पाठक की रुह से संवाद करतीं ‘ललित कविताएं’

By: Jul 6th, 2025 12:04 am

‘इटरनिटी’ जैसे विषय में छुपे रहस्य तक पहुंचती कविता का अपना अनंतकाल क्या होगा, ऐसी रचना प्रक्रिया के बीच कवि ललित मोहन शर्मा का आत्मविवेचन संगठित व साहसिक हो जाता है। ‘हिंट्स एंड गेसेस’ संग्रह के 92 पन्ने 73 कविताओं की गवाही में शरीक होकर, अंग्रेजी शब्दकोष को हिंदी के ‘संकेतों और अनुमानों’ में भी मौलिक बनाए रखते हैं। हर कविता सिर्फ कहती नहीं, बल्कि कहीं गहरे जाकर बैठ जाती है, A lot goes unspoken, conveyed through/A nod, a touch, gesture of eye or hand हर इनसान के भीतर अपने-अपने व्यक्तित्व का परिसंवाद है, जहां संवेदना के हर द्वार पर कुछ हटकर पाने की मनोकामना को कवि भावों की परिपक्वता और इच्छाओं की महाकाव्यता को अकेलेपन के छोर पर ले जाता है। दरअसल कवि मानव प्रवृत्तियों को बटोर कर अपने दर्शन के निर्वाण रास्ते खोल रहा है।

जिंदगी से गुजरना, संवेदना से गुजरना है, जिसे अपने बोध से सहज बनाते हुए पाठक को चिंतन के कई धरातल दिखाते हुए कवि कहता है, You visit familiar scenes with amazing/Delight of discovering new windows जीवन को अंतिम पायदान पर देखने के लिए ‘रेसुररिक्शन’ कविता फिर से जी उठने की सलाहित बना देती है। जीवन में सृजन की खिड़कियां हमारे परिवेश के करीब और हमारी अंदरूनी आंखों के सामने खुलती हैं। इसीलिए कई चर्चित हस्तियों ने लिखने को कलम तब पकड़ी जब हाथ कांप रहे थे या कैनवास पर रंग तब खोजे जब वे जीवन के मरुस्थल पर पहुंच चुके थे। ललित मोहन की कविताओं में रागात्मक शक्ति है। वह पाठक की रुह से संवाद करके मनोवेग तैयार कर देते हैं। ‘आस्किंग योर सेल्फ’ में किसी भी व्यक्ति से जुड़ी भूमिकाएं और दायित्व कभी बौने नहीं हो सकते। कवि कहता है, एक पिता की कमतर होती भूमिका का मूल्यांकन उन परिस्थितियों से नहीं हो सकता है कि उसका बचपन कितनी चोट या घाव खाए है। जवानी के संकेत और बुढ़ापे के सामने अनुमानों की शिद्दत के सामने भले ही शारीरिक ऊर्जा कम हो, लेकिन जिसे खोया उसे कभी पाया भी तो था। ‘बरी द ब्लॉजम’ यानी किसी मंजर को डुबो देना या फूल की कली को दफन कर देना, जीवन के कितने बड़े कालखंड में से गुजरना है। ललित मोहन की कविताएं सृजन की साधारण सतह से कहीं ऊपर और मन के भावों के बहुत गहरे से उठती हुई लहरें हैं। वह न बनावटी और न ही सजावटी कविता के मंच पर खड़े हैं, बल्कि इस युग की तमाम अवधारणाओं, कोशिशों, चुनौतियों और महत्त्वकांक्षाओं के बीच किसी कोने में निपट अकेले मानव की चीखों-चिंताओं और गंतव्य पर खड़े सवालों को सुन रहे हैं। हर कविता का बीजारोपण, एक नए विचार को पल्लवित-पुष्पित कर रहा है, फिर भी रेसुररिक्शन, स्टरेंजर, द कनेक्ट, हिंट्स एंड गेसेस, इन अ सीज, मेमोरी ओ मेमोरी, इटरनिटी, द डाइलेमा, द थ्रेशोल्ड, बरी द ब्लॉजम, इन्डल्जन्स, सटल टोंस, ट्रैकिंग वैलीज तथा इन पोएट्स जैसी रचनाएं सोचने का संसार बदल देती हैं।
कवि के पास ऐसी शब्दावली है, जो साहित्य की विशिष्टता में अंग्रेजी लिटरेचर को समृद्ध करती है, लेकिन भारतीय परिवेश के चिंतन में सहज स्वीकृत होकर भाषायी समझ को सर्वग्राह्य बना देती है। कवि जीवन के यथार्थ में जीने का ‘जुनून’ पेश कर देता है, जब सवाल ‘अंत’ के छोर पर आता है। अंत की शुरुआत किसी कल्पना में जीना है या बचैन विवेक के भयावह परिदृश्य को अपने इर्द-गिर्द समेट लेना है। कवि ‘आस्किंग योरसेल्फ’ में कहता है कि हर इनसान आज की स्थिति में ही परखा जाएगा, न कि पुराने संदर्भों में किसी को याद किया जाएगा। कुछ अवसर आपके नजदीक आएंगे जब अकेले एकांत में आपके करीब केवल बीती बातों का सिंहावलोकन होगा, ÒIt had to be none else/For me but you alone/To be the iconic self ; One may never know/The reason behind it, Mistery shall remain/Almost like a miracle.Ó इस संग्रह में कविता जीने की आदत बन जाती है, क्योंकि कवि अपने हर विषय का अर्थ अपने ही शब्दों में खोजता है और यहीं हमारे-आपके वजूद से भी चस्पां हैं। -निर्मल असो

अंग्रेजी कविता संग्रह : हिंट्स एंड गेसेस
कवि : ललित मोहन शर्मा
प्रकाशक : अस्तित्व प्रकाशन, छत्तीसगढ़
कीमत : 250 रुपए


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App or iOS App