देश में 10 साल में 27 करोड़ लोगों की गरीबी दूर

By: Jul 13th, 2019 12:07 am

तरक्कीः 2006 से 2016 के आंकड़ों के आधार पर संयुक्त राष्ट्र ने जारी की रिपोर्ट,  भारत में 64 करोड़ की जगह अब केवल 36.9 करोड़  निर्धन

संयुक्त राष्ट्र -भारत में स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में हुई प्रगति से वर्ष 2006 से 2016 के बीच रिकार्ड 27.10 करोड़ लोग गरीबी के दलदल से बाहर निकल आए हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। खाना पकाने के ईंधन, साफ-सफाई और पोषण जैसे क्षेत्रों में मजबूत सुधार के साथ बहुआयामी गरीबी सूचकांक वैल्यू में सबसे बड़ी गिरावट आई है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफर्ड पावर्टी एंड ह्यूमन डिवेलपमेंट इनिशिएटिव (ओपीएचआई) द्वारा तैयार वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई)-2019 में 101 देशों में 1.3 अरब लोगों का अध्ययन किया गया। इसमें 31 न्यूनतम आय, 68 मध्यम आय और दो उच्च आय वाले देश थे। विभिन्न पहलुओं के आधार पर ये लोग गरीबी में फंसे थे, यानी गरीबी का आकलन सिर्फ आय के आधार पर नहीं बल्कि स्वास्थ्य की खराब स्थिति, कामकाज की खराब गुणवत्ता और हिंसा का खतरा जैसे कई संकेतकों के आधार पर किया गया। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में गरीबी में कमी को देखने के लिए संयुक्त रूप से करीब दो अरब आबादी के साथ 10 देशों को चिन्हित किया गया। आंकड़ों के आधार पर इन सभी ने सतत विकास लक्ष्य एक प्राप्त करने के लिए उल्लेखनीय प्रगति की। सतत विकास लक्ष्य एक से आशय गरीबी को सभी रूपों में हर जगह समाप्त करना है। ये 10 देश बांग्लादेश, कंबोडिया, डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथियोपिया, हैती, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पेरू और वियतनाम हैं। इन देशों में गरीबी में उल्लेखनीय कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक प्रगति दक्षिण एशिया में देखी गई। भारत में 2006 से 2016 के बीच 27.10 करोड़ लोग, जबकि बांग्लादेश में 2004 से 2014 के बीच 1.90 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। इसमें कहा गया है कि 10 चुने गए देशों में भारत और कंबोडिया में एमपीआई मूल्य में सबसे तेजी से कमी आई और उन्होंने सर्वाधिक गरीब लागों को बाहर निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भारत का एमपीआई वैल्यू 2005-06 में 0.283 था, जो 2015-16 में 0.123 पर आ गया। इसमें कहा गया है कि 10 संकेतकों पोषण, स्वच्छता, बच्चों की स्कूली शिक्षा, बिजली, स्कूल में उपस्थिति, आवास, खाना पकाने का ईंधन और संपत्ति के मामले में भारत के अलावा इथोपिया और पेरू में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किए गए। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005-06 में भारत के करीब 64 करोड़ लोग (55.1 प्रतिशत) गरीबी में जी रहे थे, जो संख्या घटकर 2015-16 में 36.9 करोड़ (27.9 प्रतिशत) पर आ गई। इस प्रकार, भारत ने बहुआयामी यानी विभिन्न स्तरों और उक्त 10 मानकों में पिछड़े लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में उल्लेखनीय प्रगति की है।गरीबी हटाने में झारखंड भारत में नंबर वन संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट की सबसे खास बात यह है कि गरीबी को मात देने में झारखंड नंबर वन पोजीशन पर है।

विभिन्न पैमानों में देशवासियों की स्थिति

पैमाना               2005-06               2015-16

पोषण की कमी       44.3 फीसदी         21.2 फीसदी

शिशु मृत्यु दर         4.5 फीसदी           2.2 फीसदी

ईंधन का अभाव      52.9 फीसदी         26.2 फीसदी

स्वच्छता का अभाव 50.4 फीसदी         24.6 फीसदी

पेयजल का अभाव   16.6 फीसदी         6.2 फीसदी

बिजली का अभाव    29.1 फीसदी         8.6  फीसदी

घरों का अभाव        44.9 फीसदी         23.6 फीसदी

संपत्तियों का अभाव 37.6  फीसदी        9.5 फीसदी


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