टैरिफ जंग से मुकाबले की रणनीति

अमेरिका के द्वारा भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने की नई चुनौती के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौतों और नए मुक्त व्यापार समझौतों की वार्ताओं को शीघ्रता से अंतिम रूप देने की नई रणनीति के अच्छे परिणाम बहुत जल्द सामने आते जाएंगे…

यकीनन जहां दुनिया में एक ओर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के कारण बहुराष्ट्रीय व्यापार समझौतों का सितारा अस्त हो रहा है, वहीं नए द्विपक्षीय व्यापार समझौतों और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का जो नया दौर तेजी से आगे बढ़ रहा है, उसमें भारत नई व्यापार रणनीति के साथ सबसे आगे है। भारत की इस नई व्यापार रणनीति के तहत तीन महत्वपूर्ण बातें उभरकर दिखाई दे रही हैं। एक, अब लंबे समय तक व्यापार वार्ता चलाने के बजाय व्यापार वार्ता शीघ्रतापूर्वक पूरी की जाए। दो, व्यापार वार्ता के तहत मुख्य कारोबारी मुद्दों जैसे शुल्क, गैर शुल्क बाधाओं पर शुरुआत में ही प्राथमिकता के साथ विचार मंथन किया जाए। तीन, व्यापार वार्ता में भारत के लिए सिरमौर बने हुए सेवा निर्यात (सर्विस एक्सपोर्ट) के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल्स और ऑटोमोटिव सेक्टर को विशेष रूप से शामिल कराने पर ध्यान दिया जाए। इससे वैश्विक वैल्यू चेन (जीवीसी) में भारत की जो हिस्सेदारी अभी सिर्फ 3.3 फीसदी है, वह हिस्सेदारी तेजी से बढ़ते हुए भी दिखाई देगी। हाल ही में 16 मार्च से 20 मार्च तक न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की आधिकारिक भारत यात्रा के दौरान लक्सन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई द्विपक्षीय शिखर बैठक में दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत करने, विशेष रूप से व्यापार, कृषि, शिक्षा, सेवा क्षेत्र, ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई अहम सझमौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। खास बात यह कि पिछले 10 वर्षों से प्रस्तावित और धीरे-धीरे आगे बढ़ रही भारत-न्यूजीलैंड व्यापार समझौता वार्ता को अब शीघ्रतापूर्वक महज 60 दिन में पूर्ण करना भी सुनिश्चित किया गया है।

उल्लेखनीय है कि विगत 28 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी और यूरोपीय आयोग (ईयू) की प्रेसिडेंट उर्सला वोन लेयेन ने दोनों पक्षों के बीच कारोबार एवं आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार समझौते को लेकर जारी किंतु-परंतु को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। दोनों नेताओं ने इस बारे में प्रतिबद्धता जताते हुए अपने संबंधित मंत्रालयों को निर्देश दिया कि दोनों पक्षों के हितों के मुताबिक भारत-ईयू व्यापार समझौते पर इस वर्ष 2025 के अंत तक मुहर लगाई जाए। इसी तरह विगत 13 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप के बीच हुई वार्ता के दौरान द्विपक्षीय कारोबार को वर्ष 2030 तक 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले माह फरवरी में भारत के दौरे पर आए ब्रिटेन के व्यवसाय व कारोबार मंत्री जोनाथन रेनाल्ड्स ने कहा कि भारत के साथ व्यापारिक समझौते का उद्देश्य पांच से छह वर्षों में द्विपक्षीय कारोबार को तीन गुना करना है। ऐसे में भारत ने ईयू की तरह अमेरिका और ब्रिटेन के साथ भी मुक्त व्यापार व निवेश समझौते को इसी साल 2025 में पूर्ण किए जाने के मद्देनजर रणनीति तय की है। यह उल्लेखनीय है कि इस समय जब दुनिया में द्विपक्षीय व्यापार समझौते नए सिरे से दोबारा अहम हो गए हैं, तब भारत प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल के तहत जून 2024 से आगे बढ़ी व्यापार वार्ताओं को तेजी से पूर्ण करने और व्यापार समझौतों के क्रियान्वयन के लिए तत्परता से आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में यदि हम पलटकर देखें तो पाते हैं कि गत वर्ष 13 से 15 जून को इटली में विकसित देशों के संगठन जी-7 के शिखर सम्मेलन में विशेष आमंत्रित देश के रूप में भारत शामिल हुआ और इस मौके पर सम्मेलन में शामिल प्रमुख देशों के राष्ट्र प्रमुखों के साथ भारत की द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं भी हुई। विगत 9 जुलाई को 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में मास्को में भारत और रूस के बीच बहुआयामी संबंधों की संपूर्ण श्रृंखला की समीक्षा के बाद भारत और रूस ने द्विपक्षीय कारोबार को 2030 तक 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। 22 सितंबर को न्यूयार्क में भारत और अमेरिका के बीच हुई बातचीत में कई व्यापार समझौतों के साथ कोलकाता में एक सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने का करार हुआ है। विगत 22 से 24 अक्टूबर तक कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का भारत ने द्विपक्षीय वार्ताओं के लिए रणनीतिक लाभ लिया। साथ ही भारत और चीन के बीच पांच साल बाद अहम द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस वार्ता के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों का नया अध्याय दिखाई दे रहा है।

