद चाहते हैं और यदि हम ‘जो प्राप्त है, पर्याप्त है’ की धारणा से संतुष्टि भरा जीवन जिएं, अपनी जिम्मेदारियां ईमानदारी से निभाएं, सदा सच ही बोलें और किसी का दिल न दुखाएं तो हम एक स्वस्थ जीवन जीते हुए सदैव आनंदित रह सकते हैं। सवाल यह है कि जब यह इतना आसान है तो लोग इसे अपनाते क्यों नहीं? जवाब यह है कि हम अक्सर उस बात की उपेक्षा कर देते हैं जो सामान्य है, और आसान नजर आता है, तो सबक यही है कि हम इस ‘आसान’ मंत्र की उपेक्षा न करें, इसे जीवन में उतारें और सचमुच एक आनंद भरा जीवन जीने की राह जरूर प्रशस्त करें।
स्पिरिचुअल हीलर सिद्ध गुरु प्रमोद निर्वाण
गिन्नीज विश्व रिकार्ड विजेता लेखक
ई-मेल: indiatotal.features@gmail.com
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App or iOS App