ऊना में 2025 से पहले होगा टीबी का खात्मा

By: Mar 24th, 2023 12:45 am

जिला में 81 लोग निक्षय मित्र बने; 153 मरीजों का चल रहा इलाज, ल्यूमिनस उद्योग भी क्षय रोग उन्मूलन के लिए आया आगे

स्टाफ रिपोर्टर-गगरेट
ट्यूबरक्लोसिस यानी क्षय रोग अगर समय रहते इसका पता लग जाए तो क्षय रोग का हारना निश्चित है, लेकिन अगर क्षय रोग को लेकर लापरवाही बरती तो जिंदगी का हारना भी निश्चित है। क्षय रोग को जड़ से मिटाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा रखे गए वर्ष 2030 के लक्ष्य के मुकाबले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को क्षय रोग से मुक्त करने के लिए बेशक वर्ष 2025 का लक्ष्य तय किया हो लेकिन प्रदेश भी हर हाल में हिमाचल को वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। इस लक्ष्य के साथ कदमताल करते हुए जिला ऊना भी क्षय रोग पीडि़तों के स्वस्थ्य होने के नब्बे फीसदी आंकड़े के साथ देश के उन जिलों के साथ खड़ा हुआ है जहां क्षय रोग को जड़ से मिटाने के लिए बेहतरीन प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकारी स्तर पर तो प्रयास हो ही रहे हैं बल्कि स्थानीय लोग भी क्षय रोग को जड़ से मिटाने के लिए उठ खड़े हुए हैं। जिले के 81 लोग निक्षय मित्र बने हैं जो स्वेच्छा से क्षय रोग उन्मूलन में स्वास्थ्य विभाग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। मौजूदा समय में क्षय रोग से पीडि़त 153 मरीज हैं, जिन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्षय रोग को परास्त करने के लिए नि:शुल्क दवाएं तो दी जा रही हैं लेकिन ऐसे 81 निक्षय मित्र भी हैं जो क्षय रोग को हराने के लिए क्षय रोग पीडि़तों की परछाई बन उनका सहयोग कर रहे हैं।

यह निक्षय मित्र न्यूट्रीशन किट या अन्य माध्यमों से क्षय रोग पीडि़तों की मदद कर स्वास्थ्य विभाग के इस अभियान के ऐसे सारथी बने हैं जो नेम और फेम से दूर रह कर भी क्षय रोग उन्मूलन में महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम कर रहे हैं। इस वर्ष की प्रथम तिमाही में ही अब तक सोलह क्षय रोग पीडि़त मरीज काल की गाल में समा चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछले साल भी 786 मरीजों में से 59 मरीज मौत को प्राप्त हुए लेकिन अच्छी बात यह रही कि अन्य मरीज क्षय रोग को हराने में कामयाब रहे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा आशा वर्कर के माध्यम से भी एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया जाता है और संदिग्ध लोगों के सेंपल एकत्रित कर इनकी जांच भी करवाई जाती है। क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले के बारह स्वास्थ्य संस्थानों में बलगम जांच केंद्र स्थापित किए गए हैं। जिले के कुछ स्वास्थ्य केंद्रों में तो अब आधुनिक तकनीक यानी ट्रू-नाट व सीवी नाट मशीनों से भी क्षय रोग की जांच की जाती है। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो दो सप्ताह से अदिक खांसी, छाती में दर्द, बलगम में खून आना, भूख कम लगना, सोते समय अदिक पसीना आना क्षय रोग के लक्षण हो सकते हैं जिन्हें नजरअंदाज करना नादानी हो सकती है। ऐसा भी नहीं है कि क्षय रोग लाइलाज है बल्कि अगर समय रहते इस रोग का पता लग जाए तो छह सप्ताह दवा खाने से इस रोग को हराया जा सकता है और एमडीआर की स्थिति में नौ माह से लेकर ग्यारह माह तक दवा खाने से क्षय रोग को मात दी जा सकती है। हालांकि केंद्र सरकार क्षय रोगियों को पांच सौ रुपए प्रति माह और प्रदेश सरकार पंद्रह सौ रुपए प्रति माह की आर्थिक सहायता भी मुहैया करवाती है। क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में तैनात मेडकिल आफिसर डा.सुखवीर सिंह सिद्धू का कहना है कि देश के कई जिलों में ऊना की स्थिति भी क्षय रोग उन्मूलन में बेहतरीन है।

ल्यूमिनस उद्योग भी क्षय रोग उन्मूलन के लिए आया आगे
ल्यूमिनस उद्योग भी क्षय रोग उन्मूलन के लिए आगे आया है। विश्व क्षय रोग दिवस पर ल्यूमिनस उद्योग स्वास्थ्य विभाग को क्षय रोगियों का पता लगाने के लिए अत्याधुनिक ट्रू-नाट मशीन के साथ एंबुलेंस भी भेंट करेगा। ल्यूमिनस उद्योग के जीएम अजय भारद्वाज ने बताया कि क्षय रोग उन्मूलन में स्वास्थ्य विभाग का साथ देना सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।


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