भानु धमीजा

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं संविधान अंगीकार करने के कुछ दिनों में ही नेहरू और राजेंद्र प्रसाद के बीच मूक रस्साकशी आरंभ हो गई। ये लड़ाइयां अकसर कानून नकारने के राष्ट्रपति के अधिकार पर थीं। उनके पहले कार्यकाल में ही भारत तीन बार

भानु धमीजा (सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं) जब मजबूत विपक्ष की बात आती है तो मोदी का दृष्टिकोण नेहरू से पूरी तरह भिन्न है। जहां नेहरू ने एक बार कहा था, ‘‘मैं ऐसा भारत नहीं चाहता जिसमें लाखों लोग एक व्यक्ति की हां में हां

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ (लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं) किसी भी देश में एक स्वस्थ राजतंत्र के निर्माण के लिए द्वि-दलीय व्यवस्था आवश्यक है। मुद्दों पर बहुमत का नजरिया जानने की जनता की मूल लोकतांत्रिक इच्छा को संतुष्ट करने का यही एकमात्र रास्ता है। इससे लोग चुनावी व

भानु धमीजा ( भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ ) लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं चुनावों पर आधारित एक देश में चुनावों की संख्या कम करना कुछ विचित्र है। क्या भारत के लोकतंत्र से भी अधिक महत्त्वपूर्ण कुछ और है? अकसर चुनाव होना हमारी ताकत होनी चाहिए। हमने केंद्र

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं वर्ष 1963 में न्यायमूर्ति सरकारिया, जिन्हें केंद्र-राज्य संबंधों के अध्ययन को नियुक्त किया गया था ने रिपोर्ट दी कि ‘‘केंद्र शक्ति के नशे में चूर’’ था। यही समय था कि भारत ‘मजबूत’ केंद्रीकृत सरकार के विचार को निकाल