भूपिंदर सिंह

वैसे तो हिमाचल प्रदेश की तरक्की में विभिन्न सरकारों का योगदान रहा है, मगर हिमाचल प्रदेश में पहली बार नई सदी के शुरुआती वर्षों में प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल की सरकार ने राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल ढांचे को खड़ा करने की शुरुआत की और आज हिमाचल प्रदेश में कई खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय

साथ ही साथ यहां पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के पूर्व लगने वाले कोचिंग कैम्प भी अनिवार्य रूप से लगाए जाएं ताकि पहाड़ के लोगों को भी वही सुविधा उपलब्ध हो जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्ट प्रदर्शन किए जा सकें। यह सब तभी संभव है जब सरकार बजट में प्रावधान करे। हर खेल नीति खिलाड़ी व प्रशिक्षक

बात चाहे शिक्षा निदेशालय की हो या किसी भी संस्थान की, अब हिमाचल प्रदेश में उचित मूल्य चुका कर घटिया किस्म का खेल सामान खरीद कर करोड़ों रुपए की बंदरबांट को बंद करके असली खेल सामान खरीद कर खिलाडिय़ों का भला करना होगा… आज के ओलंपिक खेल शौकियान न होकर अब पेशेवर हो गये हैं।

हैंडबाल में स्नेहलता, कुश्ती में जौनी चौधरी सहित और भी कई खेलों में कई सरकारी नौकर जो पूर्व खिलाड़ी रहे हैं, ईमानदारी से प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए हुए हैं। क्या सरकार ऐसे जुनूनी-शौकिया प्रशिक्षकों को खेल विभाग में कम से कम पांच वर्षों के लिए प्रतिनियुक्ति पर लाकर या उन्हीं के विभाग में उन्हें खेल प्रबंधन

युवा सेवाएं एवं खेल विभाग पंजीकृत पात्र खिलाडिय़ों को उनका जायज हक दे… वरिष्ठ राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में पदक विजेता बनने के लिए दस वर्षों से भी अधिक समय तक खिलाड़ी को एकाग्रता से कठिन परिश्रम करना पड़ता है। इसलिए वह पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक मोर्चे पर भी पीछे रह जाता है। खिलाडिय़ों

कम से कम बीस मिनटों तक तेज चलने, दौडऩे व शारीरिक क्रियाओं के करने से रक्त वाहिकाओं में रक्त संचार तेज हो जाता है। उससे हर मसल को उपयुक्त मात्रा में प्राणवायु मिलने से उसका समुचित विकास होता है। आज के विद्यार्थी को अगर कल का अच्छा नागरिक बनाना है तो हमें स्कूली पाठ्यक्रम के

साथ ही साथ यहां पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के पूर्व लगने वाले कोचिंग कैम्प भी अनिवार्य रूप से लगाए जाएं ताकि पहाड़ के लोगों को भी वही सुविधा उपलब्ध हो जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्ट प्रदर्शन किए जा सकें। राष्ट्रीय पदक विजेताओं के लिए वजीफे की बात हो। जो खेल छात्रावास के बाहर हों, उन्हें भी

इस सबके लिए हर प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ेगा। हिमाचल प्रदेश में अच्छे क्षमतावान प्रशिक्षकों का लगातार प्रशिक्षण खिलाडिय़ों को किसी भी स्तर पर नहीं मिल पा रहा है। खेल मंत्री युवा हैं, वर्तमान में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल के महत्त्व को भी समझते हैं। उन्हें चाहिए कि वह अपने यहां नियुक्त प्रशिक्षकों

आज का विद्यार्थी फिटनेस व मनोरंजन के नाम पर दूरसंचार माध्यमों का कमरे में बैठ कर खूब दुरुपयोग कर रहा है। ऐसे में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास की बात मजाक लगती है। आज के विद्यार्थी के लिए विद्यालय या घर पर आधे घंटे के फिटनेस कार्यक्रम की सख्त जरूरत है। इसमें 15 से 20 मिनट