सत्यम पांडेय, स्वतंत्र लेखक

हमारे देश की राजनीति पहले से ही इस जहर का शिकार हो गई है। यह पूरा मामला इसलिए हमारी चिंताओं में इजाफा करता है कि अब तक गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी 25 साल से कम आयु के नौजवान हैं और उच्च तकनीकी पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हैं। यह घटना बताती है कि हमारे नौजवान किस

संक्रमण कम होने के बाद प्रत्येक सौ परिवारों को एक इकाई मानकर दो शिक्षक और कुछ वॉलेंटियरों (स्वयंसेवकों) के माध्यम से खुले मैदान में कक्षाएं संचालित की जानी चाहिए। बेशक अलग-अलग स्कूलों और बोर्डों में पढ़ रहे बच्चे वहां होंगे, लेकिन इस असाधारण परिस्थिति में इस तरह के असाधारण प्रयोग करने की जरूरत है। इन

जबरदस्त बहुमत के साथ 2014 में सत्ता में आई भाजपा सरकार ने इसे पारित कराने के कोई प्रयास नहीं किए जबकि अपने चुनावी-घोषणापत्र में उन्होंने इसका वादा भी किया था। अगर इस सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति है तो दशकों का सपना मिनटों में पूरा हो सकता है… हमारा लोकतंत्र आज एक कठिन चुनौती का सामना