बारात नहीं, कूटनीति है
शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के संसदीय दल के नेता संजय राउत कह रहे हैं कि यह बारात भेजने की जरूरत नहीं है। यह सिर्फ ‘टूरिज्म प्रोग्राम’ चल रहा है।’ कांग्रेस दो बिंदुओं पर अटकी है। वह राष्ट्रपति टं्रप को ‘अमरीकी पापा’ और ‘अमरीकी फूफा’ कहते हुए युद्धविराम पर सवाल पूछ रही है। क्या ऐसा तंज कूटनीति में उचित और स्वीकार्य है? लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बार-बार पूछ रहे हैं कि हमारे कितने लड़ाकू विमान नष्ट हुए? पाकिस्तान को हमले से पहले जानकारी देकर सचेत करना विदेश मंत्री जयशंकर की चूक नहीं, एक अपराध है। प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को स्पष्ट करना चाहिए, क्योंकि देश को जानने का अधिकार है। विपक्षी खेमे में कांग्रेस के साथी दलों-सपा, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार), झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कॉन्फ्रेंस-को मौजूदा संवेदनशील दौर में भारत सरकार के निर्णयों पर आपत्ति नहीं है और वे सवाल, संदेह जताने के बजाय ‘राष्ट्रीय एकजुटता’ का प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ ‘काली भेड़ें’ हैं, जिनके दलों के सांसद ‘विशेष प्रतिनिधिमंडलों’ के साथ विदेश भेजे जा रहे हैं। क्या यह प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक विवशता है कि उन्हें 33 देशों के सामने भारत का पक्ष रखने के लिए विपक्षी सांसदों और नेताओं का सहारा लेना पड़ रहा है? यह संदर्भ राजनीतिक दलों और विपक्ष का नहीं है, बल्कि राष्ट्र भारत का है। प्रतिनिधिमंडल ‘भारत के राजदूत’ हैं, किसी दल-विशेष के सांसद या नेता नहीं हैं। क्या इन प्रतिनिधिमंडलों को ‘बारात’ माना जा सकता है? इतनी क्षुद्र और घटिया राजनीति करने की विवशता क्या है? देश के विदेश सचिव विक्रम मिसरी तक स्पष्ट कर चुके हैं कि विदेश मंत्री ने ऐसा बयान नहीं दिया। पाकिस्तान को इतना सचेत नहीं किया गया कि हाफिज सईद, मसूद अजहर, सैयद सलाहुद्दीन, लखवी सरीखे खूंखार आतंकवादी भाग कर किसी सुरक्षित पनाहगाह में शरण ले सकें। वे निश्चित तौर पर हमारी सेनाओं के निशाने पर हैं।
पाकिस्तान में आजकल अज्ञात हमलावर भी खूब सक्रिय हैं, पाकिस्तान और कांग्रेस को यह भूलना नहीं चाहिए। सवाल है कि कांग्रेस बार-बार ऐसे बयान देकर देश को भ्रमित करने पर क्यों आमादा है? सेना के आधार पर हमारे सैन्य संचालन के तीनों महानिदेशकों ने भी ब्रीफ किया था कि हमारे सभी पायलट सकुशल घर लौट आए हैं। जाहिर है कि लड़ाकू विमान भी सुरक्षित लौट आए होंगे! फिर कांग्रेस और राहुल गांधी इस बयान को क्यों दोहरा रहे हैं कि पाकिस्तान को हमले की पूर्व जानकारी थी, लिहाजा हमने कुछ लड़ाकू विमान खोए होंगे! विडंबना यह है कि इधर कांग्रेस जो बयान दे रही है, उधर पाकिस्तान मीडिया की वे सुर्खियां बने हैं। ऐसी ही फर्जी खबरें सोशल मीडिया पर चलाई जा रही हैं कि पाकिस्तान की वायुसेना ने भारत के 5 राफेल विमान धराशायी कर दिए। वहां के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ संसद में भी यही बयान देते हैं और खबर का आधार सोशल मीडिया बताते हैं। ऐसे मंत्रियों को चुल्लू भर पानी भी नहीं मिलना चाहिए। सवाल यह भी है कि कांग्रेस भारत सरकार के साथ खड़ी है अथवा पाकिस्तानी खबरों की सूत्र बनी है? बहरहाल जब भारत सरकार पाकपरस्त आतंकवाद और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर दुनिया के प्रमुख देशों को ब्रीफ करने के लिए 59 सांसदों-नेताओं के सात प्रतिनिधिमंडल भेज रही है, तब क्या दोगली राजनीति होनी चाहिए? हम पाकिस्तान के आतंकवादी चरित्र को नंगा करना चाहते हैं और हमारा ही राजनीतिक उथलापन दुनिया के सामने है। शर्मिन्दगी की बात है। शेष विश्व क्या सोचेगा? कांग्रेस की तरफ से शशि थरूर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद, अमर सिंह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के हिस्सा हैं। हालांकि पार्टी ने उन्हें नामित नहीं किया था, लेकिन उन्होंने ‘राष्ट्रहित’ में सरकार का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। अब कांग्रेस भी राष्ट्रहित और राष्ट्रसेवा की बात करने लगी है। यह वक्त भारत के लिए एकजुटता दर्शाने का है। इस समय किसी भी दल को राष्ट्रहित के लिए, सियासत नहीं करनी चाहिए। अगर हम बिखरे-बिखरे नजर आएंगे, तो दुश्मन को हम पर हमला करना आसान हो जाएगा। भारतीय सेना पर विश्वास रखते हुए, श्रेय लेने से भी बचना चाहिए।
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