कश्मीर में एक और नरसंहार

By: Apr 24th, 2025 12:05 am

एक तस्वीर मीडिया के जरिए दुनिया के सामने आई है। सबसे त्रासद, दर्दनाक और नरसंहार को बयां करती तस्वीर…! एक नवविवाहिता की कलाइयों पर लाल रंग का चूड़ा है, उंगली में अंगूठी है, लेकिन वह अपने पति के शव के पास गुमसुम बैठी है। उसके भीतर न जाने कितने अंधड़ उमड़ रहे होंगे! आतंकी हमले ने एक नवविवाहित जोड़े की जिंदगी ही काली कर दी। कश्मीर में पहलगाम जिले के बैसरन घसियाले मैदान में आतंकियों ने हमला किया है। यह हमला ही नहीं, बल्कि दानवी नरसंहार है, जिसमें 28 निहत्थे, निर्दोष, मासूम पर्यटकों को, मात्र 20 मिनट में ही, लाश बना दिया गया। बैसरन घाटी पहलगाम से करीब 7 किमी दूर है। एक बेहद खूबसूरत घास का मैदान, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहते हैं, लेकिन आतंकियों ने उसे भी खून से लथपथ कर बदनाम कर दिया। पहलगाम से अमरनाथ यात्रा का एक मुख्य मार्ग जाता है। धार्मिक यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण भी शुरू हो चुका है। आतंकियों ने तीर्थयात्रियों के लिए भी खौफ और दहशत के भाव पैदा कर दिए हैं। इस बार आतंकियों ने चुन-चुन कर ‘हिंदू पर्यटकों’ को ही निशाना बनाया है। उनका नाम और धर्म पूछा गया, कलाई में कलावा देखा और कलमा नहीं पढ़ पाए, तो उन्हें गोलियों से भून दिया। बताया गया है कि 4-5 आतंकी थे। उन्होंने 50-70 राउंड गोलीबारी की और 28 सैलानियों को मौत की नींद सुला दिया। अधिकतर पुरुष पर्यटकों को ही निशाना बनाया गया। कर्नाटक की एक महिला ने पति की मौत के बाद जब कहा कि उसे भी मार दें, तो आतंकियों ने जवाब दिया-‘नहीं, तुम्हें नहीं मारेंगे। तुम जाओ, जाकर मोदी को बता दो।’ इस जवाब से ही आतंकियों की सोच और मंशा समझी जा सकती है। बहरहाल कश्मीर में फरवरी, 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के बाद यह नरसंहार सबसे बड़ा और वीभत्स है। पुलवामा में 40 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को आतंकियों ने ‘शहीद’ कर दिया था। पहलगाम में धर्म के आधार पर चिह्नित कर पर्यटकों पर पहली बार आतंकी हमला किया गया है। इस नरसंहार ने मार्च, 2000 के चित्तीसिंहपुरा आतंकी हमले की याद ताजा करा दी, जिसमें 35 ग्रामीण सिखों को उनके घरों से निकाल कर मार दिया गया था। तब अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन कश्मीर के प्रवास पर ही थे। इस बार अमरीका के उपराष्ट्रपति वेंस भारत के प्रवास पर हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी सऊदी अरब गए हुए थे।

बहरहाल उन्हें तुरंत लौटना पड़ा। लौटने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने गृहमंत्री अमित शाह को फोन पर निर्देश दिए कि तुरंत श्रीनगर जाएं और हालात तथा सुरक्षा का जायजा लें। गृहमंत्री श्रीनगर में ही हैं। उन्होंने उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह सचिव सहित सुरक्षा के शीर्ष अधिकारियों के साथ मंथन किया कि ऐसा क्यों हुआ है? राष्ट्रीय जांच एजेंसी भी अब ऑपरेशन में शामिल हो सकती है। सरकार और सुरक्षा-तंत्र तुरंत सक्रिय हो गए हैं। पहाड़ी और जंगलात वाले उस इलाके की सेना और सुरक्षा-बलों ने घेराबंदी कर ली है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने कहा है कि आतंकियों का नापाक एजेंडा सफल नहीं होने दिया जाएगा। आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का हमारा संकल्प मजबूत है। हमलावरों को बख्शा नहीं जाएगा। दरअसल अब ऐसे बयान और लाल आंखें दिखाना बेमानी है। कश्मीर में 60-70 आतंकवादी सक्रिय हों या सीमापार से घुसपैठ करके आते हों, लेकिन लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर में कभी भी आतंकी हमला किया जा सकता है। राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपी वैद इसे ‘पुलवामा जैसा हमला’ ही मानते हैं। उनका मानना है कि आतंकियों ने इलाके के होटलों की रेकी कई बार की होगी और हमले की रणनीति खूब सोच-समझ कर बनाई होगी। तभी वे इतना बड़ा हमला करने में कामयाब रहे और हमारे सुरक्षा तथा खुफिया तंत्र को भनक तक नहीं लगी। आतंकियों के पास अत्याधुनिक, विदेशी हथियार भी हैं। वे उन्हें कैसे मिले? रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सामान्य हमला नहीं है। आतंकियों ने भारत को सीधी चुनौती दी है, लिहाजा इसका पलटवार भी ऐसा होना चाहिए, जिससे पाकिस्तान कांप उठे। कश्मीर को सामान्य करने के प्रयास बिल्कुल नहीं थमने चाहिए, लिहाजा प्रधानमंत्री कश्मीरियों को संबोधित करें। सर्वदलीय बैठक भी बुलाई जानी चाहिए।


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