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि भारत के द्वारा कई और व्यापार वार्ताओं को तत्परता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने 16 से 21 नवंबर तक ब्राजील, नाइजीरिया और गुयाना के पांच दिवसीय दौरे के दौरान जहां जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर फ्रांस, इटली, ब्राजील, सिंगापुर, इंडोनेशिया, पुर्तगाल, नॉर्वे और स्पेन समेत कई देशों के नेताओं के साथ 31 द्विपक्षीय और अनौपचारिक वार्ताएं की, वहीं नाइजीरिया और गुयाना पहुंचकर इन देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की सार्थक वार्ताएं की। इसी तरह विगत 16 दिसंबर को श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके अपने सबसे पहले राजकीय विदेशी दौरे पर भारत आए और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ नई दिल्ली में लाभदायक द्विपक्षीय वार्ता की। अब दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूती देने तथा पिछले वर्ष दिसंबर में की गई व्यापार वार्ताओं को अंतिम रूप देने के लिए पीएम मोदी आगामी माह अप्रैल में श्रीलंका जाएंगे। यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि विगत 21 और 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा कुवैत यात्रा के दौरान कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के साथ द्विपक्षीय वार्ता में आईटी, फार्मास्यूटिकल्स, फिनटेक, बुनियादी ढांचे आदि क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जो प्रभावी व्यापार वार्ता शीघ्र ही द्विपक्षीय व्यापार समझौते के रूप में दिखाई दे सकती है। इन सबके साथ-साथ जहां नॉर्वे, हंगरी, ग्वाटेमाला, पेरू, चिली के साथ भी शीघ्र ही व्यापार समझौते की बातचीत शुरू हो सकती है, वहीं अब भारत के द्वारा ओमान, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, इजरायल, भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल के साथ भी एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप देने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा जा रहा है। इसमें कोई दोमत नहीं कि अमेरिका के टैरिफ लगाए जाने की योजना का भारत पर कोई ज्यादा असर नहीं होगा। विभिन्न नई शोध अध्ययन रिपोर्टों में यह बताया गया है कि ट्रंप की टैरिफ योजना से भारत के कुल निर्यात में महज 3 से 3.5 फीसदी गिरावट आ सकती है।

निर्यात की इस कमी को मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों से अधिक निर्यात के माध्यम से सरलतापूर्वक पूरा किया जा सकेगा। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि इस समय भारत दुनिया में सबसे अधिक 6.5 से 7 फीसदी विकास दर और सर्विस एक्सपोर्ट की वैश्विक राजधानी का तमगा हासिल करते हुए मजबूत घरेलू बाजार और रिकार्ड खाद्यान्न उत्पाद की ताकत के मद्देनजर दुनिया के कई विकसित और विकासशील देश भारत के साथ द्विपक्षीय और मुक्त व्यापार समझौतों के लिए तत्परता दिखा रहे हैं। हम उम्मीद करें कि अमेरिका के द्वारा भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने की नई चुनौती के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौतों और नए मुक्त व्यापार समझौतों की वार्ता के दौरान शुरुआत से ही शुल्क, गैर शुल्क बाधाओं पर प्राथमिकता के साथ बातचीत करने और द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं को शीघ्रता से अंतिम रूप देने की नई रणनीति के अच्छे परिणाम बहुत जल्द सामने आते जाएंगे और वैश्विक वैल्यू चेन में भी भारत की हिस्सेदारी बढ़ते हुए दिखाई देगी। ऐसे में भारत टैरिफ चुनौतियों के बीच अमेरिका सहित दुनिया के कोने-कोने के देशों में कारोबार की नई संभावनाओं को मु_ियों में लेते हुए वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ते हुए भी दिखाई देगा।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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