यह साझेदारी छोटे-बड़े की
बेशक अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ने ‘व्हाइट हाउस’ में प्रधानमंत्री मोदी का गदगद स्वागत किया। उन्हें ‘महान नेता’ कहा गया और टं्रप ने अपनी किताब पर लिखा-‘यू आर ग्रेट।’ टं्रप ने मोदी को बहुत याद भी किया। यह औपचारिक व्यवहार हो सकता है, हालांकि टं्रप ने किसी अन्य वैश्विक नेता के संबंध में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन दोनों की ‘ग्यारह’ वाली दोस्ती’ के साथ-साथ वे अपने-अपने देश के सर्वोच्च नेता भी हैं, लिहाजा दोनों अपने-अपने देश को ‘दोबारा महान’ बनाने को भी प्रतिबद्ध हैं। भारत-अमरीका दोनों ही विशाल और प्राचीन लोकतंत्र हैं, लेकिन यह भी यथार्थ है कि इस शिखर संवाद में अमरीका की ताकत वरिष्ठ देश की है और भारत जूनियर साझेदार देश के तौर पर रहा। अमरीका और भारत के बीच यही परंपरा और यही ताकत का असंतुलन रहा है, क्योंकि वह हमसे 8 गुना बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। आतंकवाद पर दोनों देश न्यूयॉर्क में 9/11 आतंकी हमले के बाद से साझा लड़ाई लड़ते रहे हैं। अमरीका ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के एक शैतानी साजिशकार तहव्वुर राणा को भारत को सौंपने का फैसला किया है। उसके लिए आभार व्यक्त करना चाहिए, शायद आतंकवाद की कुछ बंद और रहस्यमयी कडिय़ां खुल सकें। लेकिन तहव्वुर 2009 से अमरीकी जेल में है। लंबे 16 साल के बाद अमरीका उसे हमें सौंप रहा है, लिहाजा यह सवालिया स्थिति है।
आतंकवाद पर वैश्विक नेता अपने सरोकार जताते रहे हैं और साझा लड़ाई के सार्वजनिक बयान भी देते रहे हैं, लेकिन यह हकीकत है कि आतंकवाद के खिलाफ प्रत्येक देश की अपनी ही लड़ाई है। तसल्ली रहेगी कि हमारी अदालत तहव्वुर के आतंकवाद पर फैसला लेकर उसे फांसी तक भी पहुंचा सकेगी। बहरहाल टैरिफ या सीमा-शुल्क के मुद्दे पर राष्ट्रपति टं्रप ने अपनी नीति साफ कर दी है। वह सभी देशों के संदर्भ में है। दोनों शासनाध्यक्षों ने भारत-अमरीका के बीच टैरिफ पर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। साल के अंत में कोई व्यापार-समझौता हो सकता है, यह घोषणा जरूर की है। राष्ट्रपति टं्रप बुनियादी तौर पर व्यापारवादी मानसिकता के व्यक्ति हैं, लिहाजा भारत के साथ वह अमरीकी सैन्य सौदों को विस्तार देना चाहते हैं, ताकि व्यापार-घाटा कम किया जा सके। अमरीकी राष्ट्रपति ने अत्याधुनिक एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान भारत को देने की पेशकश इसी मंशा से की है। अमरीका ने यह विमान नाटो देशों को जरूर बेचा है। उनके बाहर भारत पहला देश होगा। बेशक यह 5वीं पीढ़ी का इकलौता लड़ाकू विमान है। फिलहाल पेशकश, प्रस्ताव तक ही मामला सीमित है, क्योंकि भारत को अपनी सैन्य जरूरतों को भी ध्यान में रखना होगा। भारत के पास राफेल लड़ाकू विमान की पर्याप्त शक्ति है, जो 4-5 पीढ़ी का विमान है। बेशक अमरीका ने भारत को जो बख्तरबंद वाहन देने की बात कही है, उसकी जरूरत लद्दाख, राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश सरीखे क्षेत्रों में सार्थक साबित हो सकती है। राष्ट्रपति टं्रप और प्रधानमंत्री मोदी ने अवैध भारतीय प्रवासियों पर भी बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी ने माना कि अवैध प्रवासियों को किसी अन्य देश में रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, लिहाजा उन्होंने ऐसे भारतीयों को वापस लेने पर अपनी स्वीकृति दे दी, लेकिन मोदी ने टं्रप से आग्रह किया कि यह लंबी लड़ाई है। मानव तस्करी के जालसाजों पर संयुक्त रूप से कार्रवाई करनी होगी।
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