यहां आजाद को नहीं मिलता जनता का साथ
मंडी— जिला मंडी में आजाद प्रत्याशी के साथ जनता नहीं चलती। हालांकि कई चुनावों में ये प्रत्याशी दूसरे पार्टी समर्थित प्रत्याशियों का खेल जरूर बिगाड़ देते हैं। जिला मंडी की बात करें तो वर्ष 1977 से लेकर 2012 के चुनावों में करीब 143 उम्मीदवार आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनावी दंगल में उतरे, लेकिन मात्र सात को ही अब तक जीत नसीब हुई है। वर्ष 1977 से अब तक के विधानसभा चुनावों के सफर में चार चुनाव में एक भी आजाद प्रत्याशी को सत्ता सुख नसीब नहीं हुआ। नौ विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा आजाद प्रत्याशी 1990 के विधानसभा चुनावों में उतरे थे। वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव में दस सीटों पर करीब 31 आजाद उम्मीदवार चुनावी रण में कूदे थे। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में जिला भर में करीब 29 आजाद उम्मीदवार जंग-ए-मैदान में हैं। पहले यह आंकड़ा 34 था, लेकिन छंटनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह आंकड़ा घट भी सकता है। साथ ही 1977 से अब तक एक बार के चुनाव को छोड़ दें दो दस विधानसभा सीटों में एक से ज्यादा आजाद प्रत्याशी विधानसभा नहीं पहुंचा। सिर्फ एक बार 1982 में तीन आजाद प्रत्याशी एक साथ मंडी जिला से विधानसभा पहुंचे। आजाद प्रत्याशियों में जीत के रूप में अब तक टेक चंद को सबसे ज्यादा 20120 मत हासिल हुए थे। अधिकतर आजाद प्रत्याशियों की हर बार जमानत तक जब्त हो जाती है।
कौन प्रत्याशी, कब आजाद उतरा
नाम विधानसभा वर्ष वोट
गुलाब सिंह जोगिंद्रनगर 1982 8586
मनसा राम करसोग 1982 8992
मोती राम चच्योट 1982 10733
रत्न लाल जोगिंद्रनगर 1985 12790
महेंद्र सिंह धर्मपुर 1990 11970
टेक चंद नाचन 1993 20120
हीरा लाल करसोग 2007 19609
खास
बतौर आजाद उम्मीदवार चुनावी दंगल में उतरने वाले प्रत्याशियों में पृथवीराज शर्मा ने सबसे कम मत हासिल किए थे। 1977 से लेकर 2012 तक के विधानसभा चुनावों में अब तक सबसे कम 19 वोट एक आजाद प्रत्याशी हासिल कर पाया है। 1985 में हुए विधानसभा चुनाव में मंडी सीट से पृथवीराज शर्मा को 19 मत मिले थे।
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