लहू की प्यासी हुईं सर्पीली सड़कें
लापरवाही से हो रहे 93 प्रतिशत हादसे, पिछले साल 14 सौ जानें गईं
शिमला – पहाड़ की सर्पीली सड़कों पर हर साल 93 प्रतिशत हादसे चालकों की लापरवाही और सात प्रतिशत खराब मशीनरी के कारण हुए हैं। पिछले रिकार्ड पर गौर करें तो वर्ष 2018 में हिमाचल में 3325 सड़क हादसे हुए, इनमें 6085 लोग घायल हुए, जबकि 1403 को अपनी जान गंवानी पड़ी। हिमाचल पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक 40 फीसदी दुर्घटनाएं कामर्शियल वाहनों के कारण होती हैं, जबकि 12 फीसदी दुर्घटनाएं कारो और दो फीसदी दुर्घटनाएं दोपहिया वाहनों के कारण पेश आती हैं। हिमाचल में वाहन खरीद की ग्रोथ राष्ट्र की आठ फीसदी की तुलना में 11 फीसदी आंकी गई है। यहां 11 लाख 75 हजार कुल वाहन पंजीकृत हैं। हर वर्ष एक लाख छह हजार वाहन औसतन खरीदे जा रहे हैं। प्रदेश में बड़े वाहनों के हादसे होने के पीछे मशीनरी की खराबी और चालकों की लापरवाही माना जा रहा है। यहां तक कि नौ अप्रैल, 2018 को नूपपुर में हुए स्कूली बस हादसे में 26 बच्चों की जान भी चली गई थी। प्रदेश सरकार ने जांच भी बैठा दी थी, नए नियम भी लागू कर दिए, लेकिन सबक लेने वाला कोई नहीं है। पुलिस के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों में लापरवाही से वाहन चलाना, तेज रफ्तार, नशे में गाड़ी चलाना, फिसलन भरी सड़कें व वाहनों में खराबी, खराब मौसम या पैरापिट का न होना है। इसके साथ-साथ ड्राइविंग स्कूलों में सही प्रशिक्षण न देने का भी हवाला दिया जा रहा है। राज्य पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2019 में 93.61 प्रतिशत दुर्घटनाएं मानवीय गलतियों के कारण हुई हैं। हिमाचल में वर्ष 2017-18 के दौरान नेशनल हाई-वे पर 1264 हादसे पेश आए, जिसमें 2309 लोग घायल हुए और 475 की मौत हुई।
छह महीने में ढूंढे 90 ब्लैक स्पॉट
पुलिस ने गत छह महीने में 90 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए हैं, जिसमें से 71 को लोक निर्माण विभाग द्वारा सुधारा जा चुके हैं। हिमाचल पथ परिवहन निगम ने भी 169 दुर्घटना संभावित स्थानों की पहचान की है, जिसकी सूची आगामी कार्रवाई के लिए लोक निर्माण विभाग को भेज दी गई है। इसके अलावा आपातकाल प्रबंधन एवं अनुसंधान संस्थान ने भी राज्य में 505 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए हैं, जिनमें से लोक निर्माण विभाग द्वारा 200 का सुधार कर लिया गया है।
2018 के बस हादसे
हरियाणा 12417
पंजाब 7442
जम्मू कश्मीर 5830
हिमाचल 3325
उत्तराखंड 856
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