क्या अब मणिपुर शांत होगा?

By: Feb 11th, 2025 12:05 am

प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का इस्तीफा मजबूरन लेना पड़ा। मणिपुर 3 मई, 2023 से जातीय हिंसा और हत्याओं के कारण जलता रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री को बरकरार रखा गया। अब विरोध और बगावत अविश्वास प्रस्ताव तक आ गई है। बीती 3 फरवरी को भाजपा के 19 विधायकों समेत कुल 33 विधायक दिल्ली आए और प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री से मुलाकात कर मुख्यमंत्री बदलने का आग्रह किया। आगाह किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव के साथ भाजपा विधायक भी मुख्यमंत्री के खिलाफ वोट कर सकते हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को लगा कि 60 के सदन में करीब 35 विधायक विरोध में हैं, लिहाजा राज्य सरकार का पतन अपरिहार्य है। अंतत: मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को तलब कर उन्हें इस्तीफे के लिए आदेश देना पड़ा। यह ऐसा राजनीतिक इस्तीफा है, जो बहुत पहले ही अतिदेय था। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को यथावत क्यों पदासीन रखा गया, इसका रहस्य तो प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ही जानते हैं। बगावत की चिंगारी लपटों में तबदील हो सकती है, यह यथार्थ तो सितंबर-अक्तूबर में ही सामने आ गया था। तब भाजपा के 19 विधायक स्पीकर सत्यब्रत सिंह के नेतृत्व में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मिले थे। उस दौरान महाराष्ट्र चुनाव के कारण मामला ठंडा कर दिया गया, लेकिन मणिपुर जलता रहा। राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय तनाव इतना हिंसक हो गया कि अभी तक 250 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। करीब 60,000 लोग बेघर हो चुके हैं। करीब 5000 घर जलाए जा चुके हैं। 386 धर्मस्थल तोड़े जा चुके हैं। भीड़ ने 3 मंत्रियों समेत 6 विधायकों के घर फूंक दिए। हिंसा के करीब 6000 मामले दर्ज हैं। इनमें 11 गंभीर मामलों की जांच सीबीआई कर रही है। 6745 लोग जेल में कैद हैं। ये सभी सरकारी आंकड़े हैं। असली डाटा भिन्न और ज्यादा हो सकता है। मणिपुर वीभत्स होता गया है।

वैसे मणिपुर में हिंसा और हत्याओं के दौर कांग्रेस सरकारों के दौरान भी देखे गए हैं, लेकिन मौजूदा दौर में महिलाओं को सरेआम नग्न कर सडक़ों पर घुमाया गया। इससे अधिक असामाजिक, अराजक और शर्मनाक हालात क्या होंगे! लेकिन मुख्यमंत्री बरकरार रहे और सत्ताओं के खेल जारी रखे गए। मणिपुर का मुद्दा संसद में भी पुरजोर तरीके से गूंजता रहा। चुनावों के दौरान भी कभी-कभार सुना गया, लेकिन 21 महीने तक यह नरक क्यों उबलता रहा, शायद ही देश को कभी इसका जवाब मिल सके! बेशक बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को सौंप दिया है। भल्ला केंद्रीय गृह सचिव रह चुके हैं, उसी अनुभव के मद्देनजर उन्हें मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया। सवाल यह है कि अब बीरेन सिंह के जाने के बाद मणिपुर के हालात कैसे होंगे? क्या अमन-चैन का दौर लौट सकता है? क्या मैतेई और कुकी के बीच अनुसूचित जनजाति के दर्जे का विवाद हल हो सकता है? क्या मणिपुर में ड्रग सिंडिकेट को नियंत्रित किया जा सकेगा और म्यांमार की खुली सीमा का कानून संशोधित किया जाएगा? फिलहाल ये सवाल बहुत कठिन और पेचीदा लगते हैं। बगावती गुट स्पीकर टी. सत्यब्रत सिंह को अपना नया मुख्यमंत्री चुनने के पक्ष में है। क्या भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उनके नेतृत्व के लिए सहमत है?


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App or iOS App