ट्रेड वॉर से मुकाबले की रणनीति

भारत के लिए ट्रंप की चुनौतियों के बीच वैश्विक कारोबार के नए अवसर भी निर्मित हो रहे है। एक ओर अमरीका में भारत के निर्यात बढ़ सकते हैं, वहीं दूसरी ओर भारत को वैश्विक निर्यात में भी बढ़त मिल सकती है। अब चीन पर अमरीका के द्वारा भारी टैरिफ लगाने से अमरीका चीन टैरिफ वॉर के कारण जिन क्षेत्रों में चीन अमरीका को प्रमुखता से निर्यात करता है, उनमें से कई क्षेत्रों में अमरीका को भारत अपना निर्यात सरलता से बढ़ा सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में भारतीय निर्यातकों को अमरीका बाजार में पहुंच बढ़ाने के लिए वर्ष 2025-26 के बजट में स्वीकृत किया गया एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन अहम भूमिका निभाएगा…

हाल ही में 5 मार्च को अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ (प्रतिस्पर्धी शुल्क)लगाने का ऐलान किया है। ट्रंप के द्वारा 4 मार्च से कनाडा और मैक्सिको पर 25 फीसदी और चीन के आयात पर भी 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ प्रभावी किए जाने के बाद इन देशों के द्वारा भी अमरीका पर जवाबी टैरिफ लगाए जाने से नया ट्रेड वॉर शुरू हो गया है। यद्यपि अभी ट्रंप ने भारत पर टैरिफ रेट का ऐलान नहीं किया है, किंतु भारत पर टैरिफ वृद्धि चीन और कनाडा से कम ही होगी। यह स्थिति भारत के पक्ष में है। भारत अभी अमरीका से आयात होने वाले उत्पादों पर औसतन 9 फीसदी का टैरिफ लगाता है। ऐसे में अमरीका भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ के आधार पर 9 फीसदी से अधिक टैरिफ नहीं लगाएगा। गोल्डमैन सॉक्स के मुताबिक अमरीकी टैरिफ से भारत की जीडीपी पर अधिकतम 0.6 फीसदी तक असर संभव है, जो की बेहद कम है। सिटी रिसर्च के अनुसार भारत को करीब 7 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है, जबकि अमरीका के साथ व्यापार लक्ष्य 500 अरब डॉलर सुनिश्चित किया गया है। निसंदेह टैरिफ वॉर की इन चुनौतियों के बीच भारत अमरीका के लिए उपयुक्त टैरिफ रियायतों की नई रणनीति के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं की भी नई रणनीति के साथ ट्रंप की टैरिफ मार से मुकाबला करने की डगर पर सुनियोजित रूप से आगे बढ़ रहा है। खास बात यह भी है कि जहां अमरीका से निर्मित टैरिफ चुनौतियों के बीच अब भारत को निर्यात के नए मौके मिलने की उम्मीद है, वहीं ट्रंप की नीति से भारत को चीन प्लस वन के रूप में दुनिया के वैश्विक व्यापार में तेजी से बढऩे का मौका भी मिलते हुए दिखाई दे सकेगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि 4 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया का हर देश भारत के साथ आर्थिक कारोबारी साझेदारी मजबूत करना चाहता है। ऐसे में भारत के उद्योग-कारोबार क्षेत्र के द्वारा नए मौकों को मु_ी में करने के लिए तत्परता के साथ आगे बढऩा चाहिए। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि ट्रंप के द्वारा अपनाई जा रही अमरीका फस्र्ट और रेसिप्रोकल टैरिफ की नीति के कारण दुनिया में बहुत तेजी के साथ आर्थिक और कारोबारी उठापटक चल रही है। नया व्यापार युद्ध शुरू हो गया है।

