ज्ञान का उपयोग
होशियार सिंह किस्सा सुना ही रहे थे कि बगल से पति-पत्नी के जोर-जोर से लड़ने की आवाजें आने लगीं । आपने भिखारी को खाना क्यों खिलाया, जोर-जोर से बोलने के कारण आसपास के लोग इकट्ठा हो गए। तभी एक सामान बेचने वाले ने बताया ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। ये तो इन लुटेरों का अब आए दिन का काम है…
गर्मी की छ़ट्टियां थीं। एक ही कक्षा में पढ़ने वाले पांच मित्रों ने कहीं घूमने की योजना बनाई। कहीं घूमने जाने का कारण यह भी था कि कक्षाध्यापक ने छुट्टियों का अनुभव लिखने को दिया था। चारों विद्यार्थी एक ही मोहल्ले में रहते थे इसलिए अभिभावक भी आपस में एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे। होशियार सिंह और होशियारी देवी को बातें सब छात्रों में सबसे अधिक मानी जाती थीं। सज्जन कुमार नाम के अनुरूप बहुत सीधे थे। होशियार सिंह ने पचमढ़ी चलने के लिए कहा। किसी भी छात्र ने पचमढ़ी के बारे में पहले नहीं सुना था। चारों मित्रों ने कहा हम सब चलेंगे और अपने माता-पिता को भी मना लेंगे। सभी ने अपने-अपने माता-पिता को पिकनिक के लिए राजी कर लिया। बच्चे अपने- अपने माता-पिता के साथ अपनी अपनी साइकिल में आ पहुंचे और माता-पिता को कहने लगे कि आप बस में आओ और हम साइकिल में आते हैँ यहीं पास में ही तो जाना है। बस बताए गए स्टेशन में चहुंच गए। वहीं खाएंगे। सज्जन कुमार के पिता सबके लिए गरमागर्म समोसे ले आए। सभी ने अपने अपने टिफन खोल दिए होशियारी देवी की मां ने पूडि़यों पर अचार की फांक रखकर सज्जन कुमार को दी। सबने थोड़े-थोड़े छोले लिए और सिल्वर फोइल पर रखी पूडिंया अपने हाथ में ले लीं। सज्जन कुमार खाने ही चाले थे कि दो हट्टे कट्टे नौजवान हाथ फैलाए खड़े थे। भूखों को खिलाओ उन्होंने कहा दोनों ने जींस और टी- शर्ट पहन रखीं थी। सज्जन कुमार ने अपने हाथ में ले रखी पूडि़या उन भिखरियों की ओर बढ़ा दीं। बगल में बैठे होशियार सिंह ने हाथ पकड़ते हुए कहा हमारे पास खाना बहुत कम है आप कहीं ओर से ने लो। दोनों भिखारी वहीं डटे रहे। भईया हमारे पास खाना बहुत कम है हम नहीं दे पाएंगे। इस बार होशियार सिंह ने तल्खी भरे स्वर में कहा। सज्जन कुमार और सभी अभिभावकों ने होशियार सिंह की ओर बड़ी हैरानी से देखा। होशियारी देवी भी समझ गई उसने भी यही बात दोहराई दोनों भिखारी होशियर सिंह और होशियारी देवी को घूरते हुए चले गए। दोनों भिखारियों के जाते ही सज्जन कुमार ने होशियार सिंह ने पूछा- तुमने ऐसा क्यों किया? क्या तुम्हें शिक्षक की बात याद नहीं गरीबों की मदद करनी चाहिए।
यहां तो मैं बस गरीबों को थोड़ा सा खाना ही खिला रहा था। थोड़ा खा लेते तो तुम्हारा क्या जाता सज्जन कुमार ने नाराज होकर पूछा। अभिभावक भी बोले- खाना खिला देते बेटा इसमें क्या जाता है…होशियार सिंह ने सज्जन कुमार की तरफ देखते हुए कहा- सज्जन, शिक्षक ने गरीबों की मदद करने की तो बात कही थी, पर यहा भी कहा था कि अपने आप को सेफ रखते हुए..मतलब हमें अपनी सुरक्षा भी स्वयं करनी है। उन्होंने एक किस्सा नहीं सुनाया था किसी सवारी द्वारा खाना खिलाने के बाद भिखारियों ने मुंह में कुछ ऐसा रख लिया और फिर खाने में जहर देने का आरोप लगाकर भिखारियों ने उसी सवारी से पांच हजार रुपए ऐंठ लिए थे। होशियार सिंह किस्सा सुना ही रहे थे कि बगल से पति-पत्नी के जोर-जोर से लड़ने की आवाजें आने लगीं । आपने भिखारी को खाना क्यों खिलाया जोर-जोर से बोलने के कारण आसपास के लोग इकट्ठा हो गए। तभी एक सामान बेचने वाले ने बताया ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। ये तो इन लुटेरों का अब आए दिन का काम है। उसकी बातों को सुनकर अभिभावक चौंक गए। प्रशंसा करते हुए अभिभावकों ने होशियार सिंह की पीठ थथपथाई। तुमने बचा लिया होशियार बेटा वरना आज तो हम गए थे काम से। क्रूर सिंह के पिता ने आभार प्रकट करते हुए कहा। सज्जन, अध्यापक की बातों को ध्यान से समझा करो। सज्जन के पिता ने प्यार से समझाते हुए कहा। सभी सज्जन कुमार की ओर देख मंद- मंद मुस्करा दिए।
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