भरत झुनझुनवाला

वर्तमान व्यवस्था में बिजली बोर्डों को उत्पादकों से ईंधन के मूल्य के अनुसार बिजली खरीदनी पड़ती है। जब अंतरराष्ट्रीय कोयले अथवा तेल के दाम बढ़ जाते हैं तो इन्हें महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है। लेकिन उपभोक्ताओं को इन्हें उसी पूर्व के मूल्य पर बिजली बेचनी पड़ती है क्योंकि उपभोक्ताओं को किस मूल्य पर बिजली बेची

यदि इसी आयातित पेट्रोल का दाम 70 रुपए प्रति लीटर हो जाए तो उस पर 25 रुपए की एक्साइज ड्यूटी वसूल की जाएगी। तेल के दाम में वृद्धि के साथ-साथ एक्साइज ड्यूटी की वसूली भी बढ़ती है। इससे सरकार को राजस्व अधिक मिलता है और वित्तीय घाटा कम होता है, न कि बढ़ता है। हां,

जरूरत इस बात की है कि लंबी दूरी की उड़ानों को और सरल बनाया जाए। लंदन में आप हवाई जहाज के उड़ने के मात्र 15 मिनट पहले हवाई अड्डे पहुंच कर हवाई जहाज में प्रवेश कर सकते हैं, जबकि अपने यहां सिक्योरिटी इत्यादि में 1-2 घंटा लग जाना मामूली बात है। इसलिए सरकार को चाहिए

निवर्तमान संविधान में शिया और सुन्नी को बराबर का दर्जा दिया गया था, परंतु इस प्रकार के धार्मिक विवाद संविधानों से कम ही सुलझते हैं। इसलिए ईरान का मूल झुकाव तालिबान के विरुद्ध है। वह अपने शिया अल्पसंख्यक भाइयों की रक्षा करना चाहेंगे। इसी प्रकार चीन के सामने उईघुर मुसलमानों का संकट है। चीन नहीं

जब पर्यावरण की रक्षा करने के लिए हम साफ तकनीकों का उपयोग करते हैं, जैसे यदि सरकार नियम बनाती है कि उद्योगों को ऊर्जा की खपत कम करनी होगी, तो उद्योगों द्वारा अच्छी गुणवत्ता की बिजली के बल्ब, पंखे, एयर कन्डीशनिंग, मोटरें इत्यादि उपयोग में लाई जाती हैं जो कि अंततः उनकी उत्पादन लागत को

इसलिए तेल के दाम बढ़ने से देश में पेट्रोल की खपत कम होगी। हमारी आयातों पर निर्भरता कम होगी और हमारी आर्थिक संप्रभुता की रक्षा होगी। तेल के ऊंचे दाम का दूसरा लाभप्रद प्रभाव पर्यावरण का है। तेल के जलने से कार्बन डाईआक्साइड का भारी मात्रा में उत्सर्जन होता है, फलस्वरूप धरती का तापमान बढ़

वर्तमान में जो बड़ा संकट तालिबान-पाकिस्तान-चीन के गठबंधन के बनने का हमारे सामने खड़ा हुआ है, उसे क्रियान्वित होने से रोकने का प्रयास करना चाहिए। हमें तय करना होगा कि बड़ा दुश्मन कौन? तालिबान-पाकिस्तान या चीन? चीन के साथ हमारी दुश्मनी 1962 के युद्ध से शुरू हुई है। उस समय भी चीन ने हमें सबक

इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि अमरीका द्वारा वैयक्तिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मूल्यों को उतना ही प्रसारित किया जाता है जितना कि अमरीका के अपने आर्थिक हितों को साधने में सहायक होता है। जब ये मूल्य अमरीका के आर्थिक हितों के विपरीत हो जाते हैं तो अमरीका इन्हें प्रसन्नता से त्याग देता है। इसका

केन्द्र सरकार द्वारा तमाम ऐसी योजनाएं चलाई जा रही हैं जो केवल व्यक्तिगत लाभ पहुंचाती हैं, जैसे उन्नत जीवन योजना के अंतर्गत एलईडी वितरण योजना, पीएम सुरक्षा योजना, आयुष्मान भारत और जीवन ज्योति बीमा योजना के अंतर्गत बीमा पर सब्सिडी, ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत घर, अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत खाद्यान्न और उज्ज्वला के

इस परिस्थिति में सरकार को वर्तमान सरकारी कर्मियों के वेतन में कटौती करके इन्हें वर्तमान का केवल सातवां हिस्सा कर देना चाहिए, जिससे कि ये वियतनाम और चीन के समान हो जाएं। जैसे यदि किसी कर्मी को आज 70 हजार रुपए का वेतन प्रति माह मिलता है, तो उसे काटकर केवल दस हजार रुपए देना