दुनिया में वैश्विक व्यापार नए सिरे से दोबारा स्थापित होने जा रहा है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) अब मुख्य स्तंभ के रूप में नहीं बचा है और सबसे पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे के तहत गैर भेदभावपूर्ण शुल्क खत्म हो रहे हैं। ऐसे में भारत ने इस नए बदलाव को समझते हुए रणनीतिकपूर्वक एक अप्रैल से प्रभावी होने वाले वर्ष 2025-26 के बजट में अमरीका से आने वाली वस्तुओं जैसे महंगी मोटरसाइकिल, सैटेलाइट के लिए ग्राउंड इंस्टॉलेशन और सिंथेटिक फ्लेवरिंग एसेंस जैसे कुछ सामानों पर शुल्क घटा दिए हैं। साथ ही मित्र देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की ऐसी नई रणनीति पर आगे बढऩा शुरू कर दिया है, जिसमें मित्र देशों को पर्याप्त रियायतें भी हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में विगत 28 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी और यूरोपीय आयोग (ईयू) की प्रेसिडेंट उर्सला वोन लेयेन ने दोनों पक्षों के बीच कारोबार एवं आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार समझौता को लेकर जारी किंतु-परंतु को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। दोनों नेताओं ने इस बारे में प्रतिबद्धता जताते हुए अपने संबंधित मंत्रालयों को निर्देश दिया कि दोनों पक्षों के हितों के मुताबिक भारत-ईयू व्यापार समझौते पर इस वर्ष 2025 के अंत तक मुहर लगाई जाए। उल्लेखनीय है कि विगत 13 फरवरी नरेंद्र मोदी और राष्ट्पति डोनॉल्ड ट्रंप के बीच हुई वार्ता के दौरान द्विपक्षीय कारोबार को वर्ष 2030 तक 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। इसी प्रकार पिछले माह फरवरी में भारत के दौरे पर आए ब्रिटेन के व्यवसाय व कारोबार मंत्री जोनाथन रेनाल्ड्स ने कहा कि व्यापारिक समझौते का उद्देश्य पांच से छह वर्षों में द्विपक्षीय कारोबार को तीन गुना करना है। इसी तरह अमरीका और ब्रिटेन के साथ भी मुक्त व्यापार व निवेश समझौते को इसी साल 2025 में पूर्ण किए जाने के मद्देनजर भी भारत ने रणनीति तय की है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि अमरीका, यूरोपीय आयोग और ब्रिटेन इन तीनों का भारत के कुल द्विपक्षीय वैश्विक कारोबार में एक तिहाई से भी ज्यादा का हिस्सा है। वर्ष 2030 तक भारत इन तीनों के साथ अपने द्विपक्षीय कारोबार को कम से कम तीन गुना बढ़ाने की डगर पर आगे बढ़ा है। निश्चित रूप से इस समय ट्रंप के टैरिफ तूफान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं ऐसी डगर को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं, जो उन्होंने पिछले वर्ष अपने तीसरे कार्यकाल से ही लगातार आगे बढ़ाना शुरू किया है। पिछले वर्ष से ही इस रणनीति से द्विपक्षीय व्यापार के अच्छे अध्याय लिखे गए हैं। निश्चित रूप से अमरीका के टैरिफ वॉर के मुकाबले के लिए भारत की नई द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं भारत की मु_ी में एक असरकार हथियार है।

भारत के लिए ट्रंप की चुनौतियों के बीच वैश्विक कारोबार के नए अवसर भी निर्मित हो रहे है। एक ओर अमरीका में भारत के निर्यात बढ़ सकते हैं, वहीं दूसरी ओर भारत को वैश्विक निर्यात में भी बढ़त मिल सकती है। अब चीन पर अमरीका के द्वारा भारी टैरिफ लगाने से अमरीका चीन टैरिफ वॉर के कारण जिन क्षेत्रों में चीन अमरीका को प्रमुखता से निर्यात करता है, उनमें से कई क्षेत्रों में अमरीका को भारत अपना निर्यात सरलता से बढ़ा सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में भारतीय निर्यातकों को अमरीका बाजार में पहुंच बढ़ाने के लिए वर्ष 2025-26 के बजट में स्वीकृत किया गया एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन अहम भूमिका निभाएगा। इतना ही नहीं ट्रंप के रुख और ट्रंप की नीति से भारत को चीन प्लस वन के रूप में दुनिया के वैश्विक व्यापार में तेजी से बढऩे का मौका भी मिलते हुए दिखाई दे रहा है। चीन में मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कई विदेशी कंपनियां भी भारत का रुख कर सकती हैं। इन सबके साथ जिस तरह ट्रंप अमरीका फस्र्ट की रणनीति के साथ अमरीका को तेजी से आर्थिक मजबूती देने का प्रयास कर रहे हैं, उसी तरह भारत में भी प्रधानमंत्री मोदी इंडिया फस्र्ट की रणनीति को तेजी से आगे बढ़ाकर घरेलू उद्योग कारोबार और अर्थव्यवस्था को तेजी से बेरोकटोक आगे बढ़ाने के मौके को मु_ी में ले सकते हैं। हम उम्मीद करें कि अमरीका के द्वारा 2 अप्रैल से भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने की नई चुनौती के बीच भारतीय नीति निर्माताओं के द्वारा ट्रंप प्रशासन की नीतियों से भारत पर होने वाले प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभावों का सतत मूल्यांकन करते हुए रणनीतिक रूप से द्विपक्षीय कारोबार की डगर पर आगे बढ़ा जाएगा। हम उम्मीद करें कि सरकार अमरीकी टैरिफ की नई चुनौतियों के बीच नई द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं और नए मुक्त व्यापार समझौतों की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी और अमरीका सहित दुनिया के कोने-कोने के देशों में कारोबार की नई संभावनाओं को मु_ियों में लेते हुए वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ाने में सफल होगी।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App or iOS App